बलोपासना से हनुमानजी की कृपा पाएं !

     धर्म-अधर्म की लडाई में महत्त्वपूर्ण देवता हैं, हनुमानजी! हनुमानजी ने रावण के विरुद्ध प्रभु श्रीराम का सहयोग किया तथा महाभारत के युद्ध में भी वे कृष्‍णार्जुन के रथ पर विराजमान थे। हिन्‍दुस्‍थान में जब मुगल सत्ता अत्‍यधिक अत्‍याचार कर रही थी, तब महाराष्‍ट्र में समर्थ रामदासस्‍वामीजी ने हनुमानजी की ११ मूर्तियां स्‍थापित कीं एवं हिन्‍दुओं में हिन्‍दवी स्‍वराज्‍य की स्‍थापना हेतु चेतना जागृत की । 

हनुमानजी की उपासना अंतर्गत कृत्‍य

  • तेल, सिंदूर एवं मदार के पुष्‍प व पत्तों में हनुमानजी के सूक्ष्म स्‍पंदन आकृष्‍ट करने की क्षमता होती है ।
  • इन्‍हें चढाने से पूजक को चैतन्‍य मिलता है ।
  • हनुमानजी को अनामिका से सिंदूर लगाएं ।
  • मदार के पुष्‍प-पत्र पांच या पांच गुना संख्‍या में चढाएं ।
  • केवडा, चमेली या अंबर में से किसी एक गंध की २ अगरबत्तियां घुमाएं ।

(अधिक विवेचन हेतु पढेें : सनातन संस्‍था का लघुग्रंथ ‘श्री हनुमान’)

हिन्‍दुओ, हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना हेतु बलोपासना करो !

     राष्‍ट्र एवं धर्म की रक्षा हेतु यदि हम बलोपासना करें, तो हमें हनुमानजी के आशीर्वाद निश्‍चित ही प्राप्‍त होंगे । अत: बलोपासना के रूप में यह करें –

  • प्रतिदिन न्‍यूनतम एक घंटा शारीरिक बल बढानेवाले व्‍यायाम या योगासन करें !
  • कराटे, लाठी चलाना जैसी आत्‍मरक्षा पद्धतियों की उपयुक्‍त शिक्षा अवश्‍य लें  !
  • अपने समक्ष हनुमानजी की रामभक्‍ति का आदर्श रख, राष्‍ट्र व धर्म का कार्य करें !