करवा चौथ
हिन्दू संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है । करवा चौथ पति एवं पत्नी दोनों के लिए नवप्रणय निवेदन तथा एक-दूसरे के लिए अपार प्रेम, त्याग, एवं उत्सर्ग की चेतना लेकर आता है ।
हिन्दू संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है । करवा चौथ पति एवं पत्नी दोनों के लिए नवप्रणय निवेदन तथा एक-दूसरे के लिए अपार प्रेम, त्याग, एवं उत्सर्ग की चेतना लेकर आता है ।
मार्च-अप्रैल २०२१ में कोरोना की दूसरी लहर आ रही थी तब बंगाल, तमिलनाडु, केरल ऐसे कुछ राज्यों में चुनाव हुए । इस निमित्त सभी दलों ने लाखों लोगों को रास्ते पर एकत्रित किया और शोभायात्राएं निकाली । जिसके परिणाम स्वरूप कोरोना संक्रमण में वृद्धि हुई ।
घर में प्रतिवर्ष हम जिन उपलब्ध शस्त्रों का पूजन करते हैं, उनकी तथा जीविका के साधनों की पूजा करें । एक-दूसरे को अश्मंतक के पत्ते देना संभव न हो, तो ये पत्ते केवल देवता को अर्पण करें ।
पूरे भारत में अत्यंत उत्साह एवं भक्तिमय वातावरण में नवरात्रि के व्रत का पालन किया जाता है । नवरात्रि की अवधि में घटस्थापना, मालाबंधन, अखंडदीप, सप्तशतीपाठ, गागर (घडा) फूंकना, डांडिया खेलना आदि कृत्य देवी के व्रत के ही विविध अंग हैं ।
भाद्रपद शुक्ल तृतीया से भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी की अवधि में हरितालिका, ऋषिपंचमी एवं ज्येष्ठा गौरी व्रत आते हैं । इन व्रतों को नैमित्तिक व्रत कहते हैं । नैमित्तिक व्रत निर्धारित तिथि को ही आते हैं ।
एक जिज्ञासु ने बताया कि तीज का त्योहार उत्तर भारत में मनाते हैं; परंतु हमें इतनी जानकारी नहीं है, यहां पर बताई गई तीज एवं नागपंचमी की जानकारी का बहुत ही लाभ हुआ ।
कोरोना विषाणुओं से प्रभावित क्षेत्रों में जहां संचार बंदी (लॉकडाउन) है, वहां एकत्र आकर पूजा करना संभव नहीं होगा । इसलिए एकत्र न आते हुए अपने-अपने घरों में ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा कैसे कर सकते हैं, इसका इस लेख में प्रमुख रूप से विचार किया है ।
श्रावण पूर्णिमा अर्थात इस वर्ष २२ अगस्त को रक्षाबंधन है । रक्षाबंधन त्योहार के दिन बहन अपने भाई की आरती कर प्रेम के प्रतीक के रूप में उसे राखी बांधती है । भाई अपनी बहन को भेंटवस्तु देकर उसे आशीर्वाद देता है ।
सर्पयज्ञ करनेवाले जनमेजय राजा को आस्तिक नामक ऋषि ने प्रसन्न कर लिया था । जनमेजय ने जब उनसे वर मांगने के लिए कहा, तो उन्होंने सर्पयज्ञ रोकने का वर मांगा एवं जिस दिन जनमेजय ने सर्पयज्ञ रोका, उस दिन पंचमी थी ।