‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से हुई एक भेंट में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के संदर्भ में बोलते हुए वे मुझसे कहने लगे, ‘‘उनका कितना अच्छा चल रहा है न ! उनके जैसा हमारे पास और कौन हैं ?’’ उनके ये उद्गार सुनने पर उनके प्रति मेरे ध्यान में आए सूत्र यहां दिए गए हैं ।
१. उत्तर भारत के साधकों का श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्री चित्शक्ति (श्रीमती) अंजली
गाडगीळजी के साथ अत्यल्प संपर्क होते हुए भी उन साधकों के मन में ‘इन दोनों के प्रति विलक्षण भाव हैं’, ऐसा प्रतीत होना
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के प्रति उत्तर भारत के साधकों के मन में बहुत भाव है । अनेक बार साधक उनका भावपूर्ण उल्लेख करते हैं तथा ऐसा करते समय उनकी भावजागृति होती है, ऐसा मुझे प्रतीत होता है । साधकों को उनका आधार लगता है । वास्तव में देखा जाए, तो श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी महर्षिजी की आज्ञा पर वर्ष में केवल एक बार उत्तर भारत के एकाध जनपद में कुछ दिन के लिए देवतादर्शन के लिए आती हैं, तो श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी तो उत्तर भारत केवल एक बार ही गई थीं । उत्तर भारत के साधक जब रामनाथी आश्रम आते हैं, तब कभी-कभी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी से उनका संपर्क आता है; परंतु ऐसा होते हुए भी साधकों में इन दोनों के प्रति विलक्षण भाव है ।
२. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को साधकों की समस्याओं का तुरंत
आंकलन होना और उनके द्वारा उनकी समस्याओं का तुरंत समाधान निकाला जाना
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के संदर्भ में परात्पर गुरु डॉक्टरजी कह रहे थे, ‘‘वे साधकों के प्रश्नों का तुरंत उत्तर देती हैं । उन्हें सबकुछ तुरंत समझ में आता है ।’’ परात्पर गुरु डॉक्टरजी की इन बातों का यह भावार्थ मुझे ऐसा लगा कि ‘लौकिक दृष्टि से साधकों की साधना के संबंध में कोई विषय हो अथवा साधक उन्हें कुछ बताने के लिए आएं, तो उन्हें उस विषय का तुरंत आंकलन हो जाता है और उस संदर्भ में वे तुरंत ही आगे की प्रक्रिया बताती हैं अथवा उचित समाधान निकालती हैं । आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इसका विश्लेषण यह है कि उन्हें ‘श्री गुरुदेवजी को इसमें क्या अपेक्षित है ?’, यह तुरंत समझ में आता है और वे ‘उन्हें जो अपेक्षित होता है, वह तुरंत करती हैं’, ऐसा मुझे लगा ।
३. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की विलक्षण प्रतिभा के संदर्भ में प्रतीत हुए सूत्र !
३ अ. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को वाराणसी सेवाकेंद्र के संबंध में निहित सूत्र केवल सुनने पर ही तुरंत समझ में आना : श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी की विलक्षण प्रतिभा का मुझे भी अनेक बार अनुभव हुआ है । उनका आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत घोषित होने से पूर्व मैं कभी-कभी वाराणसी सेवाकेंद्र से संबंधित कुछ सूत्रों के संदर्भ में बोलता था, तब मेरे लिए उन्हें सभी सूत्र वैसे के वैसे बताना कठिन होता था; परंतु उस समय गोवा में होते हुए भी मैं उन्हें जो जानकारी देता था, उसके आधार पर उन्हें सबकुछ समझ में आता था । तब उनके द्वारा दिए गए उत्तर सुनकर मुझे लगता था, ‘यह इनकी समझ में कैसे आ गया ?’ उनका ‘आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत घोषित होते ही उनकी प्रतिभा बढती ही चली गई ।’, मुझे इसकी प्रतीति वाराणसी सेवाकेंद्र के संदर्भ में उनसे कुछ पूछने पर होती थी ।
३ आ. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी वाराणसी सेवाकेंद्र में केवल २ दिनों के लिए होते हुए भी उनका कुछ ही समय घूमकर सेवाकेंद्र देखना और उसके उपरांत सेवाकेंद्र की सेवाओं का मार्गदर्शन करना : नवंबर २०१९ में वे वाराणसी सेवाकेंद्र आई थीं । उस समय उनका केवल २ दिनों का ही निवास था । वहां से निकलने से पूर्व उन्होंने कुछ समय घूमकर सेवाकेंद्र देखा और उन्होंने तुरंत वहां की सेवाओं के लिए मार्गदर्शन किया ।
३ इ. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी से एक साधक की साधना के संदर्भ में बात करने पर ‘क्या वे साधना करने के इच्छुक हैं ?’, यह पूछेंगे, ऐसा बताना और वास्तव में उस साधक की पूर्णकालीन साधना करने की इच्छा होना : दक्षिण भारत के एक साधक कोलकाता (बंगाल) में नौकरी करते हैं । मेरे साथ पहले उनकी कभी बात नहीं हुई थी । एक बार उनकी साधना के संदर्भ में सुनकर श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी से बात करने पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझे ऐसा लगता है कि उस साधक से यह पूछ लेना चाहिए, ‘क्या उनमें साधना करने की इच्छा है ?’, यह सुनकर मैं आनंदित हुआ और ‘उन्होंने ऐसा क्यों बताया होगा ?’, इसका मुझे आश्चर्य हुआ । उस साधक से पहली बार ही मेरी बात हुई, तब मुझे यह ज्ञात हुआ कि ‘वे साधक पहले फोंडा, गोवा में रहकर पूर्णकालीन साधना करते थे; परंतु कुछ समय पश्चात वे कुछ पारिवारिक कारणवश घर वापस चले गए थे । अब उनके मन में भविष्य में पूर्णकालीन साधना करने के विचार हैं’, यह ज्ञात हुआ ।
– (पू.) श्री. नीलेश सिंगबाळ, वाराणसी, उत्तर प्रदेश. (२३.४.२०२१)
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी में निहित समष्टि के प्रति एकरूपता !१. प्रसार में हुए कोई प्रसंग सुनकर श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी द्वारा दिया गया उत्तर सुनकर समष्टि के साथ उनकी एकरूपता प्रतीत होना : श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को प्रसार में हुए कोई प्रसंग बताते समय अथवा उस विषय में उनसे प्रश्न पूछते समय लगता है ‘मानो उन्होंने उस प्रसंग का निकटता से अनुभव कर यह उत्तर दिया है ।’ उससे उनकी समष्टि के साथ एकरूपता ध्यान में आती है । ऐसे कुछ उदाहरणों से ध्यान में आता है कि ‘उन्हें संक्षेप में भी कुछ बताया गया, तो आगे क्या करना अपेक्षित है ?’, यह उनकी समझ में आता है और वे उसके अनुसार बताती हैं ।’ २. श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के संदर्भ में मन में केवल विचार भी आया अथवा उनका स्मरण भी हुआ, तो ऐसे लगता है कि ‘वे निकट ही हैं ।’ उससे समष्टि के साथ उनकी एकरूपता ध्यान में आती है ।’ – (पू.) श्री. नीलेश सिंगबाळ, वाराणसी. (२३.४.२०२१) |