सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थकों को यह कैसे समझ में नहीं आता कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अपेक्षा समाज हित एवं राष्ट्रहित अधिक महत्वपूर्ण है ? भविष्य में यदि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थन के नाम पर वे चोरी, बलात्कार, भ्रष्टाचार इत्यादि करनेवालों का भी समर्थन करने लगे, तो आश्चर्य नहीं होगा ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक