पुरी के भगवान श्री जगन्नाथजी की रथयात्रा को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमति 

हिन्दू जनजागृति समिति तथा अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रविष्ट पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के पश्‍चात न्यायालय ने दी अनुमति !

परंपरा खंडित होने से रोकने के लिए न्यायालयीन संघर्ष करनेवाली हिन्दू जनजागृति समिति और अन्य याचिकाकर्ताओं का अभिनंदन ! हिन्दुओ, इस सफलता के लिए आइए भगवान श्री जगन्नाथजी के चरणों में कृतज्ञता व्यक्त करते हैं !

नई देहली – कल अर्थात २३ जून को निकाली जानेवाली पुरी (ओडिशा) के भगवान श्री जगन्नाथजी की रथयात्रा को सर्वोच्च न्यायालय ने अनुमति दे दी है । सर्वोच्च न्यायालय ने अनुमति देते समय स्पष्ट किया कि ‘मंदिर समिति, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के समन्वय तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के नियमों का योग्य पालन करके ही यह रथयात्रा संपन्न होनी चाहिए ।’ इससे पूर्व न्यायालय ने कोरोना के संकट के कारण यह रथयात्रा स्थगित की थी । न्यायालय द्वारा स्थगित की गई रथयात्रा के विरोध में ६ पुनर्विचार याचिकाएं प्रविष्ट की गई थीं । हिन्दू जनजागृति समिति की याचिका उनमें से एक थी । १३वें शतक में यह रथयात्रा प्रारंभ हुई थी । यदि रथयात्रा निरस्त हो गई होती, तो वह २८५ वर्षों में दूसरी घटना घटी होती । इससे पूर्व मुगलों ने भगवान श्री जगन्नाथजी की रथयात्रा निरस्त की थी ।

याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि ‘रथयात्रा का स्वरूप परिवर्तित कर इसे निकालने की अनुमति देने के संबंध में विचार किया जाए । पुरी शहर संपूर्णतः बंद कर और जनपद के बाहर के लोगों के प्रवेश पर रोक लगाकर रथयात्रा निकाली जाए ।’

इतने शतकों की परंपरा रोकी नहीं जा सकती ! – केंद्र सरकार

इन याचिकाओं पर सुनवाई के समय केंद्र सरकार ने भी अपना मत प्रस्तुत करते समय कहा था कि, भक्तों को सम्मिलित न करते हुए भी रथयात्रा निकाली जा सकती है । इतने शतकों की परंपरा रोकी नहीं जा सकती । यह करोडों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का विषय है । यदि भगवान श्री जगन्नाथजी कल मंदिर के बाहर नहीं आ पाए, तो परंपरा के अनुसार अगले १२ वर्ष तक वह बाहर नहीं आ पाएंगे । सरकार द्वारा कोरोना की पृष्ठभूमि पर अनेक प्रतिबन्ध लगाए गए हैं । उनका पालन कर यह कार्यक्रम संपन्न हो सकता है । लोगों की भीड न करते हुए, कोरोना की जांच में ‘निगेटिव’ (नकारात्मक) अहवाल प्राप्त पुजारियों को अनुमति देते हुए यह रथयात्रा संपन्न की जा सकती है । इसके लिए उचित सावधानी बरतते हुए राज्य सरकार दिनभर के लिए यातायात बंदी घोषित कर सकती है । लोग दूरदर्शन पर भगवान श्री जगन्नाथजी का दर्शन कर सकते हैं । पुरी के राजा और मंदिर समिति इससे संबंधित सर्व व्यवस्था करेंगे ।

सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पूर्व कहा था, ‘रथयात्रा को अनुमति देने से भगवान जगन्नाथ क्षमा नहीं करेंगे !’

भुवनेश्‍वर की निजी संस्था ‘ओडिशा विकास परिषद” ने न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करते हुए कहा था, ‘रथयात्रा को अनुमति देने से कोरोना का प्रसार हो सकता है । न्यायालय ने इससे पूर्व दीपावली पर पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाया था, तो रथयात्रा निरस्त करने हेतु आदेश जारी क्यों नहीं किया जा सकता ?’ उस पर १८ जून को सर्वोच्च न्यायालय ने रथयात्रा स्थगित करते हुए कहा था कि, ‘कोरोना महामारी को देखते हुए ऐसे संकट में भी यात्रा को अनुमति देने पर भगवान जगन्नाथ हमें क्षमा नहीं करेंगे । कोरोना संकट में भीड को आमंत्रित करनेवाली रथयात्रा को अनुमति नहीं दी जा सकती । लोगों की सुरक्षा के लिए यह निर्णय लिया गया है ।’

श्री जगन्नाथ रथयात्रा को मिली अनुमति, यह हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रविष्ट पुनर्विचार याचिका को सफलता ! – श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

श्री. रमेश शिंदे

पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा संसार में विख्यात यात्रा है । यह रथयात्रा कुछ शतकों से चल रही है तथा उसका एक बडा इतिहास है । एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर इस यात्रा का आयोजन दिनांक 18.6.2020 को स्थगित कर दिया था । इसके उपरांत हिन्दू जनजागृति समिति ने निर्णय में परिवर्तन की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका प्रविष्ट की थी । समिति ने इस याचिका द्वारा कहा था कि ‘सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेन्सिंग) बनाते हुए यह रथयात्रा आयोजित की जा सकती है तथा इस यात्रा पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाना अन्याय है ।’ अन्य याचिकाकर्ताओं ने भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में परिवर्तन करने हेतु याचिका प्रविष्ट की थी । उक्त पुनर्विचार याचिका और केंद्र तथा ओडिशा सरकारों द्वारा प्रस्तुत मतों का विचार करते हुए न्यायालय ने श्री जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा को 22.6.2020 को अनुमति दे दी है ।

हिन्दू विधिज्ञ परिषद तथा सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री. सुभाष झा ने लाखों भक्तों की ओर से इस प्रकरण में संघर्ष किया था । इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति ने उनके प्रति आभार व्यक्त किया है ।

रथयात्रा की परंपरा खंडित होने पर श्री जगन्नाथ क्षमा नहीं करेंगे ! – शंकराचार्य स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वती

हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं से संबंधित निर्णय लेते समय शंकराचार्यजी का मार्गदर्शन लिया जाए, ऐसी समस्त हिन्दुओं की अपेक्षा !

भुवनेश्‍वर (ओडिशा) – ‘‘किसी आस्तिक माननीय व्यक्ति की यह भावना हो सकती है कि, ‘संकटकाल में रथयात्रा निकालने पर भगवान जगन्नाथ उन्हें क्षमा नहीं करेंगे ।’ तथापि प्राचीन परंपरा खंडित होने पर क्या जगन्नाथ क्षमा करेंगे ? इस तथ्य को ध्यान में रखा जाना चाहिए।’’ पुरी पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी निश्‍चलानंद सरस्वतीजी ने इस रथयात्रा को अनुमति मिलने के निर्णय से पूर्व ऐसा वक्तव्य दिया था ।

शंकराचार्यजी ने आगे कहा, ”प्राप्त परिस्थिति और शास्त्रों पर आधारित प्राचीन परंपराओं को देखकर निर्णय लिए जाने की आवश्यकता थी । आज श्री जगन्नाथ पुरी का मंदिर पुरी पीठ के शंकराचार्यजी के क्षेत्र में है । परंपरा के अनुसार और सर्वोच्च न्यायालय की दृष्टि से भी हमें धार्मिक और आध्यात्मिक क्षेत्र का न्यायाधीश माना जाता है । हमें परंपरा से यह प्रशिक्षण प्राप्त है कि, ‘देश-काल परिस्थिति देखकर धर्म का निर्णय लेना चाहिए ।’ ऐसे समय न्यायालय का भी दायित्व है कि, ‘धार्मिक-आध्यात्मिक क्षेत्रों में निर्णय लेते समय हमसे चर्चा नहीं की जाए, अपितु हमारा मार्गदर्शन लिया जाए ।’ संक्रामक रोग का प्रादुर्भाव न हो; इसलिए न्यायालय ने रथयात्रा स्थगित करने का जो निर्णय दिया है, उनकी भावना पर आपत्ति नहीं है; परंतु यह निर्णय लेते समय पर्याप्त विचारविमर्श नहीं हुआ है । किसी की भावना हो सकती है कि ‘यदि इस संकट में रथयात्रा को अनुमति दी गई, तो भगवान जगन्नाथ कभी क्षमा नहीं करेंगे’; परंतु इतनी प्राचीन परंपरा तोडने पर क्या भगवान क्षमा करेंगे ?’’