बाढ पीडित क्षेत्र के नागरिकों के लिए महत्त्वपूर्ण जानकारी
वर्षा ऋतु में अतिवृष्टि होने पर जलप्रलय (भीषण बाढ) आता है अन्य ऋतुआें में भी बादल फटने से जलप्रलय हो सकता है । वर्ष २०१९ में महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के अनेक शहर अतिवृष्टि के कारण जलमग्न हो गए थे । अनेक गांवों को जोडनेवाले मार्ग धंसने के कारण यातायात ठप्प हो गया था । सहस्रों नागरिकों के घर जलमग्न हो गए थे । कुछ स्थानों पर पानी के प्रवाह का वेग इतना अधिक था कि उसमें मनुष्य, पशु और वाहन भी बह गए थे । पेट्रोल, डीजल, दूध आदि जीवनावश्यक वस्तुएं मिलना भी दूभर हो गया था । अकस्मात उत्पन्न इस प्राकृतिक आपदा से जनजीवन पूर्णतः बिखर गया था ।
‘भविष्य में ऐसी स्थिति पुनः कब उत्पन्न हो सकती है ?’, यह कहा नहीं जा सकता । इसलिए ‘बाढपीडित क्षेत्र के नागरिकों को किस प्रकार से पूर्वतैयारी करनी चाहिए ?’, इस संदर्भ में मार्गदर्शक सूत्र आगे दिए हैं ।
६. बाढ के पानी से बाहर निकलने के लिए की जानेवाली पूर्वतैयारी
अ. कभी कभी बाढ के पानी का स्तर ७ – ८ फुट अथवा उससे भी अधिक होता है । ऐसे में यदि कोई तैरना न जानता हो, तो उसके प्राण संकट में पड सकते हैं । इसलिए अधिकाधिक लोग तैरना सीख लें ।
आ. बाढ के पानी से सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए ‘लाइफ जैकेट्स’ का (‘जीवरक्षक जैकेट’ का) उपयोग कर सकते हैं । इस कारण पानी कितना भी गहरा हो, व्यक्ति उसमें डूबता नहीं है । ‘लाइफ जैकेट’ खरीदकर रखने से आपातकालीन स्थिति में उनका उपयोग कर सकते हैं ।
इ. वाहन के ‘टायर की ट्यूब’ मेें हवा भरकर उसका उपयोग करने से डूबने से रक्षा होती है । इसलिए घर में जितने व्यक्ति हैं, उतनी संख्या में ‘टायर की ट्यूब’ रखें ।
७. अन्य महत्त्वपूर्ण सूत्र
७ अ. जीवनावश्यक सामग्री एकत्रित रखना : भीषण बाढ, भूकंप अथवा अन्य आपातकालीन प्रसंग उत्पन्न होने पर तत्काल घर छोडकर अन्य स्थान पर स्थलांतरित हो जाना पडता है । ऐसे समय घर की महत्त्वपूर्ण वस्तुएं एकत्रित करने का समय नहीं मिलता इसलिए एक थैली में सर्व जीवनावश्यक वस्तुएं (कपडे, औषधियां आदि) एकत्रित रखनी चाहिए । थैली ऐसी हो जो पानी में भीगे नहीं ।
७ आ. अच्छी गुणवत्ता की ‘प्लास्टिक शीट’ तथा मजबूत रस्सियां घर में होनी चाहिए तथा वे ऐसे स्थान पर रखी हों कि सहजता से मिल सकें । बाढस्थिति में वस्तुएं बांधने में उनका उपयोग होगा ।
७ इ. महत्त्वपूर्ण संपर्क क्रमांक और पते बही में लिखकर रखें बिजली न होने पर चल-दूरभाष भारित (चार्ज) करने में बाधा उत्पन्न होती है । इसलिए आपस में संपर्क करने में बाधा न आए, इसलिए अपने परिजन, पुलिस थाने, अग्निशमन दल, अपने निकट के चिकित्सालय आदि स्थानों के दूरभाष क्रमांक और पते एक बही में लिखकर स्वयं के पास रखें । इसलिए अन्य मार्ग से, उदा. दूसरे के चल-दूरभाष / दूरभाष से उनसे संपर्क कर सकते हैं ।
८. वर्षा ऋतु हेतु की जानेवाली पूर्वतैयारी
अ. मनुष्य की अपेक्षा प्राणियों में संकट की संवेदनाएं जानने की क्षमता अधिक होती है । इसलिए घर के पालतू प्राणियों के वर्तन (हाव-भाव) में परिवर्तन का बोध हो, तो सावधान हो जाना चाहिए ।
आ. प्राणियों को (कुत्ते, गाय आदि को) सुरक्षित स्थान पर ले जाएं । यह देखें कि उन्हें उस स्थान पर पानी और चारा उपलब्ध हो पाए । आपदा के समय प्रशासन तथा स्वयंसेवी संगठनों द्वारा प्राणियों को सुरक्षित स्थान पर रखने की व्यवस्था की गई हो, तो उसका भी लाभ उठा सकते हैं । (वर्ष २०१९ में पश्चिम महाराष्ट्र में आई भीषण बाढ में मृत जानवरों की ज्ञात संख्या ८ सहस्र थी; परंतु उससे भी अधिक हो सकती है ।)
इ. ‘बाढस्थिति में हम परिजन, परिचित, स्नेही, इनमें से किसी के घर जाकर रह सकते हैं क्या ?, इसका विचार करके रखें । इससे ऐन समय पर खोजने में समय व्यर्थ नहीं होगा ।
ई. आपातकालीन स्थिति में घर के वृद्ध व्यक्ति और छोटे बच्चों को क्या-क्या आवश्यकता पड सकती है, उनकी व्यवस्था करके रखें ।
उ. घर में तलघर हो, तो वहां की सामग्री ऊपरी मंजिल पर लाकर रखें । घर में पानी घुसने पर खराब होनेवाली वस्तुएं (उदा. गद्दे, अधिक मात्रा में सिरहाने (तकिए) बडी रजाइयां) हों, तो उन्हें भी सुरक्षित स्थान पर रखें ।
ऊ. घर का लकडी का फर्नीचर सुरक्षित स्थान पर ले जाकर रखें । वैसा करना संभव न हो, तो उन्हें घर के कॉलम (सीमेंट के खंभे), खिडकी आदि से जंजीर से बांधकर रखें । इससे वे पानी के प्रवाह से अन्य स्थानों पर बह नहीं पाएंगे ।
ए. बाढ के समय यदि हमें अन्य स्थान पर स्थलांतरित होना हो, तो उस समय पूजाघर की छोटी मूर्तियां, देवताआें के चित्र साथ में ले जाएं । सभी मूर्तियां साथ ले जाना संभव न हो, तो पूजाघर की छोटी मूर्तियां, शालिग्राम आदि ‘स्टील’ अथवा ‘एल्यूमिनियम’ के डिब्बे में कपडा डालकर उसमें रख सकते हैं । एक ही डिब्बे में एक से अधिक मूर्तियां रख सकते हैं; परंतु दो मूर्तियों के बीच में मुलायम कपडा अथवा कपास रखें । इससे मूर्तियां आपस में टकराकर चोटिल नहीं होंगी । ये डिब्बे संभवतः अपने घर में (बाढ पीडित क्षेत्र में) न रखकर परिजन अथवा स्नेहियों के घर में सुरक्षित स्थान पर रखें ।
ऐ. घर की भारी मूर्तियां अन्यत्र ले जाना संभव हो, तो उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाकर रखें । वैसा संभव न हो, तो मूर्ति घर में ऊंचाई और सुरक्षित स्थान पर अथवा तांड पर रखें । मूर्ति रखने के लिए आगे दिए अनुसार पेटी बना सकते हैं ।
पानी से खराब न होनेवाली अच्छे स्तर की लकडी की पट्टियों से चौकोर पेटी बनाएं । कुछ समय तक उसमें मूर्तियां व्यवस्थित रह सकेंगी । लकडी की पेटी पर रंग करने से अथवा उसे ‘वॉटरप्रुफ कोटिंग’ करने से पेटी की आयु बढ सकती है । अच्छी लकडी उपलब्ध न होने पर फाइबर अथवा उसी प्रकार की अन्य सामग्री का उपयोग कर पेटी बनाएं ।
ओ. बिजली पर चलनेवाले उपकरणों मेें (प्रशीतक (फ्रिज), धुलाई यंत्र (वॉशिंग मशीन), दूरदर्शन संच (टीवी), ‘ओवन’ आदि में) पानी जाने से वे खराब हो सकते हैं । इसलिए उन्हें ‘प्लास्टिक’ से व्यवस्थित बांधकर सुरक्षित स्थान पर रखें । भारी वस्तुएं और उपकरण हिलाना संभव न हो, तो वे भी उपरोक्तानुसार पैक कर जंजीर की सहायता से दीवार से बांधकर रखें । इससे पानी का स्तर बढने पर भी वे नहीं बहेंगी ।
औ. बाढ की स्थिति में विद्युत आपूर्ति अनेक घंटे तथा कुछ स्थानों पर अनेक दिनों के लिए भी खंडित हो जाती है । ऐसे समय चल-दूरभाष (मोबाइल) ‘डिस्चार्ज’ होने पर संपर्क करने में अडचन आती है । इसलिए वैकल्पिक रूप से ‘पॉवर बैंक’ का उपयोग कर सकते हैं । घर में पुराने चल-दूरभाष संच हों, तो देखें कि वे चलने की स्थिति में हैं अथवा नहीं । ऐन समय पर उनका उपयोग कर सकते हैं ।
अं. छाता, रेनकोट तथा वर्षा ऋतु में उपयोग में आनेवाले जूते हों, तो उन्हें स्वच्छ कर रखें ।
क. घर के आसपास पानी के गड्ढे हों, तो उसमें पानी जमा होकर मच्छर उत्पन्न होने की संभावना होती है । इसलिए संभव हो तो आसपास के परिसर में पानी एकत्रित न होने दें तथा मच्छरों से रक्षा के लिए उपाय करें ।
ख. प्रशासन और मौसम विभाग द्वारा समय-समय पर प्रसारित होनेवाली सूचनाआें का पालन करें । उनकी उपेक्षा न करें । (क्रमशः)
(प्रस्तुत लेखमाला के सर्वाधिकार (कॉपीराइट) ‘सनातन भारतीय संस्कृति संस्था’ के पास संरक्षित हैं ।)
लोगो, आपातकाल की दृष्टि से भौतिक स्तर पर तैयारी
करने के साथ ही साधना आरंभ कर आध्यात्मिक स्तर पर भी तैयारी करें !
भीषण बाढ की दृष्टि से भौतिक स्तर पर पूर्वतैयारी करने पर भी हमारी रक्षा होने के लिए ईश्वर की नित्य आराधना (साधना) करनी चाहिए । सामान्य व्यक्ति आपातकालीन स्थिति में घबरा जाता है । साधना करनेवाले के (साधक के) मन में दृढ श्रद्धा होती है कि ईश्वर प्रत्येक स्थिति में उसकी रक्षा करेंगे, इसलिए वह कठिन स्थिति में भी स्थिर रह पाता है । जीवन में घटनेवाले दुःखद प्रसंगों का धैर्य से सामना करने की शक्ति केवल साधना से ही प्राप्त होती है ।
लोगो, संभावित आपातकाल में अपना जीवन सुसह्य होने के लिए साधना त्वरित प्रारंभ करें और आपातकाल का सामना करने के लिए सर्व स्तरों पर तैयार रहें !
पाठकों से आवाहन !
महाबाढ की दृष्टि से कुछ मार्गदर्शक सूत्र यहां पर दिए हैं । इस विषय से संबंधित पाठकों को कुछ सूत्र सुझाने हों, तो वे निम्नलिखित संगणकीय अथवा डाक पते पर भेजें, यह विनती । इससे समाज के सामने विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने में सहायता होगी ।
संगणकीय पता : [email protected]
डाक पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा. पिन – ४०३ ४०१