देवताआें की उपासना हेतु प्रेरित करनेवाली सनातन की ग्रंथमाला !

श्रीविष्‍णु, श्रीराम एवं श्रीकृष्‍ण

     श्रीविष्‍णु, श्रीराम एवं श्रीकृष्‍ण के नामों का अर्थ, रूपों का भावार्थ, उनकी गुण-विशेषताएं, उपासना की पद्धति एवं उसका अध्‍यात्‍मशास्‍त्रीय आधार, उनसे संबंधित त्‍योहार, व्रत एवं उत्‍सव मनाने का अध्‍यात्‍मशास्‍त्र, इन देवताओं के नामजप के लाभ आदि इस ग्रंथ से समझ लें !

श्री हनुमान (खंड १) लघुग्रंथ

  • हनुमानजी की मूर्ति अधिकतर सिंदूरी क्‍यों होती है ?
  • हनुमानजी का कार्य तथा गुण-विशेषताएं क्‍या हैं ?
  • हनुमानजी को तेल, सिंदूर, मदार क्‍यों अर्पित करते हैं ?
  • साढेसाती निवारणार्थ हनुमानजी की उपासना कैसे करें ?

श्रीरामरक्षास्‍तोत्र एवं हनुमानचालीसा (अर्थसहित) लघुग्रंथ

     स्‍तोत्र में देवता की स्‍तुतिसहित पाठ करनेवालों के सर्व ओर सुरक्षा-कवच निर्माण करने की शक्‍ति भी होती है । स्‍तोत्रों की फलश्रुति के संदर्भ में रचयिता के संकल्‍प के कारण, स्‍तोत्रपाठ से इच्‍छापूर्ति, वैभव, पापनाश आदि फलप्राप्‍ति होती है !

श्रीराम (अध्‍यात्‍मशास्‍त्रीय ज्ञान) लघुग्रंथ

  • श्रीराम के कुछ नामों का उद्‍गम कैसे हुआ ?
  • रामायण के कुछ प्रसंगों का भावार्थ क्‍या है ?
  • श्रीराम की उपासना कैसे करनी चाहिए ?
  • हमारे जीवन में रामायण का अर्थ क्‍या है ?