देहली की ज्‍योतिष परिषद में हिन्‍दू जनजागृति समिति का सहभाग

ज्‍योतिषशास्‍त्र विज्ञान की कसौटी पर सिद्ध करने के लिए महर्षि अध्‍यात्‍म
विश्‍वविद्यालय की ओर से शोधन ! – सद़्‍गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, हिन्‍दू जनजागृति समिति

१. आचार्य डॉ. दलीप कुमार २. आचार्य अनिल वत्‍स और ३. डॉ. एच.एस. रावत एवं ४. प्रा. आचार्य अशोक मिश्रा के करकमलों सेे पुरस्‍कार स्‍वीकारते हुए ५. सद़्‍गुरु डॉ. पिंगळे

नई देहली – यहां २३ फरवरी को ‘ऑल इंडिया नवयुग एस्‍ट्रोलोजर्स एसोसिएशन’ की ओर से ज्‍योतिषियों के लिए परिषद आयोजित की गई
थी । इस परिषद को संबोधित करते हुए हिन्‍दू जनजागृति समिति के राष्‍ट्रीय मार्गदर्शक सद़्‍गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा, ‘‘भावी पीढी को ज्‍योतिषशास्‍त्र विज्ञान की कसौटी पर प्रमाणित करने के लिए महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय की ओर से अविरत शोधकार्य जारी है ।’’ हिन्‍दू जनजागृति समिति को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था । यहां देश-विदेश के २०० से भी अधिक ज्‍योतिषी उपस्‍थित थे ।
सद़्‍गुरु डॉ. पिंगळेजी द्वारा प्रस्‍तुत सूत्र
१. ‘ज्‍योतिषियों द्वारा बताए उपाय और उसका परिणाम कैसे होता है ?’, ‘कुछ ने यदि साधना की; परंतु ज्‍योतिषशास्‍त्र का अध्‍ययन नहीं किया, तब भी उनमें त्रिकाल समझने की क्षमता होती है । उनमें यह क्षमता कैसे आती है ?’, ‘किसी व्‍यक्‍ति के जीवन में सदेह गुरु आते हैं, तब गुरु की कृपा से उनके जीवन में समस्‍याआें का निवारण होता है क्‍या ?’ इ. का अध्‍ययन जारी है ।
२. महाराष्‍ट्र में १० वर्ष पूर्व अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून आनेवाला था । उसके एक कलम में ‘ज्‍योतिष विज्ञान नहीं और ज्‍योतिष की भविष्‍यवाणी यदि गलत सिद्ध हुई, तो उस पर ग्राहक संरक्षण कानून के अंंतर्गत जुर्माना होगा और कार्यवाही की जाएगी’, इस आशय का प्रावधान था ।
३. हिन्‍दू जनजागृति समिति ने इस कानून के विरोध में वैचारिक लडाई लडी । परिणामस्‍वरूप ज्‍योेतिषों के विरोध में यह धारा निकलकर ही कानून सम्‍मत हुआ । इससे हिन्‍दू धर्म का अविभाज्‍य अंग ज्‍योतिषशास्‍त्र सुरक्षित रखने में सफलता मिली ।
क्षणिका : इस अवसर पर सद़्‍गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी को सम्‍मानचिन्‍ह और शॉल देकर सम्‍मानित किया गया ।