सर्वत्र के अर्पणदाताआें को अन्नदान करने का सुअवसर !
‘१८.९.२०२० से १६.१०.२०२० की अवधि में ‘अधिक मास’ (मलमास) है । इस महीने में नाम, सत्संग, सत्सेवा, त्याग, दान आदि का अधिक महत्त्व होता है । इस महीने में दान करने से अधिक गुना फल मिलता है । इसलिए अनेक लोग अन्नदान, वस्त्रदान और ज्ञानदान करते हैं । दान पापनाशक है तथा वह पुण्यबल की प्राप्ति करवाता है ।
१. अन्नदान का अनन्यसाधारण महत्त्व !
‘अन्नदान’ को श्रेष्ठ कर्म माना जाता है । हिन्दू धर्मशास्त्रानुसार, जो गृहस्थ अर्थार्जन करता है और जिसके घर में प्रतिदिन भोजन पकता है, उसके लिए अन्नदान करना कर्तव्य ही है । धर्मशास्त्र कहता है कि सद़्भावना पूर्वक ‘सत्पात्रे अन्नदान’ करने से अन्नदाता को उसका उचित फल मिलता है तथा सभी पापों से उसका उद्धार होकर वह ईश्वर के निकट पहुंचता है । अन्नदान करने से अन्नदाता को आध्यात्मिक स्तर पर भी लाभ होता है ।
२. धर्मप्रसार का कार्य निरंतर करनेवाले सनातन के आश्रमों में अन्नदान करें !
वर्तमान काल धर्मग्लानि का काल है । इसमें धर्मप्रसार करना कालानुसार आवश्यक कार्य है । धर्मप्रसार का कार्य करनेवाले संत, संस्थाएं अथवा संगठनों को अन्नदान करना, यह सर्वश्रेष्ठ दान है । सनातन संस्था राष्ट्ररक्षा और धर्मजागृति के लिए कटिबद्ध है । सनातन संस्था के आश्रम और सेवाकेंद्रों से धर्मप्रसार का कार्य किया जाता है । वर्तमान काल में राष्ट्र और धर्म की सेवा करने का महत्त्व ध्यान में रखकर सैकडों साधक आश्रमों में रहकर पूर्णकालिक सेवा कर रहे हैं । निरंतर धर्मजागृति का कार्य करनेवाले सनातन के आश्रमों को अन्नदान के लिए धनरूप में सहायता करने का अवसर अर्पणदाताआें को मिल रहा है । जो अर्पणदाता अधिक मास के निमित्त साधकों के लिए अन्नदान हेतु धनरूप में सहायता कर धर्मकार्य में सम्मिलित होने के इच्छुक हैं, वे निम्नांकित क्रमांक पर संपर्क करें ।
नाम और संपर्क क्रमांक : श्रीमती भाग्यश्री सावंत – 7058885610०
संगणकीय पता : [email protected]
डाक पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा. पिन – ४०३४०१
अन्नदान के लिए संस्था को धनादेश देना हो, तो वह ‘सनातन संस्था’ के नाम से दें ।
यहां भी दान (अर्पण) करने की सुविधा उपलब्ध है ।’
– श्री. वीरेंद्र मराठे, व्यवस्थापकीय न्यासी, सनातन संस्था.
(२५.८.२०२०)