३५ वर्ष पूर्व विधायक रहे राजस्थान के राजा मानसिंह को फर्जी मुठभेड में मार डालने के प्रकरण में ११ पुलिसकर्मी दोषी प्रमाणित

‘कोई अभियोग ३५ वर्षतक चलता है और उसके उपरांत उसका निर्णय आता है, तो क्या इसे न्याय कहा जा सकेगा ?’, यह प्रश्‍न उपस्थित होता है !

भरतपुर (राजस्थान) – राजस्थान के डिग नामक क्षेत्र में २१ फरवरी १९८५ को यहां के तत्कालीन विधायक तथा राजा रहे मानसिंह को फर्जी मुठभेड में मार डालने के प्रकरण में केंद्रीय अन्वेषण विभाग के न्यायालय ने ११ पुलिसकर्मियों को दोषी प्रमाणित किया है ।

मानसिंह की ओर से अभियोग चलानेवाले अधिवक्ता नारायण सिंह विप्लवी ने कहा कि इस प्रकरण में न्याय मिलने में ३५ वर्ष लग गए । मानसिंह की पुलिसकर्मियों ने हत्कयका ही की थी । इस अभियोग में हमारी ओर से ६१ साक्ष्यकर्ता उपस्थित किए गए, तो पुलिसकर्मियों की ओर से १६; परंतु वे दोषी थे; इसलिए उनका हारना तो तय था । विगत ३५ वर्ष में इस अभियोग की कुल १ सहस्र ७०० तारीखें दी गईं । इस अवधि में अनेक न्यायाधीश बदल गए औ अंततः यह निर्णय मिला ।

क्या है राजा मानसिंंह की हत्या का प्रकरण ?

१. राजा मानसिंह एक लोकप्रिय और जनता की सेवा करनेवाले राजा और नेता थे । उन्होंने स्वतंत्रता के पूर्व ब्रिटेन से अभियांत्रिकी की शिक्षा ली और उसके पश्‍चात वे भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टनंट कमांडर बने । अंग्रेजों के साथ बात न बनने से उन्होंने नौकरी छोड दी । स्वतंत्रता के पश्‍चात वर्ष १९५२ से १९८४ तक वे विधायक के रूप में निर्विरोध चुनकर आते रहे ।

(सौजन्य : अमर उजाला)

२. वर्ष १९८५ में राजस्थान विधानसभा का चुनाव था । उस समय तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर ने मानसिंह को चुनाव में हराने की योजना बनाई थी । २० फरवरी १९८५ को वे प्रचार के लिए डीग में पहुंचे । उसके पहले कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताआें ने मानसिंह के भीतीपत्रकें, कपडे के फलक और संस्थान के ध्वजों को फाड डाला था । राजा मानसिंह को यह बात अच्छी नहीं लगी । उनके कार्यकर्ताआें ने शिवचरण माथुर की सभा में जाकर मंच की तोडफोड की और उसके पश्‍चात वे जीप से ‘हेलिपैड’की ओर गए । वहां मुख्यमंत्री माथुर का हेलिकॉप्टर खडा था । राजा मानसिंह ने अपनी जीप से हेलिकॉप्टर को धक्का मारा, जिससे मुख्यमंत्री माथुर को सडक के मार्ग से जयपुर आना पडा । इस घटना के कारण वहां संचारबंदी लगाई गई ।

३. २१ फरवरी को राजा मानसिंग अपने समर्थकों के साथ जीप से जा रहे थे । उनके समर्थकों ने उन्हें जीप से जाने के लिए मनाही की थी; परंतु उन्होंने अपने समर्थकों की बात नहीं सुनी । राजवंश का यह कहना था कि मानसिंह पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए जा रहे थे ।

४. उसी समय डीग मंडी के पास पुलिस उपाधीक्षक कान सिंह भाटी और उनके सहयोगी पुलिसकर्मियों ने मानसिंह का घेराव कर उनपर गोलियां चलाईं, जिसमें उनकी मृत्यु हुई ।

५. पुलिस विभाग ने इस घटना को ‘मुठभेड’ प्रमाणित किया; परंतु इसके कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को त्यागपत्र देना पडा था ।