कुछ वर्ष पूर्व ही अखिल मनुष्यतजाति को भीषण आपातकाल का भान कराकर उस पर परिणामकारक उपाय बतानेवाले त्रिकालदर्शी परात्पणर गुरु डॉ. आठवलेजी का द्रष्टापन !

श्रीसत्‌शक्‍ति श्रीमती बिंदा सिंगबाळ

     ‘आजकल भारत सहित अन्‍य अनेक राष्‍ट्रों में संक्रमणकारी विषाणु ‘कोरोना’ का बडी मात्रा में प्रकोप हुआ है । उससे सर्वत्र का जनजीवन संपूर्णत: ठप्‍प हो गया है और उससे अनेक जीवनोपयोगी वस्‍तुआें का अभाव हो रहा है । ‘कोरोना’ के कारण उत्‍पन्‍न यह आपातकालीन स्‍थिति और अगस्‍त २०१९ में अतिवृष्‍टि के कारण महाराष्‍ट्र और कर्नाटक राज्‍यों में उत्‍पन्‍न स्‍थिति आपातकाल आरंभ होने का ही लक्षण है । १५ – २० वर्ष पूर्व ही परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने बताया था कि ‘कालमहिमा के अनुसार आनेवाले कुछ वर्षों में ही आपातकाल आरंभ होनेवाला है ।’

     विश्‍वकल्‍याण हेतु अविरत प्रयास करनेवाले परात्‍पर गुरु डॉक्‍टरजी की विशेषता यह है कि वे केवल इतना बताकर ही नहीं रुके, अपितु ‘आपातकालीन स्‍थिति का सामना करने हेतु किस प्रकार की तैयारी करनी चाहिए’, इस संदर्भ में उन्‍होंने अखिल मानवजाति का अमूल्‍य मार्गदर्शन किया । नियतकालिक ‘सनातन प्रभात’ और सनातन के ग्रंथों में समय-समय पर यह लेख प्रकाशित हुआ है ।

१. ‘आपातकाल का सामना करने हेतु सभी स्‍तरों पर किस प्रकार तैयारी
करनी चाहिए ?’, इस संदर्भ में ‘सनातन प्रभात’ में लेख प्रकाशित करना

     गुरुदेवजी ने नियतकालिक ‘सनातन प्रभात’ से ‘आपातकाल का सामना करने हेतु सभी को शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, साथ ही आध्‍यात्मिक स्‍तरों पर किस प्रकार तैयारी करनी चाहिए ?’, इसके संदर्भ में विस्‍तृत लेखमाला प्रकाशित की, साथ ही आज भी दैनिक में वह प्रकाशित हो रही है । इसमें उन्‍होंने नित्‍य आवश्‍यकताआें को अल्‍प करने से लेकर ‘आपातकालीन सहायता प्रशिक्षण’ लेना क्‍यों आवश्‍यक है ?’, इन सब का अमूल्‍य मार्गदर्शन किया है । ‘यह जानकारी अधिकाधिक लोगों तक पहुंचे’, इस दृष्‍टि से उसका विस्‍तृत विवेचन करनेवाले ग्रंथ/लघुग्रंथ भी शीघ्र प्रकाशित करने का गुरुदेवजी के मन में है ।

२. ‘भावी आपातकाल की संजीवनी’ ग्रंथमाला प्रकाशित करना,
साथ ही जनमानस पर वनौषधियों की बोआई करने का महत्त्व अंकित करना

     इसी प्रकार उन्‍होंने ‘भीषण आपातकाल में डॉक्‍टर, वैद्य, औषधियां आदि की उपलब्‍धता न होने के समय रोगी की किस प्रकार चिकित्‍सा करनी चाहिए ?’, साथ ही अन्‍य समय भी उपयुक्‍त हो; इस प्रकार की अमूल्‍य जानकारी देनेवाली ग्रंथमाला प्रकाशित की है । इन ग्रंथों में प्राथमिक चिकित्‍सकीय प्रशिक्षण, बिंदुदाब, स्‍वसम्‍मोहन चिकित्‍सा, विकार-निर्मूलन हेतु प्राणशक्‍ति प्रणाली चिकित्‍सा, रिक्‍त गत्ते के बक्‍सों से उपचार, नामजप-उपचार, वनौषधियों का रोपण आदि का अमूल्‍य ज्ञान दिया गया है । ये ग्रंथ आगामी आपातकाल में संजीवनी सिद्ध होंगे ।

     उन्‍होंने ग्रंथों और नियतकालिकों के माध्‍यम से सभी के मन पर ‘भविष्‍य में आपातकालीन स्‍थिति के कारण डॉक्‍टर, साथ ही औषधियां उपलब्‍ध न होने पर हमारी स्‍वास्‍थ्‍यरक्षा हेतु प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को औषधीय वनस्‍पतियों का रोपण करना अत्‍यावश्‍यक है, इसका महत्त्व अंकित किया है ।

३. आपातकालीन स्‍थिति का सामना करने हेतु साधना का
कोई विकल्‍प न होने की बात समाजमन पर अंकित करना

     गुरुदेवजी पिछले कुछ वर्षों से हम सभी को ‘आपातकाल का सामना करने हेतु साधना के बिना कोई उपाय नहीं है’, यह बात बताकर साधना का महत्त्व बार-बार समझा रहे हैं । ‘‘धर्मसंस्‍थापना के कार्य हेतु स्‍वयं को समर्पित करें । मनोभाव से ईश्‍वर की आराधना कर उनके भक्‍त बनें’, यह बतानेवाले उनके मार्गदर्शक सूत्र ‘सनातन प्रभात’ में भी प्रकाशित हुए हैं ।

     ‘कठिन स्‍थिति में मन की सकारात्‍मकता बढकर मनोबल बना रहे’; इसके लिए उनके द्वारा विकसित ‘स्‍वसूचना पद्धति’ एकमेवाद्वितीय है । इसका अनुसरण कर अनेक साधकों ने ‘इस स्‍वसूचना पद्धति को अपनाने से स्‍वभावदोष और अहं की तीव्रता अल्‍प होने के साथ ही कठिन स्‍थिति में भी स्‍थिर रहा जा सकता है’, इसकी अनुभूति ली है ।

४. विश्‍वकल्‍याण हेतु कार्यरत गुरुदेवजी का द्रष्‍टापन एवं सर्वज्ञता !

     संभावित आपातकाल और उस समय उत्‍पन्‍न होनेवाली भीषण स्‍थिति के संदर्भ में केवल द्रष्‍टा संत ही समाज का मार्गदर्शन कर सकते हैं । आज की आपातकालीन स्‍थिति को देखते हुए कुछ वर्ष पूर्व ही सभी साधकों को आपातकाल का भान कराकर उस पर परिणामकारक उपाय बतानेवाले परात्‍पर गुरुदेवजी के द्रष्‍टापन और सर्वज्ञता की प्रतीति हुई । ‘उनके द्वारा बताए गए सूत्र का क्रियान्‍वयन करना क्‍यों अनिवार्य है ?’, सभी को गंभीरता से इसका भान हुआ । ऐसे महान एवं त्रिकालदर्शी गुरुदेवजी का मार्गदर्शन मिलना तो सनातन के साधकों का परमसौभाग्‍य ही है । साधक परात्‍पर गुरुदेवजी के प्रति चाहे कितनी कृतज्ञता व्‍यक्‍त करें, वह अल्‍प ही सिद्ध होगी !

     अखिल मानवजाति का आपातकाल के संदर्भ में सर्वांगीण मार्गदर्शन कर विश्‍वकल्‍याण हेतु अविरत परिश्रम उठानेवाले परात्‍पर गुरुदेवजी का यह कार्य अद्वितीय है । ऐसा कार्य करनेवाले परात्‍पर गुरुदेवजी इस भूतल पर एकमात्र हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है !

     ‘साधना का अनन्‍यसाधारण महत्त्व ध्‍यान में लेकर समस्‍त मानवजाति को साधना करने की सद़्‍बुद्धि हो’, यह जगन्‍नियंता श्रीकृष्‍णजी के चरणों में प्रार्थना !’

– (श्रीसत्‌शक्‍ति) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (२.४.२०२०)