अग्‍निशमन के माध्‍यम

१. पानी

अल्‍प मूल्‍य में तथा सर्वत्र एवं सहजता से प्राप्‍त होनेवाला ‘पानी’ अग्‍निशमन का प्रभावी माध्‍यम है । जलती लकडी, कागद जैसे कार्बन युक्‍त पदार्थों पर अथवा धातु पर निरंतर पानी का फुहारा छोडने से पानी जलते पदार्थों से उष्‍णता अवशोषित (सोखता है) करता है । उष्‍णता अवशेाषित करने की गति, उष्‍णता निर्मिति की गति से अधिक होने पर आग बुझती है । साथ ही, जलते पदार्थ पर पानी गिरते ही कुछ मात्रा में पानी की भाप बनती है । इस भाप का मेघ जलनेवाले पदार्थ पर निर्माण होता है । यह मेघ प्राणवायु को हटाकर आग बुझाने में सहायता करता है ।

२. सूखा रासायनिक पाउडर (ड्राय केमिकल पाउडर)

‘सोडियम बाइकार्बोनेट’, ‘पोटैशियम बाइकार्बोनेट’ इन रासायनिक चूर्णों को ‘सूखा रासायनिक चूर्ण’ के नाम से पहचाना जाता है । वे श्‍वेत होते हैं । द्रव कार्बन डाइऑक्‍साइड वायु का उपयोग कर दबाव से वह पाउडर आग पर छिडकने से इस पाउडर के कणों का आग पर एक मेघ बन जाता है । इस मेघ के कारण आग का हवा के साथ संपर्क टूटता है एवं प्राणवायु के न मिलने से पदार्थ के जलने की शृंखलात्‍मक प्रतिक्रिया खंडित होकर आग बुझती है । विद्युत उपकरण जलते रहने पर भी बुझाने के लिए सूखा चूर्ण लाभप्रद होता है ।

३. कार्बन डाइऑक्‍साइड

सृष्‍टि में विद्यमान अनेक न जलनेवाली, तथा ज्‍वलन की प्रक्रिया में सहायता न करनेवाली वायुओं में कार्बन डाइऑक्‍साइड वायु का समावेश होता है । अन्‍य न जलनेवाली वायुओं की अपेक्षा कार्बन डाइऑक्‍साइड की व्‍यावहारिक निर्मिति करना तथा उसे संग्रहित करना सुविधाजनक होने से अग्‍निशमन के लिए उसका अधिक से अधिक उपयोग किया जाता है । अत्‍यंत उच्‍च दबाव में यह वायु द्रवरूप में विशिष्‍ट पद्धति से बनाए गए सिलेंडर में संग्रहित किया जाता है । यह वायु हवा की अपेक्षा पांच गुना भारी होने से आग पर फुहारने से जलनेवाले पदार्थ पर उसकी परत बनती है । इस प्रकार आग का हवा के साथ अर्थात प्राणवायु के साथ संपर्क टूटने से आग बुझ जाती है । कार्बन डाइऑक्‍साइड का उपयोग मुख्‍यत: विद्युत उपकरणों में लगी आग बुझाने के लिए किया जाता है । आग के स्‍थान पर यदि हवा बह रही हो, तथा आग खुले में लगी हो, तो कार्बन डाइऑक्‍साइड हवा के साथ बह जाता है । इसलिए ऐसे स्‍थानों पर इसका उपयोग करना प्रभावी नहीं होता ।

४. भाप

जब भाप अधिक मात्रा में उपलब्‍ध होती है, तब उसका उपयोग अग्‍निशमन के माध्‍यम के रूप में किया जा सकता है । भाप वायु की पूर्ति अथवा प्राणवायु से संपर्क तोडकर आग को बुझाती है, उदा. बॉयलर के वायु कक्ष में तेल के टपकने से आग लगी हो, तो वह बॉयलर की भाप से बुझाई जा सकती है ।

५. विशिष्‍ट रसायन

कुछ रसायन ज्‍वलन की शृंखलात्‍मक प्रतिक्रिया तोडकर आग बुझाने में सहायता करते हैं । इस प्रकार के रसायनों का अग्‍निशमन के लिए मर्यादित मात्रा में उपयोग किया जाता है ।

६. झाग (फेन)

 

वायु से भरे पानी के बुलबुले अर्थात फेन । केवल पानी से बने बुलबुले सहजता से फट जाते हैं । इसलिए पानी में साबुन समान रसायन मिलाकर फेन बनाया जाता है । द्रवरूप पदार्थों में लगी आग बुझाने के लिए यह अत्‍यंत उपयुक्‍त होता है । फेन अत्‍यंत हलका होने से किसी भी द्रवपदार्थ पर वह तैरता है । साथ ही उसकी प्रसरण-क्षमता के कारण वह द्रवपदार्थ के पृष्‍ठभाग पर छा जाता है । इस प्रकार से वातावरण एवं जलनेवाले पदार्थ के बीच फेन की परत (स्‍तर) बनने से, ज्‍वलनशील पदार्थ को होनेवाली वायु की पूर्ति बंद हो जाती है और आग बुझ जाती है । फेन का उपयोग ईंधन की टंकियां, कढाई जैसे चारों ओर से बंद स्‍थानों पर लगी आग के लिए प्रभावकारी होती है ।

७. एस्‍बेस्‍टस का कपडा

एस्‍बेस्‍टस का कपडा जलता नहीं, तथा वह उष्‍णता का वहन भी नहीं करता । अत: छोटी आग बुझाने के लिए इस कपडे का उपयोग किया जा सकता है । बडे-बडे उपाहारगृह, भोजनालय आदि के रसोईघर में यह कपडा रखना अनिवार्य है । आग लगने पर यह कपडा जलनेवाली वस्‍तु पर डाला जाता है । उस वस्‍तु के संपूर्णत: ढक जाने पर उस वस्‍तु का वायु के साथ संपर्क टूट जाता है और आग बुझ जाती है ।

८. रेत

आग छोटी हो तथा अन्‍य कोई माध्‍यम उपलब्‍ध न हो, तो आग बुझाने के लिए रेत अथवा बालू का उपयोग प्रभावी रूप से किया जा सकता है ।

संतों की भविष्‍यवाणी है कि ‘आगामी तृतीय विश्‍वयुद्ध में करोडों लोग परमाणु संहार की बलि चढेंगे ।’ भविष्‍य में भीषण प्राकृतिक आपदाएं भी होंगी । ऐसे आपातकाल में यातायात के साधनों के अभाववश रोगी को चिकित्‍सालय पहुंचाना, डॉक्‍टर अथवा वैद्य उपलब्‍ध होना और बाजार से औषधियां प्राप्‍त करना भी कठिन होता है । इस आपातकाल का सामना करने की तैयारी के एक भाग के रूप में सनातन संस्‍था ‘आगामी आपातकालके लिए संजीवनी’ नामक ग्रंथमाला प्रकाशित कर रही है । भीषण आपातकाल के लिए संजीवनी सिद्ध होनेवाली ‘सनातन की ग्रंथमाला’ अवश्य पढें !

प्राथमिक उपचार

१. उत्तेजित न हों और न ही घबराएं ।

२. आवश्‍यकता अनुसार अविलंब उपचार आरंभ करें ।

३. रोगी को संभवत: खुली हवा मिले, यह देखें । वह यदि बंद स्‍थान पर हो, तो द्वार-खिडकियां खोलें ।

४. गंभीर स्‍वरूप के घावों से पीडित रोगी को यदि खुले स्‍थान पर ले जाना हो, तो ध्‍यानपूर्वक ले जाएं ।

५. रोगी की ध्‍यानपूर्वक जांच करें ।

६. डॉक्‍टर की सहायता लें ।

अग्‍निशमन की पद्धतियां

१. ईंधन की प्राप्‍ति न होने देना (स्‍टार्विंग) : आग को ईंधन से वंचित करने से अथवा ईंधन की पूर्ति बंद करने से, आग तुरंत बुझ जाती है । इस पद्धति को ‘स्‍टार्विंग’ कहते हैं, उदा. गैस की सिगडी बुझाते समय हम गैस का बटन बंद करते हैं । ईंधन न मिलने से (मानो उपवास अथवा भूखा रहने से) सिगडी बुझ जाती है ।

२. ठंडा करना (कूलिंग) : जलनेवाले पदार्थ का तापमान उस पदार्थ के ज्‍वलनबिंदु से न्‍यून करने से, अर्थात पदार्थ का तापमान घटाने से आग तुरंत बुझती है । अग्‍निशमन की इस पद्धति को ‘शीतलीकरण’ (ठंडा करना) कहते हैं, उदा. जलती लकडी पर पानी डालना, मोमबत्ती फूंककर बुझाना ।

३. वायु बंद करना (स्‍मॉदरिंग) : आग को होनेवाली प्राणवायु की पूर्ति पूर्णत: बंद कर देने से अथवा हवा में स्‍थित प्राणवायु की मात्रा १६ प्रतिशत से अधिक घटने से आग तुरंत बुझती है । जलती मेामबत्ती पर कांच ढकने के प्रयोग से यह प्रमाणित होता है । इसे ‘हवा तोडना’ (स्‍मॉदरिंग) कहते हैं ।

४. शृंखला अभिक्रिया को तोडना : कुछ विशिष्‍ट रसायनों का उपयोग कर ज्‍वलन की शृंखला सदृश समान अभिक्रिया को तोडकर आग को बुझाया जा सकता है, उदा. हॅलॉन वायु ।

आग के संदर्भ में सामान्‍य सूचनाएं

आग के संभाव्‍य संकटों से जागृत एवं सावधान रहना, यह अग्‍निशमन का ज्ञान आत्‍मसात करने का उद्देश्‍य है, निम्‍न छोटे-बडे सूत्र आचरण में लाने पर कई दुर्घटनाएं टाली जा सकती हैं ।

१. घर एवं कार्यालय स्‍वच्‍छ रखें । रद्दी, कागद इत्‍यादि भली-भांति बांधकर रखें । कपडे समेटकर अलमारी अथवा रैक में रखें ।

२. बिजली के खटके के (स्‍विच के) आसपास ज्‍वलनशील पदार्थ न रखें ।

३. पटाखे अथवा अन्‍य विस्‍फोटक वस्‍तुओं का संग्रह घर में न करें ।

४. जलती हुई मोमबत्ती कभी भी लकडी की वस्‍तु पर न रखें ।

५. सोने से पहले मच्‍छर विकर्षक (मॉस्‍किटो रिपेलेंट) अगरबत्ती जलाते समय उसे बिस्‍तर से दूर तथा सुरक्षित स्‍थान पर लगाएं ।

६. घर से बाहर जाते समय तेल का दीप जल रहा हो, तो बुझा दें ।

७. घर के बाहर कचरा जलाते समय आग फैले नहीं, इसका ध्‍यान रखें ।

८. दुर्गंधनाशक स्‍प्रे या उस प्रकार के अन्‍य रिक्‍त डिब्‍बे भूल से भी आग में न डालें ।

(संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘अग्‍निशमन प्रशिक्षण’)