सूचना जालस्थल के स्रोत पर नियंत्रण होना आवश्यक !

इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी का बडा स्रोत विकिपीडिया का जालस्थल है । इस वर्ष इसका २० वां स्थापना दिवस है । विश्‍व में किसी भी प्रकार की, किसी भी विषय की जानकारी ३१६ भाषाओं में देनेवाला यह, ‘ऑनलाइन’ ग्रंथालय ही है । दो दशक पहले किसी विषय की जानकारी प्राप्त करने के लिए उस क्षेत्र के विशेषज्ञ अथवा जानकार व्यक्तियों से मिलना पडता था अथवा ग्रंथालय में जाकर उस विषय की पुस्तकें पढनी पडती थीं । कुछ जानकारी समाचार-पत्रों में प्रकाशित होती थी, जिसकी कतरनें संभालकर रखनी पडती थीं और उनका उपयोग संदर्भ के लिए करना पडता था ।

विकिपीडिया का विस्तार

२० वर्ष पहले आरंभ हुई विकिपीडिया ने सूचनाप्राप्ति के मार्ग में आनेवाली ढेर सारी अडचनें दूर की हैं । इसकी एक और विशेषता यह है कि वहां से जानकारी ली जा सकती है और अपनी जानकारी उसमें डाली भी जा सकती है । इसलिए, हम अपने पास की जानकारी संदर्भ सहित उसमें ‘अपलोड’ कर सकते हैं । यदि हमें कोई जानकारी असत्य लगे, तब हम अपनी आपत्ति उसमें अंकित कर सकते हैं और असत्य जानकारी निकालने के लिए बाध्य कर सकते हैं । वर्तमान में ५ करोड से अधिक लेख विकिपीडिया जालस्थल पर हैं । इन लेखों के संपादन की अद्भुत प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है । इससे पाठकों के ज्ञान में वृद्धि होती रहती है ।

हिन्दुओं पर होनेवाले अत्याचार, हिन्दू संगठन, संस्था अथवा साधु-संतों के विषय में कोई विवाद उत्पन्न होने पर, विकिपीडिया उसका समाधान नहीं करता । सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति के विषय में मनगढंत आरोप लगाकर उन्हें अपकीर्त करने का अभियान चलाया गया । इस विषय में विरोधियों के कथन को सत्य मानकर विकिपीडिया में सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति के विषय में नकारात्मक जानकारी ही अधिक दिखाई देती है । सनातन संस्था का विश्‍वकल्याण का कार्य बहुत व्यापक स्तर पर हो रहा है । इसकी तुलना में उसपर लगाए जानेवाले आरोप अत्यंत नगण्य हैं । फिर भी, इस संस्था के सकारात्मक कार्यों का उल्लेख इसमें नहीं किया गया है । सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति के विषय में नई जानकारी इसमें संपादित करने पर, उन्हें कुछ ही समय में मिटा दिया जाता है । वर्तमान में, इन दो संगठनों के विषय में जानकारी विवादित जालस्थलों से भी ली गई है । इसलिए, इस सूचना जालस्थल पर जिनका नियंत्रण है, उन्हें ही संस्था के विषय में उचित जानकारी नहीं रहती और इसलिए विकिपीडिया देखनेवालों को भी एक आध्यात्मिक संस्था के विषय में अत्यंत असत्य जानकारी (जिससे वह आतंकवादी संगठन लगे) पढने के लिए मिलती है । इस विषय में कुछ करने की आवश्यकता है, अन्यथा अच्छे लोगों, संगठनों और संस्थाओं की अपकीर्ति यूं ही होती रहेगी ।

हिन्दुओं की अपकीर्ति रोकना आवश्यक

कुछ विषयों की, जैसे कोरोना महामारी से संबंधित जानकारी जालस्थल पर भलीभांति सुरक्षित रखने के लिए चिकित्सकों और विशेषज्ञों का दल बनाकर जो प्रयत्न किया गया है, वह अत्यंत सराहनीय है । किंतु, स्वयंसेवी संपादकवाले ऐसे जालस्थलों की सत्यता को संवेदनशील विषयों में संरक्षित रखना, चुनौतीभरा कार्य है । नई देहली में धर्मांधों ने जो दंगे किए, उससे हिन्दुओं की बहुत बडी जन-धन की हानि हुई, अनेक लोगों की हत्या की गई । फिर भी, विकिपीडिया में ‘२०२० देहली रायट्स’ शीर्षक से छपे लेख में बताया गया है कि किस प्रकार हिन्दुओं ने मुसलमानों पर आक्रमण किए ! ऐसा छपने का कारण, इस विषय की जानकारी का मूल स्रोत साम्यवादी विचारधारा के समाचारपत्रों में छपे समाचार और धर्मांध लेखकों के भ्रामक लेख हैं । इन्हें सत्य मानकर उन्हें संदर्भ के रूप में लिया गया है। इससे विश्‍व को अनुचित संदेश गया कि देहली में हिन्दुओं ने दंगे किए और मुसलमान दंगापीडित हैं; यद्यपि वास्तविकता इसके विपरीत है ! यही अडचन है । इसलिए, विकिपीडिया पर अंतिम नियंत्रण तत्त्वनिष्ठ व्यक्ति के पास होना चाहिए, अन्यथा असत्य जानकारी का उपयोग प्रमाण के रूप में भी हो सकेगा, भले ही विकिपीडियावाले कहते रहें कि ‘मौलिक जानकारी का स्रोत हमें न समझा जाए ।’

वर्तमान युग सूचना और तकनीक का है । इसलिए, अचूक जानकारी एकत्र करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । इस दृष्टि से विकिपीडिया जैसे अति लोकप्रिय प्रचार माध्यमों का महत्त्व बढ जाता है । किंतु, इनपर पूर्वाग्रह का प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है । इसीलिए, वे जो विषय प्रस्तु करते हैं, उससे अपकीर्ति ही अधिक होती है । भारत सरकार को आध्यात्मिक, हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से संबंधित प्रमाणिक जानकारी इन बडे सूचना जालस्थलों को उपलब्ध कराने के लिए प्रयत्न करना चाहिए ।