देश में सब कुछ खुल रहा है, तो केवल धार्मिकस्‍थल बंद क्‍यों ? – सर्वोच्‍च न्‍यायालय

नई देहली – संचार बंदी शिथिल करते हुए संपूर्ण देश खुल रहा है, तब केवल मंदिर, मस्‍जिद, चर्च और अन्‍य धार्मिकस्‍थल बंद क्‍यों ?, ऐसा प्रश्‍न पूछते हुए सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने निर्देश दिए हैं कि ‘झारखंड स्‍थित देवघर के ‘वैद्यनाथ धाम मंदिर’ में सीमित संख्‍या में श्रद्धालुआें को दर्शन की अनुमति दी जा सकती है ।

१. ‘सरकार आनेवाली पूर्णिमा को और भाद्रपद मास में श्रद्धालुआें के लिए मंदिर में दर्शन करने हेतु जाने की व्‍यवस्‍था करे । सरकार चाहे तो ‘ई-टोकन’ के विकल्‍प का उपयोग कर सकती है’, इस समय न्‍यायालय ने ऐसे निर्देश भी दिए ।

२. यहां सावन मास में लगनेवाले मेले में श्रद्धालुआें को दर्शन की अनुमति मिलने के लिए याचिका प्रविष्‍ट की गई थी । झारखंड उच्‍च न्‍यायालय ने ३ जुलाई को केवल ‘ई-दर्शन’ की अनुमति दी थी । (कनिष्‍ठ न्‍यायालय का निर्णय उच्‍च न्‍यायालय परिवर्तित कर देते हैं, अनेक बार ऐसा देखने को मिलता है । इसलिए साधारण जनता के मन में प्रश्‍न उत्‍पन्‍न होता है कि ‘यदि कानून और धाराएं एक समान हैं, तो उन पर अलग-अलग निर्णय कैसे दिए जाते हैं ?’ – संपादक) इस निर्णय को भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने चुनौती दी थी ।

३. ‘श्रद्धालुआें को मंदिर में पूजा की अनुमति देने पर कोरोना का संक्रमण बढने की संभावना है । मंदिर में दर्शन के लिए विविध स्‍थानों से श्रद्धालु आते हैं । ऐसी स्‍थिति में उन पर नियंत्रण रखना कठिन होगा, ऐसा राज्‍य सरकार का मत है ।

‘ई-दर्शन’ ईश्‍वर का दर्शन नहीं होता, अपितु प्रत्‍यक्ष मंदिर में जाकर
ईश्‍वर से प्रार्थना करने की भावना अलग होती है ! – सर्वोच्‍च न्‍यायालय

इस समय राज्‍य सरकार ने बताया कि ‘ई-दर्शन’ हो रहा है, तब न्‍यायालय ने स्‍पष्‍ट किया कि ‘ई-दर्शन ईश्‍वर का दर्शन नहीं होता । प्रत्‍यक्ष मंदिर में जाकर ईश्‍वर से प्रार्थना करने की भावना अलग होती है । (सरकार यह क्‍यों नहीं समझती ? – संपादक)