चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सात्त्विक वातावरण में ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्ष का स्वागत करना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक !

‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ और सूक्ष्म चित्रों के माध्यम से किए अध्ययन तथा सम्मिलित साधकों के व्यक्तिगत अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय पद्धति से ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्षारंभ मनाना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभदायक है तथा पश्चिमी पद्धति से नववर्षारंभ मनाना हानिकारक है ।

श्रीराम नवमी तिथि : चैत्र शुक्ल ९ (१० अप्रैल)

श्रीराम के जन्म प्रीत्यर्थ श्रीराम नवमी मनाई जाती है । इस दिन जब पुष्य नक्षत्र पर, मध्यान्ह के समय, कर्क लग्न में सूर्यादि पांच ग्रह थे; तब अयोध्या में प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ । अनेक राममंदिरों में चैत्र शुक्ल १ से लेकर नौ दिन तक यह उत्सव चलता है ।

हनुमान जयंती

पंचमुखी हनुमान के पांच मुख हैं – गरुड, वराह, हयग्रीव, सिंह एवं कपिमुख । दशभुज मूर्तियोंके हाथोंमें ध्वज, खड्ग, पाश इत्यादि शस्त्र हैं । पंचमुखी देवता का अर्थ है पूर्व, पश्चिम, दक्षिण एवं उत्तर, ये चार दिशाएं एवं ऊर्ध्व दिशा, इन पांचों दिशाओं पर उनका स्वामित्व है ।

होली में होनेवाले अनाचारों पर प्रशासन कठोरता से रोक लगाए ! – हिन्दू जनजागृति समिति की मांग

होली, दुष्टप्रवृत्तियों एवं अमंगल विचारों का नाश कर, सत्य का मार्ग दिखानेवाला उत्सव है ! दुर्भाग्य से आजकल इस उत्सव को विकृत रूप प्राप्त हो गया है । इस दिन मुख पर कालिख पोतना, मद्य पीकर हुडदंग मचाना, कूडे की होली जलाना जैसे अनेक अधार्मिक और फूहड कार्य होते दिखाई देते हैं ।

लक्ष्मणपुरी (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) में होली मनाने के लिए मस्जिदों ने बदला नमाज का समय !

हिन्दू त्योहारों के दिन, हिन्दुओं ने, मस्जिदों से पत्थर फेंकने या हिन्दुओं पर आक्रमण के समाचार अनेक बार पढे होंगे । किन्तु वर्तमान में, उत्तर प्रदेश में प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ, सनातन संस्कृति के पोषक, योगी माननीय आदित्यनाथ जी की सरकार होने के फलस्वरूप, अब ऐसे समाचार पढने को मिल रहे हैं !

होली १७ मार्च (फाल्गुन पूर्णिमा)

होली धर्मशास्त्रानुसार मनाएं !      होलिकोत्सव दुष्प्रवृत्ति व अमंगल विचारों को समाप्त कर, सन्मार्ग दर्शानेवाला उत्सव है । इस उत्सव का महान उद्देश्य है, अग्नि में वृक्षरूपी समिधा अर्पित कर वातावरण को शुद्ध करना । ‘आदर्श होलिकोत्सव’ इस प्रकार मनाएं !      श्री होलिका-पूजनस्थल को गोबर से लीपकर, रंगोली से सुशोभित करें । … Read more

महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था द्वारा अध्यात्मप्रसार

     महाशिवरात्रि के दैवी अवसर पर भगवान शिव के संदर्भ में अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी सभी जिज्ञासुओं को हो, इसलिए सनातन संस्था द्वारा विविध उपक्रमों का आयोजन किया गया ।      प्रवचनों के माध्यम से महाशिवरात्रि का व्रत कैसे करें ?, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी का नामजप अधिकाधिक क्यों करें ?, शिवतत्त्व आकर्षित करनेवाली रंगोलियां बनाना, शिवजी … Read more

महाशिवरात्रि

शिवरात्रि के दिन रात्रि के चार प्रहर चार पूजा करने का विधान है । उन्हें ‘यामपूजा’ कहते हैं । प्रत्येक यामपूजा में भगवान शिव को अभ्यंगस्नान करवाएं, अनुलेपन करें तथा धतूरा, आम एवं बेल के पत्ते चढाएं । चावल के आटे के २६ दीप जलाकर उनकी आरती उतारें । पूजा के दिन १०८ दीपों का दान दें ।

महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर अभिषेक करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ होना

महाशिवरात्रि का व्रत फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की तिथि पर आता है । महाशिवरात्रि पर शिवतत्त्व सदैव की तुलना में १ सहस्र गुना कार्यरत होता है । महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना, अभिषेक, पूजा एवं जागरण करने की परंपरा है ।

माघ स्नानारंभ

‘गंगाजी शिवतत्त्व का सगुण रूप है’, इस मनोभाव से नमस्कार करें तथा विष्णुस्मरण करें ।