नाशिक – २९ जून को बकरी ईद के उपलक्ष्य में शहर में लगाए गए फलक पर ‘मोहम्मद सुफिखान रजा फ्रेंड सर्कल गुलशनाबाद’ ऐसा उल्लेख किया गया है । नाशिक नगर का उल्लेख ‘गुलशनाबाद’ करने से हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने संतप्त प्रतिक्रिया व्यक्त की है ।
(सौजन्य : ABP MAJHA)
मुगलकाल में नाशिक नगर का नाम ‘गुलशनाबाद’ था । तदनंतर पेशवाईकाल में ‘गुलशनाबाद’ का नामकरण ‘नाशिक’ किया गया था; परंतु अब अचानक नाशिक का उल्लेख ‘गुलशनाबाद’ किए जाने से आश्चर्य हो रहा है । सामाजिक माध्यमों द्वारा इस कृत्य का निषेध किया जा रहा है ।
संपादकीय भूमिका
औरंगजेब का जानबूझकर महिमामंडन करना, अफजलखान वध के चित्र का विरोध करना, ‘लव पाकिस्तान’ लिखे हुए गुब्बारों की बिक्री होना, त्र्यंबकेश्वर मंदिर में धर्मांधों द्वारा घुसने का प्रयास करना और अब नाशिक का ‘गुलशनाबाद’ ऐसा उल्लेख करना, यह सभी गतिविधियां अर्थात एक सुनियोजित षड्यंत्र तो नहीं है ?, इसकी पुलिस द्वारा जांच होनी चाहिए ! यदि किसीको लगे कि ‘ऐसे प्रकरण अर्थात हिन्दुओं पर वर्चस्व जमाकर उस माध्यम द्वारा आतंक निर्माण करने का प्रयास है’, तो इसमें चूक क्या है ?
ऐसी घटना होना, पुलीस के लिए लज्जाजनक ! पुलिस, ऐसी गतिविधियों की जडें ढूंढकर संबंधितों पर कठोर कार्रवाई नहीं करती । इसीलिए धर्मांधों को अवसर मिलता है !