कोरोना के प्रकोप के कारण देश की अनेक घटनाएं जिस पद्धति से समाज तक पहुंचनी चाहिए थीं, वे नहीं पहुंच सकीं । उन्हीं में एक है, केरल में साम्यवादी सरकार की स्वर्ण तस्करी ! इस घटना से साम्यवादी सरकार का वास्तविक रूप सामने आया है । पिछले सप्ताह तिरुवनंतपुरम् के विमानतल पर जांच के समय १५ करोड रुपए की सोना तस्करी की घटना उजागर हुई है । इस तस्करी की घटना से जिनका नाम जुडा है, उससे सरकारी स्तर पर यह तस्करी होने की शंका उत्पन्न हुई है । केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन् के मुख्य सचिव एम. शिवशंकर का हाथ होने की बात इस प्रकरण में सामने आई है । इस तस्करी में राज्य के सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग की व्यवस्थापिका स्वप्ना सुरेश का भी हाथ है । अब इन दोनों को उनके पद से हटा दिया गया है ।
उच्च सरकारी पदाधिकारियों की भागीदारी
केरल और उसमें भी मल्लप्पुरम् जनपद में सोने की तस्करी, कोई नई बात नहीं है । अनेक बार खाडी के देशों से गोवा राज्य में सोने की तस्करी होती है । पश्चात, तस्करी का यह सोना गोवा से केरल के मल्लप्पुरम् जनपद में जाता है । इस खेल में अनेक धर्मांध लिप्त होते हैं । पिछले अनेक वर्षों से यह सब चल रहा है । इतनी बडी मात्रा में और लगातार तस्करी होने पर भी सरकार उसे रोकने के लिए ठोस उपाय क्यों नहीं करती’, यह प्रश्न बार-बार उठाया जाता था । सरकार सोना तस्करी रोकने का प्रयत्न क्यों नहीं करती ? इस प्रश्न का उत्तर इस घटना में है । जब राजस्व विभाग के अधिकारियों ने विमानतल पर यह सोना नियंत्रण में लिया, तब अपने को वाणिज्य विभाग का कर्मचारी बतानेवाला सरित कुमार वह पार्सल लेने के लिए आया । वास्तव में, वह व्यक्ति एक वर्ष पहले वाणिज्य दूतावास में ‘जनसंपर्क अधिकारी’ के रूप में कार्यरत था । किंतु, आज भी वह वाणिज्य दूतावास का नाम बताकर ऐसे आपराधिक कृत्य कर रहा है । अब राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इस प्रकरण में मल्लप्पुरम् से २ धर्मांधों को पकडा है । उनसे पूछताछ करते समय एनआईए को वाणिज्य दूतावास से जुडा एक पुलिस अधिकारी अपने घर पर मिला, जिसके हाथ की एक नस कटी हुई थी । उस पुलिस अधिकारी के परिजनों का कहना है कि इन्हें पिछले कुछ दिनों से अज्ञात लोग धमकियां दे रहे थे, जिससे वे तनाव में थे । वास्तविक, यह केवल १५ करोड रुपए मूल्य के सोने की तस्करी का प्रकरण नहीं; अपितु इस घटना से अनेक लोगों की कलई खुलनेवाली है । किसी चलचित्र की भांति ऐसी घटनाएं हो रही हैं ।
कठोर दंड आवश्यक !
जिस राज्य के सरकारी अधिकारी ऐसे कार्यों में लिप्त होंगे, उस राज्य का कारोबार कैसे चलता होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है । साम्यवादियों के हिंसक कृत्य, धर्मांधों की देशद्रोही गतिविधियां, हिन्दू विरोध के लिए कुख्यात केरल राज्य, अब भ्रष्टाचार तथा शासकीय अपराध के लिए कुख्यात हो गया है । दूतावास में अधिकारियों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है । इस प्रकरण में फंसे अधिकतर अधिकारी विविध दूतावासों से ही जुडे हैं । किस प्रकार के लोगों की नियुक्ति दूतावासों में हो रही है, इस ओर केंद्र की भाजपा सरकार को बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है । अब कुछ अधिकारियों को पद से हटा दिया गया है । उनकी आगे जांच होगी । तब भी, इतने वर्ष उन्होंने शासकीय सेवा में रहते हुए किस प्रकार से कार्य किया है, इसकी संपूर्ण जांच होनी आवश्यक है । इस प्रकरण में मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव का हाथ होने की बात सामने आई है । इसलिए ‘पिनराई विजयन् भी इसका नैतिक दायित्व लें’, यह मांग विरोधी कर रहे हैं । इन मांगों से नैतिकता जागृत हुई होती, तो विजयन् अपने को साम्यवादी न कहते । केवल मुख्यमंत्री नहीं; अपितु इन भ्रष्टाचारियों से जो मिले हुए हैं, ऐसे सब मंत्रियों और प्रशासकीय अधिकारियों को घर भेजने का यही समय है । सोने की तस्करी प्रकरण में न्यायालय का निर्णय जब तक नहीं आता, तब तक दोषियों के विरुद्ध विभागीय जांच बैठाकर उन्हें दंडित किया जाना चाहिए । ऐसी प्रवृत्तियों को हतोत्साहित करने के लिए ‘केंद्र सरकार इस प्रकरण में ध्यान देकर कठोर कार्यवाही करे’, यह राष्ट्र्रप्रेमियों की मांग है । शासकीय स्तर पर भ्रष्टाचार के, दुराचार के अनेक प्रकरण जनता ने आज तक देखे हैं; परंतु साम्यवादियों के केरल में उच्चपदस्थ अधिकारियों की टोली ने जो तस्करी की है, वह सबको चकित करनेवाली है ।