हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना अपरिहार्य है ! – रमेश शिंदे, हिन्दू जनजागृति समिति

श्री. रमेश शिंदे

     हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की दृष्टि से अनेक लोगों के मन में विविध प्रश्न आते हैं । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने इन प्रश्नों के उत्तर दिए हैं ।

प्रश्न : हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना क्या है ?

उत्तर : ‘वैश्विक इतिहास में प्राचीन काल से भारत हिन्दू राष्ट्र ही था । अन्य पंथों के संस्थापकों के जन्म से सैकडों वर्ष पूर्व से ही भारत में हिन्दुओं का अस्तित्व था । इसका उल्लेख रामायण-महाभारत में पाया जाता है । आज जो लोग धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान देखते हैं, वह विगत कुछ दशकों की है, तब सहस्रों-लाखों वर्ष का इतिहास क्यों भूलें ? आज भी विश्व में ईसाईयों के १५७, मुसलमानों के ५२, बौद्धों के १२ तथा यहूदियों का १ राष्ट्र है । पूरे संसार में हिन्दुओं का राष्ट्र कहां है ? क्या हिन्दुओं का स्वयं का एक राष्ट्र भी नहीं हो सकता ? आप कहेंगे, विश्व में एक भी हिन्दू राष्ट्र न हो, तो उससे क्या अंतर पडता है ?, पर अंतर पडता है । वर्तमान लोकतंत्र के सिद्धांतानुसार भी यह वचन सर्वमान्य है, ‘जिसे बहुमत, उसे सत्ता ।’ यदि लोकतंत्र का यह सूत्र स्वीकार करें, तो भी इस देश में हिन्दू बहुसंख्यक होने के कारण इसे ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने में क्या समस्या है ? आज संविधान में घुसेडे गए ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द के कारण सभी राजनीतिक दल अल्पसंख्यकों के एकत्रित मत के लिए उनका तुष्टीकरण कर रहे हैं । इस कारण हिन्दुओं को दूसरे स्तर (दर्जे) का स्थान प्राप्त हुआ है । ‘देश की साधन-संपत्ति पर मुसलमानों का प्रथम अधिकार है’, कांग्रेस के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सार्वजनिक रूप से ऐसा कहने का दुस्साहस करते हैं । देश में मक्का एवं जेरूसलेम की यात्राओं पर जाना धर्मनिरपेक्ष घोषित कर, उसके लिए करोडों रुपयों का अनुदान दिया जाता है; परंतु हिन्दुओं को कुंभ पर्व पर ‘कर’ (टैक्स) देना पडता है । देश में समान नागरिकता कानून पारित नहीं होता । ३० वर्षाें के उपरांत भी कश्मीर से खदेडे गए हिन्दू पुन: घर जाने का विचार नहीं कर सकते तथा ईशान्य राज्यों में छल-कपट, बल आदि द्वारा हिन्दुओं का ईसाईकरण किया जा रहा है । छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शाें पर आधारित हिन्दवी स्वराज्य (अर्थात हिन्दू राष्ट्र) होना अपरिहार्य है । यह राष्ट्र केवल राजनीतिक दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र न होकर ‘धर्माधिष्ठित’ अर्थात धर्म राष्ट्रीय जीवन का केंद्र बिंदु होगा । वर्तमान धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की तुलना में यह राष्ट्र हितकारी होगा । धर्माधिष्ठित जीवन जीने की प्रगल्भ संस्कृति होगी ।

प्रश्न : आप पर ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना ‘लोकतांत्रिक विचारों के भारत देश में दो धर्माें में भेदभाव उत्पन्न करने का प्रयत्न कर रही है ।’ इस संदर्भ में आप क्या कहेंगे ?

उत्तर : हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना प्रस्तुत करते समय हमने कभी भी ऐसा नहीं कहा कि ‘हिन्दू राष्ट्र में अन्य धर्मियों को स्थान नहीं होगा ।’ जब इस्लामी और ईसाई विस्तारवादियों के आक्रमण आरंभ हुए, तब पारसी और यहूदी (ज्यू) पर अत्याचार न करते हुए उन्हें आश्रय देनेवाले, उन्हें अपनी थाली का भोजन देनेवाले हिन्दू ही थे । इसलिए भारत के हिन्दू राष्ट्र होने से किसी को भी समस्या नहीं होनी चाहिए; किंतु धर्मनिरपेक्षता के नाम पर राजनीति करनेवाले दलों को उनका धंधा बंद होने का डर लग रहा है, इसलिए वे अन्यों के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र के विरुद्ध कोलाहल मचा रहे हैं । कुछ ही दिनों पूर्व मक्का-मदीना के मौलाना ने सार्वजनिक रूप से कहा कि ‘विश्व में भारत के मुसलमान सर्वाधिक सुखी हैं ।’ वर्तमान में अल्पसंख्यकों का अनावश्यक तुष्टीकरण कर उन्हें उद्दंड बनाया गया है । हिन्दू राष्ट्र में ऐसा तुष्टीकरण नहीं किया जाएगा ।

प्रश्न : ‘हिन्दू-संगठन कर आप अन्य धर्मियों के विरुद्ध द्वेषभावना फैला रहे हैं’, इस आक्षेप पर आपका क्या मत है ?

उत्तर : आज भारत के अल्पसंख्यक सबसे अधिक संगठित हैं । ईद के अवसर पर रास्ते रोककर प्रार्थना की जाती है । कानूनी अनुमति न होते हुए भी प्रतिदिन सवेरे ध्वनिविस्तारक पर अजान की आवाज से नींद टूटती है । देश में बहुसंख्यक होते हुए भी हिन्दू सबकुछ सहन कर रहे हैं । अन्य सभी के संगठित होते हुए हिन्दुओं का संगठन होने पर डरने का क्या कारण है ? भारत विभाजन के समय हिन्दुओं पर असंख्य अत्याचार हुए, तब भी इतने वर्षाें से मुसलमान यहां सुख से रह रहे हैं । यह भारत की हिन्दू संस्कृति और हिन्दुओं की सहिष्णुता की श्रेष्ठता का उदाहरण है । भारत से अलग हुए बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिन्दुओं की दयनीय स्थिति हो रही है । उसकी तुलना में भारत में अल्पसंख्यों की संख्या बढकर वे बहुसंख्यक होने की दिशा में हैं ।

– श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति