भारत के वीर पुत्र विनायक दामोदर सावरकर के श्रीचरणों में समर्पित, एक कविता मेरी ओर से ।
हे भारत के वीर पुत्र ! हे भारत के वीर पुत्र, तुझको मैं शत-शत बार नमन करता हूं ।
तेरे चरणों की धूलि को अपना मैं सम्मान समझता हूं ।
हे भारत के वीर पुत्र, तू ऋषियों के शत वर्षों के तप का वरदान है ।
आजादी के हवन कुंड में, तू सबसे बडा बलिदान है ।
हे भारत के वीर पुत्र, क्षमा करना इस जग को, ये तेरे बलिदान से अनजान है ।
इनके इस दुख का कारण, इनका यह अज्ञान है ।
हे भारत के वीर पुत्र, कितना अद्भुत होता होगा वह दृश्य, जब माता तुझे सुलाती होगी ।
लेकर तुझे अपने आंचल में, जब मधुर लोरियां गाती होगी ।
ये सोच चित्त हर्षित हो उठता है, मिट जाऊं मातृभूमि के लिए इसी क्षण, ऐसा मन करता है ।
हे भारत के वीर पुत्र, तू हिन्दू का अभिमान है ।
तू वेदों की अमर वाणी, तू गीता का ज्ञान है ।
देंगे तुझको, जो तेरा है, हमने यह ठाना है ।
चाहे धरती डोले, बरसें शोले, बस, चलते जाना है ।
हे भारत के वीर पुत्र, तुझको मैं शत-शत बार नमन करता हूं ।
तेरे चरणों की धूलि को अपना मैं सम्मान समझता हूं ।
– नरेश तंवर, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय