भारत को ऐतिहासिक, धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर प्राप्त होने से देश सभी स्तरों पर वैभवसंपन्न और बलशाली बना है । इन सब के साथ ही भारत को आयुर्वेदशास्त्र की भी देन है । आयुर्वेद का आरंभ ब्रह्माजी से हुआ है तथा अनुमानत: ३ सहस्र वर्षों से चली आ रही व्यापक एवं उच्च परंपरा उसे प्राप्त है । आज पूरे विश्व में इस आयुर्वेद को स्वीकार किया जाता है । उसमें गर्व की बात यह कि ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत में पारंपरिक औषधियों का केंद्र बनानेवाला है’, इस संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने १३ नवंबर को इसकी घोषणा की । उन्होंने यह भी कहा कि ‘कोरोना महामारी के समय में भारत ने स्वयं की ‘फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड’ की नई पहचान बनाई है । आधुनिकता के इस युग में पूरे विश्व में भारत को प्राप्त यह गौरव निश्चित रूप से आनंददायक है ।
वर्ष २०१६ में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने धन्वंतरी जयंती को ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के रूप में घोषित किया । उसके कारण हम राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गए । अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा से आयुर्वेद को अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक व्यासपीठ मिला है । इसलिए भारत को इस स्थिति का लाभ उठाकर विश्व के सामने आयुर्वेद के विविध द्वार खोलने होंगे और आयुर्वेद की विविध परिभाषाएं विश्व के सामने लानी होंगी, जैसे ‘डायबेटिज’ शब्द को आयुर्वेद में ‘प्रमेह’ अथवा ‘मधुमेह’ कहा जाता है । जब पूरा विश्व भारत द्वारा प्रदान आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपनाएगा, वह दिन वास्तव में केवल आयुर्वेद का नहीं, अपितु भारत का सम्मान बढानेवाला होगा । सुश्रुतसंहिता में कहा गया है, ‘आयुरस्मिन् विद्यते, अनेन वा आयुर्विन्द़न्ति इत्यायुर्वेदः ।’ अर्थात जिसमें आयु है अथवा जिसके कारण आयु की प्राप्ति होती है, वह आयुर्वेद है ! केवल आयुर्वेद ही मनुष्य को १०० वर्षों का स्वस्थ जीवन व्यतीत करने की क्षमता दे सकता है । अब इस आयुर्वेदशास्त्र को संप्रभुता के सिंहासन पर पुनर्स्थापित करना प्रत्येक भारतीय का दायित्व है तथा उसका निर्वहन करने के लिए सभी को प्रयास करने चाहिए !
एमआईएम के घातक षड्यंत्र !
कुछ दिन पूर्व ही संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में एमआईएम दल ने ५ स्थानों पर विजय प्राप्त की; परंतु इस विजय के कारण उनका आसुरी आनंद छिपा नहीं रह सका है । अंततः वह व्यक्त होकर ही रहा । सांसद असदुद्दीन ओवैसी के भाई तथा एमआईएम दल के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने एक विवादित वक्तव्य देते हुए कहा, ‘बिहार चुनाव में एमआईएम दल को प्राप्त सफलता भारत की राजनीति में एक नया अध्याय लिखेगी और पूरा विश्व यह देखेगा कि ‘ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ दल पूरे भारत में अपना ध्वज फहरा रहा है । हिन्दूबहुसंख्यक भारत में एक मुसलमान दल का नेता खुलेआम देश पर अपना ध्वज फहराने की भाषा बोलता है, यह चौंकानेवाली घटना तो है ही; परंतु साथ में भारतीय लोकतंत्र के सामने नया संकट खडा करनेवाली भी है । ओवैसी को यह ध्यान में लेना चाहिए कि ऐसा वक्तव्य देने के लिए अकबरुद्दीन ओवैसी पाकिस्तान में नहीं हैं । क्या ओवैसी को ऐसा बोलने की स्वतंत्रता लगती है अथवा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लगती है ? उनके इस वक्तव्य से ही राजनीति में उतरने के पीछे एमआईएम दल का कुटिल उद्देश्य ध्यान में आता है । अर्थात धर्मनिरपेक्ष भारत में इससे अलग क्या होगा ! अभी तक धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अल्पसंख्यकों को असीम सुविधाएं दी गईं, इसे उसी का परिणाम कहना पडेगा ।
जब भारत देश स्वतंत्रता के द्वार पर खडा था, तब बै. जिन्ना द्वारा स्वतंत्र पाकिस्तान की हठीली मांग रखने से देश का विभाजन होकर २ देश बने । ‘इस तीखे इतिहास को देखते हुए अकबरुद्दीन ओवैसी का उक्त वक्तव्य तो बै. जिन्ना की ही पुनरावृत्ति है’, ऐसा किसी भारतीय ने कहा, तो उसमें अनुचित क्या है ? ओवैसी और उनका दल लोकतंत्र की आड में एक प्रकार से धर्मांधता बढा रहे हैं और मानो भारतीय लोकतंत्र के टुकडे कर रहे हैं । देश के लिए दिन-ब-दिन यह चिंताजनक और संकटकारी है ।
‘पूरे भारत में एमआईएम दल का ध्वज फहरने’ की कल्पना भी किसी ने की, तो सच्चे भारतीय का रक्त उबलेगा । राष्ट्रप्रेमियों, हमें इसे कदापि नहीं होने देना है । एमआईएम दल की विचारधारा राष्ट्रद्वेषी तथा समूल विनाश पर आधारित है । इसलिए राजनीति में प्रवेश कर मुसलमानों का हित साधने की भाषा बोलनेवाले एमआईएम का वास्तविक स्वरूप अब उजागर हो रहा है । राष्ट्रप्रेमियों, संगठित होकर गंदी राजनीति कर देश को तोडने के उनके घातक षड्यंत्र ध्वस्त करने होंगे । इस्लामी राजतंत्र लाने की इच्छा रखनेवाला एमआईएम दल कोई पहला ऐसा राजनीतिक दल नहीं है; क्योंकि अभी तक असंख्य हरे संकटों ने भारतभूमि के टुकडे किए हैं । भले ऐसा हो; परंतु अब और कितने समय तक यह सब सहन करना है ? भारत एक विभाजन के दुष्परिणाम अभी तक भुगत रहा है, उसी में जिन्ना के कदम पर कदम रखनेवाले ओवैसी भाईयों द्वारा सूचित दूसरे विभाजन के लिए क्या भारत तैयार है ? ऐसा न हो; इसके लिए राष्ट्रप्रेमी नागरिकों को समय रहते जागकर भविष्य के संकटों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए !