‘कुतुब मीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक ने निर्माण किया था’, पुस्तकों के माध्यम से ऐसा सिखानेवाले एनसीईआरटी के पास उसके कोई प्रमाण नहीं हैं !

वर्ष २०१२ में इतिहास के शोधकर्ता एवं लेखक नीरज अत्री द्वारा ‘सूचना का अधिकार’ के अंतर्गत दिए गए आवेदन से ही यह ध्यान में आया था !

  • वर्ष २०१२ में यह बात स्पष्ट होते हुए भी अभी तक छात्रों को ऐसा क्यों पढाया जा रहा है ? देशभक्तों को यही लगता है कि सरकार को यह बताना चाहिए कि केंद्र में पिछले ६ वर्षों से भाजपा की सरकार होते हुए भी इस झूठे इतिहास को बदल कर सच्चा इतिहास क्यों नहीं पढाया गया है !
  • कुतुब मीनार एक हिन्दू संरचना है तथा इसका नाम ‘विष्णुस्तंभ’ है, विभिन्न इतिहासकारों ने प्रमाण के साथ इसे सामने लाया है । इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका प्रविष्ट की गई है, इसलिए अब केंद्र सरकार को उचित निर्णय लेना आवश्यक है !

नई देहली : एन सी ई आर टी के इतिहास की एक पुस्तक में पढाया जाता था कि बादशाह शाहजहां एवं औरंगजेब ने, युद्ध की अवधि में मुगलों द्वारा जो हिन्दू मंदिर ध्वस्त किए गए थे, उनके पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता का प्रावधान किया था । परंतु उसका कोई प्रमाण नहीं है, यह बात भी सामने आई थी । ‘सूचना के अधिकार’ से अब एन सीईआरटी का एक और पाखंड सामने आया है । एन सीईआरटी की ७ वीं कक्षा की पुस्तक, ‘आवर पास्ट (हमारा भूतकाल )’ में, यह सिखाया जा रहा है कि देहली में कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश द्वारा किया गया था; जबकि २१ नवंबर, २०१२ को इतिहासकार एवं लेखक नीरज अत्री द्वारा सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी सामने आई थी कि इस संदर्भ में एनसीईआरटी के पास कोई प्रमाण नहीं था ।

१. इस पुस्तक में कुतुब मीनार का एक चित्र प्रकाशित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कुव्वतुल -इस्लाम मस्जिद एवं मीनार १२ वीं शताब्दी के अंत में बनाए गए थे । देहली के सम्राटों ने एक नए शहर के निर्माण का आनंद मनाने के लिए इन भवनों का निर्माण किया । शहर को ऐतिहासिक रूप से ‘दिल्ली-ए-कुहना’ कहा जाता था, जिसे अब ‘पुरानी देहली’ कहा जाता है ।

२. कुतुबुद्दीन ऐबक ने यहां मस्जिद का निर्माण आरंभ किया,परंतु इसे मामलुक साम्राज्य के तीसरे सुल्तान इल्तुतमिश ने पूर्ण किया । वह ऐबक का जमाई था ।

३. पुस्तक यह भी बताती है कि एक मस्जिद क्या है और अरबी में इसका क्या अर्थ, इसमें नमाजपठन की भी जानकारी दी गई है ।

श्री. नीरज अत्री

इतिहास के शोधकर्ता एवं लेखक नीरज अत्री द्वारा एनसीईआरटी से पूछे गए ५ प्रश्न और उत्तर

१. नीरज अत्री ने सूचना के अधिकार के अंतर्गत ५ प्रश्न पूछे थे, जिससे यह जानकारी सामने आई है । अत्री ने पूछा था, ‘इन दोनों ने कुतुब मीनार तथा मस्जिद का निर्माण किया, क्या उसके आधारभूत कागदपत्र हैं ?’ यदि हां, तो वे कौन से हैं ?’ एनसीईआरटी ने उत्तर दिया, ‘ऐसे कोई कागदपत्र उपलब्ध नहीं हैं ।’

२. क्या इस संबंध में किसी भी शिलालेख का प्रमाण है? उसका उत्तर था ‘नहीं’।

३. तीसरा प्रश्न यह था कि यह भाग/अंश जिनकी अनुशंसा से इस पुस्तक में प्रकाशित किया था, उनके नाम क्या हैं ? इसका उत्तर देते हुए, यह कहा गया था कि ‘पुस्तक परिषद के सदस्यों, मुख्य सलाहकार एवं अध्यक्ष के नाम पुस्तक में दिए गए हैं ।’

४. इस संदर्भ में प्रमाणों के सत्यापन की जांच किसने की एवं किसने इसे अनुमोदित किया ? इसका उत्तर देते हुए यह कहा गया कि ‘प्रा. मृणाल मिरी की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय निगरानी समिति’ द्वारा इसे अनुमोदित कर पुस्तक में इसका उल्लेख किया गया है ।’

५. अंतिम प्रश्न था क्या इन प्रमाणों पर कोई टिप्पणी (नोट्स )है ?’ जिसका उत्तर था, ‘ऐसी कोई टिप्पणी नहीं है ।’

(सौजन्य : OpIndia Hindi)

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