तुर्किस्तान की बढती भारतविरोधी गतिविधियों को देखते हुए भारत को अब उसकी समझ में आए, ऐसी भाषा में उत्तर देना चाहिए !
नई देहली – कश्मीर के सूत्र पर तुर्किस्तान पाकिस्तान को भारत के विरुद्ध सहायता कर रहा है । अब इसी परिप्रेक्ष्य में तुर्किस्तान के विश्वविद्यालयों में भारतविरोधी वातावरण बनाया जा रहा है । पिछले एक वर्ष में इससे संबंधित घटनाओं में वृद्धि हुई है । इसमें पाकिस्तानी दूतावास और पाकिस्तान समर्थित संस्थाओं का सहभाग है । ५ अगस्त २०१९ को कश्मीर से अनुच्छेद ३७० को हटाने से लेकर अबतक तुर्किस्तान के विविध विश्वविद्यालयों में कश्मीर के संदर्भ में न्यूनतम ३० विचारगोष्ठियों का आयोजन किया गया, जिनमें भारतविरोधी प्रचार किया गया ।
Turkish Universities turning into epicenters of anti-India activitieshttps://t.co/ERCcZh3Azp
— Zee News English (@ZeeNewsEnglish) August 9, 2020
१. तुर्किस्तान में स्थित पाकिस्तान के गुप्तचर संगठन आई.एस्.आई. के दलाल तथा ‘वर्ल्ड कश्मीर फोरम’ के महासचिव गुलाम नबी फई ने भी इनमें से कई विचारगोष्ठियों में भाग लिया था ।
२. तुर्किस्तान में पाकिस्तान के राजदूत साइकस सज्जाद काजी ने भी इनमें भाग लिया था । पाकिस्तान के दूतावास और उच्चायुक्तालय ने भी इस प्रकार के आयोजन किए थे ।
३. पाकिस्तानी दूतावास की ओर से तुर्किस्तान में स्थित इस्तंबुल नगर में स्थित ऐदिन विश्वविद्यालय में ‘जम्मू एंड कश्मीर अंडर द प्रेशर ऑफ फार राईट नैशनलिजम’, ‘कश्मीर का सवाल’ ‘५ अगस्त से अबतक : अनंत मार्शल लॉ’ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था ।
४. इन कार्यक्रमों में विशेषकर भारतीय वंश के छात्रों को आमंत्रित किया गया था । इन कार्यक्रमों में कश्मीर के नेता और भारतविरोधी विचारकों के भाषणों का आयोजन किया गया था । पाक अधिकृत कश्मीर के राष्ट्रपति सरदार मसूद खान ने भी ऐसे कार्यक्रमों में उपस्थित रहकर मार्गदर्शन किया था ।
५. तुर्किस्तान में स्थित पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त ‘कश्मीर सिवितास’ और ‘कश्मीर वर्किंग ग्रुप’ जैसी संस्थाओं की ओर से भी शिक्षा संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित किए गए थे ।
६. इस्तंबुल विश्वविद्यालय के ऊर्दू विभाग के प्रमुख प्रा. हलील टोकर ने ऐसे अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया था । टोकर को पाकिस्तान का हस्तक माना जाता है । वर्ष २०१७ में उन्हें पाकिस्तान की ओर से ‘सितारा-ए-इम्तियाज’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था ।