(कहते हैं) उत्तर प्रदेश विधान परिषद कक्ष से स्वातंत्र्य वीर सावरकर के चित्र को हटाओ ! ’- कांग्रेस विधायक दीपक सिंह की मांग

(कहते हैं) चूंकि सावरकर ने अंग्रेजों से क्षमायाचना की थी, इसलिए स्वतंत्रता सेनानियों के साथ उनका चित्र लगाना स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है !

  • एक बार पुन: बासी कढी को उबालने की कांग्रेस का प्रयास ! स्वातंत्र्य वीर सावरकर की कूटनीति आजन्म कांग्रेसियों के समझ में नहीं आयेगी और वे इस तरह की हास्यास्पद मांगें करते ही रहेंगे !

  • भारत के विभाजन और दस लाख हिंदुओं के वध के लिए उत्तरदायी, गांधी और नेहरू की तस्वीरों को देश के सभी सरकारी कार्यालयों से हटा दिया जाए, यह मांग यदि देशभक्तों ने की तो क्या वह गलत होगा !
स्वातंत्र्य वीर सावरकर

लखनऊ (उत्तर प्रदेश) – राज्य कांग्रेस के नेता, दीपक सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधान परिषद कक्ष में लगे हुए स्वातंत्र्य वीर सावरकर के चित्र को हटाने की मांग की है । “अंग्रेजों से क्षमायाचना करने वाले स्वातंत्र्य वीर सावरकर के साथ स्वतंत्रता सेनानियों का चित्र लगाना स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है । यह चित्र भाजपा को अपने कार्यालय में लगानी चाहिए”, सिंह ने पत्र में कहा ।

दीपक सिंह द्वारा पत्र में प्रकाशित बिंदु ;

१. सावरकर ने अंडमान कारावास के कुछ माह बाद अंग्रेजों को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया, “ब्रिटिश सरकार को मुझे क्षमा कर देना चाहिए । मैं स्वयं को भारत के स्वतंत्रता संग्राम से अलग रखूंगा और अंग्रेजों के साथ ईमानदार रहूंगा ।” इसके उपरांत वे जेल से बाहर आए और भारत के विरुद्ध अभियान आरंभ किया । (सावरकर नहीं, अपितु, कांग्रेसियों ने भारत के विरुद्ध काम किया है । फिर चाहे वह कश्मीर का मुद्दा हो या चीनी आक्रमण । कांग्रेस हजारों वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र चीन और पाकिस्तान की झोली में डाल कर भारत को क्षति पहुंचाने के लिए उत्तरदायी है, इतिहास इसका साक्षी है ! – संपादक)

२. सावरकर ने कर्णावती में हिंदू महासभा सम्मेलन में मोहम्मद अली जिन्ना की दो राष्ट्रों की भूमिका प्रस्तुत की थी । (इसका कोई प्रमाण नहीं है ; इसके विपरीत, कांग्रेस, विशेष रूप से गांधी-नेहरू ने, जिन्ना की भूमिका को स्वीकार किया और भारत के विभाजन को सहमति दी, इतिहास इसका साक्षी है ! – संपादक)

३. सावरकर ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद सेना के विरुद्ध अंग्रेजों की सहायता की । (कांग्रेस का एक और हास्यास्पद दावा ! यह इतिहास है कि सावरकर ने स्वयं नेताजी सुभाषचंद्र बोस को एक सशस्त्र बल स्थापित करने की सलाह दी थी, जो सर्वज्ञात है । इसके विपरीत, जब नेताजी बोस कांग्रेस में थे, तो उन्हें जानबूझकर सत्ता से हटा दिया गया और कांग्रेस छोडने के लिए विवश किया गया । ऐसा कहा जाता है कि, नेहरू ने बोस को भारत लौटने से रोकने का पूरा प्रयास किया था, जब तक वे जीवित थे । इसके लिए कांग्रेसियों को ही दंडित किया जाना चाहिए ! – संपादक)

( सौजन्य : ABP NEWS )