दुमका (झारखंड) में पति के सामने विवाहित महिला पर १७ लोगों द्वारा किए गए सामूहिक बलात्कार का मामला
बलात्कारियों को कठोर सजा न होने के कारण ऐसी घटनाएं होती है । इसके साथ ही समाज में नैतिकता निर्माण करने के लिए उसे साधना न सिखाने का यह परिणाम है । साधना सिखाई होती, तो ऐसी घटनाएं नही होती !
रांची (झारखंड) – आदिवासी भागों में लडकी या महिला पर बलात्कार होगा, इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी । आदिवासी संस्कृति में बलात्कार को स्थान नही है; पर जब से आधुनिक समाज के नाम पर संस्कृति चल रही है, उसमें महिला को उपभोग का साधन कहकर दिखाया जा रहा है । चित्रपट के आईटम डांस, विज्ञापन, मोबाईल में अश्लील चित्र आदि बातें बलात्कार की मानसिकता निर्माण करती हैं, ऐसा विधान राष्ट्रीय जनता दल के नेता शिवानंद तिवारी ने किया है । राज्य के दुमका में एक विवाहित महिला का अपहरण कर १७ लोंगों द्वारा उसके पति के सामने सामूहिक बलात्कार की घटना हुई है । पीडित महिला पांच लडकों की मां है । इस मामले में एक को गिरफ्तार किया गया है । इस घटना पर तिवारी मीडिया से बात कर रहे थे ।
तिवारी ने आगे कहा कि, आदिवासी भाग में यह पहुंचना अर्थात समाज के निचले पायदान तक पहुंचना । जब तक बलात्कार की मानसिकता निर्माण करने वाली बातें है तब तक उसपर नियंत्रण कैसे लाएंगे ? ‘निर्भया’ जैसी घटना के बाद कानून बनाए गए; लेकिन हमने उस समय भी बताया था कि, सजा बढाने से यह बाते थमेंगी, यह गलत धारणा है । जब तक बलात्कार को उत्तेजित करने वाली बातें हैं, तब तक यह रुकेगा नहीं, मेरा आज भी यही कहना है ।