‘सनातन प्रभात’ – केवल समाचार देनेवाला नहीं, अपितु वास्तव में समाज का उद्बोधन करनेवाला नियतकालिक !

‘सनातन प्रभात’ के विषय में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के उद्बोधक विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

‘विभिन्न समाचारपत्रों में समाज में प्रतिदिन होनेवाली केवल अप्रिय घटनाओं के समाचार दिए जाते हैं; परंतु ‘उसके संदर्भ में क्या दृष्टिकोण होना चाहिए ? तथा ऐसी घटनाएं पुनः न हों; इसके लिए क्या उपाय करने चाहिए ?’, इसके संदर्भ में कोई भी नियतकालिक उद्बोधन नहीं करता । ऐसा केवल ‘सनातन प्रभात’ के नियतकालिकों में ही बताया जाता है ।’

केवल अप्रिय घटनाओं के समाचार देनेवाला नहीं; अपितु ऐसी घटनाएं पुनः न हों इसके लिए उपाय बतानेवाला भी एकमात्र नियतकालिक ‘सनातन प्रभात’ !

‘अधिकांश समाचार पत्र समाज में घटित होनेवाली अप्रिय घटनाओं के केवल समाचार ही देते हैं । सर्वसामान्य लोग ऐसे समाचार केवल पढते हैं तथा उनकी अनदेखी करते हैं । ‘सनातन प्रभात’ भी ऐसे समाचार देता है; परंतु उसमें ‘वैसी घटना पुनः न हो; इसके लिए क्या करना चाहिए ?’, साथ ही इस संदर्भ में समाज के एक घटक के रूप में पाठक को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए ?’ इत्यादि पाठकों को बताता है । उसके कारण ‘ऐसी घटनाएं पुनः न हों’, इसके लिए पाठकों को उचित दृष्टिकोण मिलता है तथा उस प्रकार से उनकी विचार प्रक्रिया होती है । यही विचार प्रक्रिया आगे जाकर आदर्श हिन्दू राष्ट्र के लिए सहायक सिद्ध होगी ।’

– (सच्चिदानंद परब्रह्म) डॉ. आठवले (२०.११.२०२१)