वर्ष २०२१ की जनगणना में आदिवासी अपना धर्म ‘हिन्दू’ न बताएं; इसके लिए ईसाई मिशनरी और साम्यवादियों का दबाव

इसके विरोध में रा.स्व. संघ और विहिंप चलाएंगे अभियान

ईसाई मिशनरी और साम्यवादियों का चरमसीमा पर पहुंचा हुआ हिन्दूद्वेष जानिए ! इस प्रकार आदिवासियों का बुद्धिभेद करनेवालों के विरुद्ध केंद्र सरकार को कार्यवाही करनी चाहिए !

भोपाल (मध्य प्रदेश) – रा. स्व. संघ के एक ब्यौरे से यह बात सामने आई है कि ईसाई मिशनरी और साम्यवादी देश के आदिवासियों पर दबाव बना रहे हैं कि, वे वर्ष २०२१ में होने जा रही जनगणना के समय अपना धर्म ‘हिन्दू’ न बताएं । उन्हें धर्म के स्थानपर गोंड, कबीरपंथी, कृष्णपंथी आदि उल्लेख करने के लिए कहा जा रहा है । इसलिए अब रा.स्व. संघ और विश्व हिन्दू परिषद इसके विरोध में पूरे देश में अभियान चलानेवाले हैं ।

१. जनगणना में धर्म का उल्लेख करने के लिए एक स्तंभ होता है; परंतु मांग की जा रही है कि आदिवासियों को उनका धर्म लिखने के स्थान पर अन्य विकल्प लिखने के लिए अलग स्तंभ होना चाहिए ।
२. आदिवासियों का बुद्धिभेद करने हेतु रामायण का संदर्भ दिया जा रहा है । उन्हें बताया जा रहा है कि ‘आप वानरराज बाली का वंशज हैं । बाली को श्रीराम ने कपट से मारा था । बाली हिन्दू नहीं, अपितु आदिवासी था । इसलिए आदिवासी स्वयं को हिन्दू न बताएं ।’

३. भोपाल में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी और विहिंप के नेता चंपत राय की उपस्थिति में संपन्न बैठक में निश्चित किया गया कि ‘इस अभियान के अंतर्गत ग्रामीण स्तर पर समूह बनाकर आदिवासियों को सत्य बताने के लिए पत्रक बनाए जाएं ।’

४. ‘विजयनगरम आंध्र प्रदेश सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी’ के कुलपति प्रा. टी.वी. कट्टीमनी ने बताया कि इसके माध्यम से हिन्दुओं की अस्मिता को तोडने का षड्यंत्र रचा जा रहा है । उनका धर्मांतरण करने के लिए ही आदिवासियों में उनके ‘हिन्दू’ न होने का भ्रम फैलाया जा रहा है । प्रत्येक आदिवासी के नाम के साथ राम, श्याम और कृष्ण शब्द होते हैं । आदिवासी आचार और पूजा करने के साथ ही हिन्दू धर्म के सभी संस्कारों का पालन करते हैं ।