ग्रंथमाला ‘गुरुकृपायोगानुसार साधना’

शीघ्र गुरुप्राप्ति एवं अखंड गुरुकृपा होने हेतु क्या करें, यह समझ लें !

गुरुकृपायोगानुसार साधना

     कर्म, भक्ति तथा ज्ञानयोग का त्रिवेणी संगम ‘गुरुकृपायोग’, ईश्‍वरप्राप्ति का सरल मार्ग है । प्रस्तुत ग्रंथ में गुरुकृपायोग का महत्त्व, अन्य योगमार्गों की तुलना में इस योगमार्ग से होनेवाली शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति, मृत्यु के उपरांत भी जीव पर गुरुकृपा होने की प्रक्रिया, ऐसे विविध अंगों के विषय में मार्गदर्शन किया गया है ।

गुरुकृपायोग की महिमा

     गुरुकृपायोग की महिमा गुरुकृपा के माध्यम से जीव को ईश्‍वरप्राप्ति होना, इसे ‘गुरुकृपायोग’ कहते हैं । इस ग्रंथ में ‘गुरुकृपायोगानुसार साधना’ के सिद्धांत, चरण इत्यादि की अभिनव जानकारी दी गई है । गुरुकृपा हेतु व्यष्टि एवं समष्टि साधना में समन्वय साध्य कर साधना करना तथा उसके लिए आवश्यक गुण आत्मसात करना, इसका भी विवेचन किया गया है ।

गुरुकृपायोगानुसार साधना (भाग ४) (लघुग्रंथ)

     गुरुकृपायोगानुसार साधना के चरण कौनसे हैं, ‘गुरुकृपायोग’ अन्य योगमार्गों की अपेक्षा श्रेष्ठ कैसे है, इस मार्गानुसार साधक का बुद्धिलय कैसे होता है, इस मार्ग से अल्पावधि में निवृत्ति कैसे साध्य होती है आदि प्रश्‍नों के उत्तर इस लघुग्रंथ में दिए हैं ।

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