न्यायालय को ऐसी मोहलत देनी पडती है, इसका अर्थ सरकार की ओर से अपेक्षित ऐसे प्रयास नही हो रहे हैं, यह स्पष्ट होता है ! इस कारण इस देश में प्रत्येक बात न्यायालय के बताए बिना नहीं होती है, ऐसी स्थिति निर्माण हो गई है । यदि ऐसा है, तो सरकार नाम का खर्चीला तंत्र क्यों चाहिए ? – संपादक
नई दिल्ली – यदि आपने प्रदूषण रोकने के लिए कदम नही उठाए, तो कल हम कठोर कार्यवाही करेंगे । हम आपको २४ घंटे की मोहलत दे रहे हैं । इस दौरान उपाय नही ढूंढा, तो हम कदम उठाएंगे, ऐसे शब्दों में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली और केंद्र सरकार को सुनाया । ‘हमें लगता है कि, कोई भी कदम उठाए नहीं जाते हैं । प्रदूषण नियमित बढ ही रहा है । केवल समय बर्बाद हो रहा है’, ऐसे शब्दों में मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमणा ने सरकार को फटकारा । पिछले ४ सप्ताह से दिल्ली में हवा के प्रदूषण पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चालू रहते हुए भी अभीतक ठोस कदम ना उठाए जाने पर न्यायालय ने अप्रसन्नता व्यक्त की है ।
दिल्ली सरकार द्वारा विद्यालय पुन: चालू करने के निर्णय पर भी न्यायालय ने फटकारा । विद्यालय चालू किए हैं, तो भी ऑनलाइन शिक्षा का पर्याय भी बच्चों को उपलब्ध होने का दिल्ली सरकार ने न्यायालय को बताया । उसपर न्यायालय ने ‘आप कहते हैं विद्यार्थियों को ऑनलाइन का भी पर्याय उपलब्ध है; लेकिन किसी को घर पर रुकने की इच्छा है ? हमारे पास भी बच्चे और नाती हैं । कोरोना का संक्रमण चालू होने से लेकर वे कौन सी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, यह हमें ज्ञात हैं’, ऐसे शब्दों में दिल्ली सरकार को सुनाया ।
तो भी प्रदूषण क्यों बढ रहा है ?
प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार के प्रयत्नशील होने के दावे पर भी न्यायालय ने फटकारा । न्यायालय ने कहा कि, इस समस्या पर सुनवाई चालू हुई, तब हवा की एक विशेष गुणवत्ता थी । यदि आप इतने प्रयास करने का बता रहे हैं, तो प्रदूषण क्यों बढ रहा है ? कोई भी सामान्य व्यक्ति यह प्रश्न पूछेगा । अधिवक्ता अनेक दावे कर रहे हैं और सरकार बहुत प्रयास कर रही है , तो भी प्रदूषण क्यों बढ रहा है ?, ऐसा प्रश्न न्यायालय ने रखा है ।