वर्तमान धर्मनिरपेक्ष, भ्रष्ट, स्वार्थलोलुप, जातिवाद एवं देशाभिमानशून्य राज्यप्रणाली में ही सभी उलझ गए हैं । इस कारण ‘हिन्दू राष्ट्र’ की इस तेजस्वी संकल्पना को भेदा जा रहा है । छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘हिन्दू राष्ट्र’ का आदर्श लेकर वर्ष २०२३ में भारत में संपन्न, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक धरोहर संजोनेवाला तथा ‘रामराज्य’ के दर्शन करवानेवाला एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होगा ! इसलिए समाज के सभी घटकों का योगदान किस प्रकार चाहिए, वह देखेंगे ।
१. धर्मसंस्थापना के लिए योगदान देना, धर्मकर्तव्य ही है !
धर्मसंस्थापना हेतु दो घटक आवश्यक होते हैं – ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज । राष्ट्र के लिए साधना के आधार पर ‘ब्राह्मतेज’ का संवर्द्धन करने का कार्य अधिकांशतः संत एवं ‘सनातन संस्था’ समान आध्यात्मिक संस्थाएं कर रही हैं; जबकि राष्ट्र की दयनीय स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए राष्ट्रप्रेमी एवं धर्मप्रेमी संस्थाएं, कुछ नियतकालिक तथा अनेक विचारक क्रमशः शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक स्तर पर प्रत्यक्ष कार्य अर्थात ‘क्षात्रतेज’ का संवर्द्धन कर रहे हैं । इस कार्य का स्वरूप निम्नानुसार है ।
अ. शारीरिक : धर्मसंस्थापना हेतु प्रत्यक्ष देह से कृत्य करना, उदा. प्रत्यक्ष धर्महानि रोकना, धर्महानि के विरोध में आंदोलन करना, प्रत्यक्ष कृत्य करना इत्यादि । (कालानुसार इसका महत्त्व १० प्रतिशत है ।)
आ. मानसिक : हिन्दुओं का प्रबोधन कर उन्हें सक्रिय करना, उदा. समाचारपत्र, नियतकालिकों में बोधप्रद लेखन करना, व्याख्यान देना इत्यादि का कालानुसार महत्त्व १० प्रतिशत है ।
इ. बौद्धिक : धर्मसंस्थापना हेतु हिन्दू समाज को दिशा देना, उदा. हिन्दुओं पर आ रही आपदाओं का अध्ययनपूर्वक विश्लेषण करना, संगठनों को वैचारिक सामर्थ्य प्रदान करना इत्यादि । (कालानुसार इसका महत्त्व भी १० प्रतिशत है ।)
ई. आध्यात्मिक : धर्मसंस्थापना के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक कार्य को आध्यात्मिक बल प्राप्त होने हेतु उपासना करना, उदा. कार्य की पूर्णता हेतु नामजप, यज्ञ-यागादि उपासना । (कालानुसार इसका महत्त्व सर्वाधिक अर्थात ७० प्रतिशत है ।)
२. हिन्दुओ, ‘हिन्दू राष्ट्र-स्थापना’ के धर्मकार्य हेतु इस प्रकार योगदान दें !
अ. ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ हेतु कार्यरत संस्था, संगठन एवं संप्रदायों के उपक्रमों में प्रत्यक्ष सम्मिलित हों ! इसके लिए प्रतिदिन न्यूनतम १ घंटा समय अवश्य दें !
आ. ‘हिन्दू राष्ट्र’ के संबंध में जनजागृति करना
इ. शिक्षकों द्वारा विद्यालयों में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की संकल्पना के प्रसार हेतु छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर सावरकर आदि राष्ट्रपुरुषों के स्मृतिदिन मनाना
ई. अधिवक्ताओं द्वारा (वकीलों द्वारा) ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना हेतु कार्य करनेवालों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना
उ. पत्रकारों द्वारा समाचारपत्र में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना का महत्त्व विशद करनेवाले लेख प्रकाशित करना
ऊ. शासकीय सेवा में कार्यरत कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा वर्तमान प्रशासन व्यवस्था में त्रुटियां न रहें, इस हेतु समाधान-योजना ढूंढना
ए. व्यापारियों द्वारा प्रतिमास वस्तु अथवा धन अर्पित करना ।
ऐ. पुस्तकालयों द्वारा ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना का विचार प्रसारित करनेवाले ग्रंथ उपलब्ध करवाना
ओ. हिन्दू संगठनों द्वारा प्रबोधनपरक उपक्रम चलाना
औ. वेदपाठशाला एवं पुरोहितों द्वारा ‘हिन्दूराष्ट्र’ की स्थापना के लिए आध्यात्मिक बल प्राप्त हो इस हेतु यज्ञयाग आदि करना
अं. संतों एवं आध्यात्मिक संप्रदायों द्वारा ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना हेतु प्रतिदिन कुछ समय प्रार्थना एवं नामजप करना
(संदर्भ : ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ समर्थित ग्रंथ ‘हिन्दू राष्ट्र क्यों आवश्यक है ?’)