आपातकाल साधना हेतु इष्टकाल होने के कारण साधना प्रारंभ करें !
‘वर्तमान आपदाओं का काल यद्यपि कठिन है, तथापि यह साधना के लिए इष्टकाल है । जिस प्रकार सूर्योदय, सूर्यास्त, ग्रहण इत्यादि संधिकाल में साधना करने से लाभ होता है, वैसा ही लाभ वर्तमान आपातकाल में साधना करने से होता है । विज्ञान के कारण अहंकार बढा हुआ समाज अपना मनोधैर्य बढाने के लिए धार्मिक कार्यक्रम देखना, ईश्वर को प्रार्थना करना, योगसाधना आदि कर ईश्वरनिष्ठ बनने लगा है, यह इस आपातकाल का सुपरिणाम ही कहना पडेगा; इसलिए इस गुरुपूर्णिमा से गुरुतत्त्व अथवा गुरुरूपी संतों की शरण में जाकर उचित साधना प्रारंभ करें । सर्वशक्तिमान ईश्वर या ईश्वर के सगुणरूप गुरु की शरण में पहुंचे बिना आत्मशांति अथवा मोक्ष नहीं मिलता, यह समझ लें ।’
– (श्रीसत्शक्ति) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ
साधना कर मनुष्यजन्म का कल्याण करें !
‘आजकल भोगवाद बढ गया है । इसलिए लोग ईश्वर की भक्ति अथवा साधना करना नहीं चाहते । प्रत्यक्ष में संकटकाल आने पर यही लोग प्रश्न करते हैं कि ‘ईश्वर हमारे लिए क्या करते हैं ?’ यदि ऐसा लगता है कि ‘ईश्वर को हमारे लिए कुछ करना चाहिए’, तो प्रथम साधना आरंभ करें । ईश्वर की भक्ति अथवा साधना करने से ईश्वर की कृपा तो होती ही है; और मनुष्यजन्म का भी कल्याण ही होता है । इसलिए इस गुरुपूर्णिमा से प्रतिदिन साधना करने का निश्चय करें ।’
– (श्रीचित्शक्ति) श्रीमती अंजली गाडगीळ