नई दिल्ली – ‘यह दूसरी सरकार ने चालू किया था’, सरकार का यह कहना बिल्कुल भी नहीं सुना जाएगा । आप इसमें से क्या समाधान निकाल रहे हैं ? कृषि कानून की प्रशंसा करने वाली एक भी याचिका हमारे पास नही आई है । न्यायालय कृषि विषय पर विशेषज्ञ नही है; आप इस कानून के कार्यान्वयन को रोकने जा रहे हैं या हमें ही कदम उठाना पडेगा ? हम समिति बनाने जा रहे हैं, तबतक सरकार को कानून की कार्यवाही को स्थगिति देना चाहिए अन्यथा हम ही कानून को स्थगिति देंगे, ऐसे शब्दों में उच्चतम न्यायालय ने पिछले डेढ माह से दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के आंदोलन के विषय में प्रविष्ट याचिका पर सुनवाई के समय केंद्र सरकार को फटकार लगाई ।
‘परिस्थिति दिनोदिन बिगडती जा रही है । लोग ठण्ड में बैठे हैं । मर रहे हैं । वहां भोजन पानी की क्या व्यवस्था है ? कौन व्यवस्था कर रहा है ?’ , ऐसा प्रश्न न्यायालय ने इस समय रखा । किसानों को हटाने के संदर्भ में, और कानून को वापस लेने के विषय में उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं प्रविष्ट की गई हैं ।
‘विवाद सुलझने तक कानून लागू नही करेंगे’, ऐसा सरकार कह सकती है !
न्यायालय ने आगे कहा कि, आंदोलन के स्थान पर महिलाओं और वृद्धों को क्यों रखा जा रहा है, यह हमें ज्ञात नही । हम विशेषज्ञ नही । हम कानून पीछे लेने के विषय में नहीं बोल रहे हैं । हम इतना ही पूछ रहे हैं कि यह परिस्थिति कैसे संभालेंगे ? चर्चा करके समाधान निकालेंगे क्या ?, इतना ही हमारा प्रश्न है । ‘यह विवाद सुलझने तक कानून लागू नही करेंगे’, ऐसा सरकार कह सकती है । सरकार समस्या का समाधान है या समस्या का भाग ?, यह हमें नही समझ में आता, ऐसे शब्दों में न्यायालय ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई ।