धार्मिक उद्देश्य के अतिरिक्त अन्य कार्यों के लिए मंदिर की भूमि का उपयोग न करें ! – मद्रास उच्च न्यायालय

मंदिर की भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश

  • मंदिरों के सरकारीकरण के उपरांत मंदिर की भूमि का उपयोग किसी भी प्रकार से किया जाता है । इसीलिए न्यायालय को यह आदेश पारित करना पडा है । अत: हिन्दुओं को मंदिरों का सरकारीकरण रोकने के लिए न्यायालयीन संघर्ष करना चाहिए । 
  • जिन मंदिरों का सरकारीकरण हुआ है, उनकी भूमि का अतिक्रमण कैसे होता है ? क्या सरकार सो रही होती है एवं न्यायालय द्वारा इसे हटाने का आदेश दिए जाने तक सरकार क्या करती रहती है ?

चेन्नई (तमिलनाडु) – मद्रास उच्च न्यायालय ने एक प्रकरण में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि धार्मिक उद्देश्य को छोडकर अन्य किसी भी उद्देश्य से मंदिर की भूमि का उपयोग नहीं किया जा सकता । तमिलनाडु में मंदिर न केवल प्राचीन संस्कृति की पहचान का एक स्रोत हैं, वरन कला, विज्ञान और मूर्तिकला के क्षेत्र में प्रतिभा की महिमा का प्रतीक और प्रमाण भी हैं । (न्यायालय को जो समझ में आता है, वह सरकार को क्यों नहीं ? या सरकार केवल पैसा कमाने के साधन के रूप में मंदिरों को देखती है? – संपादक)

१. न्यायालय ने राज्य के हिन्दू धार्मिक और धर्मार्थ प्रबंधन विभाग को समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया । साथ ही मंदिर की भूमि के अतिक्रमण पर ध्यान रखकर उसकी सुरक्षा करे । (ऐसे आदेश क्यों पारित करने पडते हैं ? क्या सरकार को यह समझ में नहीं आता ? – संपादक)

साक्षी मुथम्मन मंदिर

२. राज्य में नीलकंरई के साक्षी मुथम्मन मंदिर और सालेम कोट्टई मरियम्मन मंदिर की भूमि के अतिक्रमण पर प्रकरण चल रहा है, उस पर न्यायालय ने यह आदेश पारित किया । अत: कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया ।

कोट्टई मरियम्मन मंदिर

३. न्यायालय ने इस समय मंदिरों की देखरेख एवं उनके गुणवैशिष्ठ्य और संपत्ति का ध्यान रखने के भी आदेश दिए । उन्होंने मंदिर की संपत्ति को ठीक से नहीं रखने के लिए हिन्दू धार्मिक और धर्मार्थ प्रबंधन विभाग को भी फटकार लगाई । (मंदिरों का सरकारीकरण करने से ही ऐसा होता है । इसलिए हिन्दू मंदिरों को केवल भक्तों के नियंत्रण में होना चाहिए । हिन्दुओं को लगता है कि न्यायालय को इसके लिए भी आदेश पारित करना चाहिए ! – संपादक)