बौद्ध भिक्षु के देह त्याग के बाद भी उनके पार्थिव शरीर में कोई बदलाव नहीं

‘थुकडम’ बौद्ध धर्म की दुर्लभ ध्यानावस्था में भिक्षुक का प्रवेश


धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) – १४ जुलाई को डाक्टर द्वारा मृत घोषित करने के उपरांत ताईवान के तिब्बती बौद्ध विद्वान गेशे ग्यात्से को बौद्ध धर्म की दुर्लभ ध्यानावस्था ‘थुकडम’ में प्रवेश करते हुए ध्यान में आया है ।

‘थुकडम’ अर्थात क्या ?

‘थुकडम’ बौद्ध धर्म की मान्य घटना होने पर उसमें शारीरिक दृष्टि से मृत्यु होने पर भी व्यक्ति की चेतना शरीर में ही रहती है’, केंद्रीय तिब्बत प्रशासन ने ऐसा (‘सीटीए’ ने) कहा है । ‘थुकडम’ आध्यात्मिक ध्यानावस्था में गया हुआ व्यक्ति वैद्यकीय दृष्टि से मृत घोषित होने पर भी, उसके शरीर में क्षय के चिन्ह नहीं दिखते हैं और शरीर कुछ दिन अथवा सप्ताह तक तरोताजा रहता है । तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा के प्रयत्नों से इस घटना की वैज्ञानिक जांच आरंभ हुई है ।

अनेक दिनों तक गेशे ग्यात्सो की मृतदेह तरोताजा रहना

गेशे ग्यात्सो की मृत्यु के उपरांत पहले और दूसरे दिन हुई प्रार्थना सभा में उपस्थित हुए ‘सेशे जे’ मठ के गेशे नॉर्बूजे गेशे ग्यात्सो के निकट के मित्र हैं इनकी मृत देह और गंध के आधार पर मृत देह क्षीण होने के कोई भी चिन्ह दिखाई नहीं दिए । प्रत्यक्ष में उस समय ताईवान में गर्मी के दिन थे; गेशे ग्यात्से की मृत देह पर उसका भी परिणाम नहीं दिखाई दिया ।

गेशे ग्यात्सो की मृत्यु के ५वें दिन ताईवान के शासकीय अधिकारी और आधुनिक वैद्य (डॉक्टर) ने उनकी मृत देह की जांच करने के उपरांत आश्चर्य व्यक्त किया । धर्मगुरु दलाई लामा ने सुझाव दिया कि संशोधन के उद्देश्य से वैज्ञानिक और आधुनिक वैद्य को उनके परीक्षण का विस्तृतस ब्योरा देना चाहिए ।

वैज्ञानिकों के शोध में गेशे की मृत देह का रक्तचाप जीवित व्यक्ति के समान !

उसके अनुसार गेशे के विद्यार्थियों ने ताईवान कॅडमिया सिनिका स्थित शोध केंद्र से संपर्क स्थापित किया । तब वहां के वैज्ञानिकों ने २४ जुलाई को ध्यानस्थ (मृत्यु के ११ वें दिन) गेशे ग्यात्से की ‘फॉरेंसिक’ जांच की । उस जांच में गेशे ग्यात्से के शरीर का रक्तचाप ८६ एम.एम.एच.जी. पाया गया । यह रक्तचाप जीवित व्यक्ति के रक्तचाप के समान है । इसके अतिरिक्त गेशे ग्यात्से की त्वचा की कोमलता, ऊपर से देखने में शरीर के अवयवों की अच्छी अवस्था, चेहरे की चमक और शरीर के अन्य परीक्षण उनके ध्यान में आए । इसके उपरांत २८ जुलाई ( मृत्यु के १५ दिन पश्चात) और १ अगस्त को गेशे ग्यात्से के दिमाग की नसों  की जांच करने पर भी उनमें मृत अवस्था के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए ।