द्वीप को तूफान का खतरा होने के कारण मानवाधिकार संगठनों का विरोध
भारत में घुसने वाले रोहिंगिया और बांगलादेशियों को भी भारत को द्वीप पर भेज देना चाहिए, ऐसी मांग करने वालों की इसमें क्या गलती है ?
ढाका (बांगलादेश) – म्यानमार में धार्मिक हिंसाचार के कारण पलायन किए १ लाख रोहिंगिया मुसलमान बांगलादेश में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं । अब बांगलादेश उन्हे बंगाल की खाडी में भसन-४ इस द्वीप पर (इसे बांगला भाषा में ‘तैरता द्वीप’ कहा जाता है) रहने के लिए भेजने वाला है । इसके लिए पहले चरण में १ सहस्र ६४० रोहिंगियों को वहां भेजा गया है; इसमें बांगलादेश के निर्णय का विरोध किया जा रहा है; कारण तूफान आने पर इस द्वीप का पूर्णरूप से पानी के नीचे जाने का खतरा व्यक्त किया जा रहा है । इस कारण पिछले वर्ष से इस द्वीप पर कोई भी नहीं रह रहा है ।
Bangladesh is sending around 1 lakh of Rohingya refugees from Cox’s Bazar to Bhasan Char, a remote island in the Bay of Bengal. https://t.co/KOAqqvsL5Q
— IndiaToday (@IndiaToday) December 7, 2020
१. ‘एमेनस्टी इंटरनेशनल’ के दक्षिण एशिया के समन्वयक साद हम्मादी ने कहा है कि, ऐसे द्वीप पर रोहिंगियों को भेजना मानवाधिकारों के लिए चिंता का विषय है । यहां पत्रकार भी अनुमति बिना नहीं जा सकते हैं । अनेक रोहिंगियों को उनके मन के विरुद्ध वहां भेजा जा रहा है ।
२. बांगलादेश का दावा है कि, अनेक रोहिंगिया द्वीप पर जाने को तैयार हैं । उन्हे बडे घर और सुविधाएं देने का आश्वासन दिया गया है । इस द्वीप पर आपात काल में बचाव की मूलभूत सुविधाएं हैं ।