रामचंद्र गुहा को साम्यवादी विचारधारा के इतिहासकार के रूप में जाना जाता है, इसलिए गांधी परिवार के बारे में उनका बयान निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है !
नई दिल्ली : लेखक और इतिहासकार, रामचंद्र गुहा ने एन.डी.टी.वी. न्यूज चैनल के जालस्थल पर प्रकाशित एक लेख में कहा है कि, गांधी परिवार को अब कांग्रेस छोड देना चाहिए । उन्होंने अपने अतिस्पष्ट मत में कहा कि, “वर्तमान परिस्थिति में, कांग्रेस कभी भी भाजपा के विकल्प के रूप में आगे नहीं आ सकती है ।” गुहा ने, ‘गांधी को अब जाने की आवश्यकता है क्या ?’, शीर्षक लेख में यह लिखा है ।
गुहा के लेख में प्रस्तुत बिन्दु :
१. प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री, अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जयप्रकाश नड्डा, भाजपा के तीन प्रमुख नेता हैं, जो वैचारिक रूप से एक दूसरे से जुडे हुए हैं । तीनों को राजनीति विरासत में नहीं मिली है । इन तीनों में, हिंदुत्व के आधार पर, राजनीति को आगे बढाने की शक्ति है और वर्तमान में भी वे यही कर रहे हैं ।
२. दूसरी ओर, कांग्रेस में स्थिति अलग है, जहां तीन बडे नेता वैचारिक रूप से जुडे हुए नहीं लगते हैं । सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा, कांग्रेस के सबसे बडे नेता हैं ; क्योंकि, वह गांधी परिवार से हैं ।
३. राहुल गांधी बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान छुट्टी पर चले गए थे । वे चुनाव को लेकर गंभीर नहीं थे । दूसरी ओर, भाजपा द्वारा चुनाव जीतने के तुरंत बाद, कांग्रेस के विपरीत, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नड्डा ने उन जगहों के दौरे की घोषणा की, जहां पार्टी ने बुरा प्रदर्शन किया है ।
४. मैं महात्मा गांधी की कांग्रेस का समर्थक था । उस कांग्रेस ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के साथ देश में धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को संरक्षित करने को प्राथमिकता दी थी ; किंतु आज, कांग्रेस स्वयं को एक ‘स्व-घोषित धर्मनिरपेक्ष पार्टी’ कहती है और दूसरी तरफ, अर्ध हिंदुत्व की नीति पर निर्भर दिखती है ।
५. कांग्रेस एक ओर ‘उदार’ होने का श्रेय लेती है, जबकि अगले ही दिन वह उद्यमियों का विरोध करती दिखाई देती है ।
६. कांग्रेस और भाजपा के नेतृत्व के बीच कई अंतर हैं । भाजपा का नेतृत्व स्व-निर्मित है । वे पूर्ण रूप से एक वैचारिक स्तर पर हैं और तीसरी बात यह है कि, वे किसी बडे परिवार से नहीं आते हैं ।
७. अगले लोकसभा चुनावों के लिए अभी ३ वर्ष शेष हैं । इस अवधि के दौरान, कांग्रेस को स्वयं को फिर से स्थापित करना चाहिए । भविष्य के नेतृत्व को पक्षपात के माध्यम से सामने लाया जाना चाहिए । अन्य विपक्षी दलों को एक साथ लाकर और नेतृत्व बनाकर शक्तिशाली विकल्प तैयार किया जाना चाहिए ।