कोई कार्यक्रम अच्छा नहीं लगता हो, तो उपन्यास पढिए ! – सर्वाेच्च न्यायालय की ‘जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय’ को फटकार

‘सुदर्शन न्यूज’ पर ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम का प्रकरण

नई देहली – ‘आपको कोई कार्यक्रम अच्छा नहीं लगता हो, तो आप मत देखिए । कोई कादंबरी पढिए !’ इन शब्दों में सर्वाेच्च न्यायालय ने ‘सुदर्शन न्यूज’ के ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम के विरुद्ध प्रविष्ट की गई याचिका की सुनवाई के समय ‘जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय’ के अधिवक्ता को फटकार लगाई । जामिया का पक्ष रखनेवाले अधिवक्ता शादान फरासत ने कहा था, ‘लोगों को मुसलमानों के विरुद्ध भडकाया जा रहा है । उन्हें ‘आस्तिन का सांप’ भी कहा जा रहा है ।’ उस पर न्यायालय ने उक्त शब्दों में फटकार लगाई ।

१. इस समय न्यायालय ने सुदर्शन न्यूज के शपथपत्र पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा ‘हमने आपसे आप अपने कार्यक्रम में क्या बदलाव करेंगे ?, यह पूछा था । किस समाचारवाहिनी ने क्या दिखाया, यह नहीं पूछा था ।’

२. सुदर्शन न्यूज के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने न्यायालय को बताया था कि ‘एनडीटीवी’ ने वर्ष २००८ में ‘हिन्दू आतंकवाद’, ‘भगवा आतंकवाद’ शब्दों का प्रयोग किया था; परंतु उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई ।’ उस पर अपना मत व्यक्त करते हुए न्यायालय ने उक्त वक्तव्य दिया ।

३. अधिवक्ता जैन ने कहा, हम प्रसारण के लिए प्रोग्राम कोड का पालन करेंगे । उन्होंने जिहाद प्रसारित करने की अनुमति मांगी । इस बार अदालत ने घटना के सभी सूत्र देखने के पश्चात अनुरोध को रद्द कर दिया । अधिवक्ता यह तर्क नहीं दे सकते कि यदि ७०० -पृष्ठ की पुस्तक के विरुद्ध याचिका है, तो न्यायाधीशों को पूरी पुस्तक पढनी चाहिए ।

४. सुदर्शन न्यूज के संदर्भ में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा कि वेब आधारित डिजिटल मीडिया पर नियंत्रण की आवश्यकता है । इसमें वेब पत्रिकाएं, वेब चैनल, तथा दैनिक (अखबार) भी अंतर्भूत हैं । डिजिटल मीडिया स्पेक्ट्रम और इंटरनेट का उपयोग करता है, यह सार्वजनिक संपत्ति है । वर्तमान में इस मीडिया का विस्तार हुआ है । यहां लोगों को प्रभावित करने के लिए अनावश्यक वीडियो और भ्रामक समाचारं दिखाए जाते हैं । इसके लिए दिशानिर्देश और नियम निर्धारित करने की आवश्यकता है ।

ओपइंडिया, इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट और अपवर्ड द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिकाएं

संघ लोक सेवा आयोग ओपइंडिया, इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट और अपवर्ड ने जिहाद के निलंबन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सरकारी याचिकाएं दायर की हैं ।