भाजपा शासित दक्षिण देहली महानगरपालिका में प्रस्ताव
- ऐसा कानून केवल देहली में ही नहीं, अपितु संपूर्ण देश में बनाना आवश्यक है । हलाल पद्धति के कारण आज मुसलमान समाज की मांस विक्री में एकाधिकारशाही निर्माण होने से हिन्दू कसाई समाज बेरोजगार हो रहा है । इतना ही नहीं, अपितु हिन्दुआें के लिए वर्जित हलाल मांस का सेवन करना पड रहा है । हिन्दूबहुल देश में यह चालू रहना हिन्दुआें को, उनके संगठनों और पक्षों के लिए लज्जाजनक है !
- हिन्दुआें को धर्मशिक्षा न होने से उन्हें यह नहीं पता कि हलाल मांस नहीं खाना चाहिए और वे उसका न तो विरोध करते हैं और न ही उस विषय में समझने में रुचि लेते हैं !
नई देहली – यहां दक्षिण देहली महानगरपालिका ने अपने अधिकार क्षेत्र के रेस्टोरेंट और मांस बिक्री की दुकानों के लिए एक योजना बनाई है । उस योजना के अनुसार वे जो बनाएंगे अथवा बेचेंगे वह मांस ‘हलाल’ पद्धति का है अथवा ‘झटका’ पद्धति का है, इसकी जानकारी उन्हें ग्राहकों को देनी होगी । इसके साथ ही बिक्री की दुकानों में वैसा फलक और रेस्टोरेंटस् में वैसी जानकारी भी ग्राहकों को पहले ही देनी होगी । इस महानगरपालिका में भाजपा की सत्ता है ।
भाजपा की नगरसेविका अनीता तंवर ने यह प्रस्ताव स्थायी समिति के सामने रखा था । उसमें कहा है कि ‘हलाल’ मांस खाना हिन्दू और सिख धर्मियों के लिए निषिद्ध है । पालिका के अंतर्गत आनेवाले ४ क्षेत्रों के सहस्रों रेस्टोरेंट में ९० प्रतिशत मांस की बिक्री की जाती है; परंतु कहीं भी यह जानकारी नहीं दी जाती कि वह किस पद्धति का है । वैसे ही मांस बिक्री की दुकान में भी होता है । (२७.१२.२०२०)
हलाल मांस क्या है ?‘झटका सर्टिफिकेशन अथॉरिटी’ के अध्यक्ष रवि रंजन सिंह ने कहा कि हिन्दू, सिक्ख आदि भारतीय धर्म में ‘झटका’ पद्धति से प्राणियों की हत्या की जाती है । इसमें प्राणियों की गर्दन एक ही वार में काटी जाती है । इससे प्राणियों को अल्प मात्रा में कष्ट होता है । इसके विपरीत हलाल पद्धति से प्राणी की नस चीरकर उसे छोड दिया जाता है । इससे भारी मात्रा में रक्त बहता है और तडपते हुए उसकी मृत्यु होती है । इस प्राणी की बलि देते समय उसका मुख मक्का की दिशा में किया जाता है । इसके साथ ही यह काम मुसलमानों के अतिरिक्त अन्य किसी को नहीं दिया जाता । आज ‘मैकडोनल्ड’ और ‘लुसिअस’ जैसे प्रतिष्ठान केवल हलाल मांस की ही बिक्री करते हैं । |