संगीतकार ए.आर्. रेहमान की मां ने मुझे माथेपर लगाया हुआ तिलक और विभूति पोंछने के लिए कहा ! – तमिल गीतकार पिरईसूदन का दावा

धर्मांतरित अधिक कट्टर होते हैं; इसका और एक उदाहरण ! ध्‍यान रहे कि ऐसे लोगों को कोई धर्मनिरपेक्षता का उपदेश नहीं देता !

 

चेन्‍नई (तमिलनाडू) – तमिल गीतकार पिरईसूदन ने एक भेंटवार्ता में बताया कि प्रसिद्ध संगीतकार ए.आर्. रेहमान के घर जानेपर रेहमान की मां ने मेरे माथे पर लगा हुआ तिलक और विभूति पोंछने के लिए कहा था; किंतु मैने उसे अस्‍वीकार कर दिया ।

१. रेहमान पहले हिन्‍दू थे । जब उनके पिता और बहन बहुत बीमार थीं, तब मुसलमान के एक सुफी संप्रदाय के व्‍यक्‍ति ने उनकी बहन की जान बचाने हेतु इस्‍लाम पंथ स्‍वीकार करने की शर्त रखी । (हिन्‍दू संत क्‍या कभी किसी की सहायता करने के लिए धमपरिवर्तन करने की शर्त रखते हैं ? इससे अन्‍य धर्मियों में कितनी धर्मांधता है, यह ध्‍यान में आता है ! इस संदर्भ में तथाकथित आधुनिकतावादी और धर्मनिरपेक्षतावादी अपना मुंह कभी नहीं खोलते, इसे ध्‍यान में लें ! – संपादक) इसके पश्‍चात रेहमान मुसलमान बन गए ।

२. रेहमान ने अपने पिता की मृत्‍यु के लिए हिन्‍दू देवी-देवताआें को उत्तरदायी मानते हैं । उन्‍होंने कहना था कि ‘मेरे पिता जिन देवी-देवताआें की पूजा करते थे, उन्‍होंने ही उनकी जान ली ।’ (हिन्‍दुआें को धर्मशिक्षा न मिलने से उन्‍हें देवी-देवताआें और धर्मशास्‍त्र की जानकारी नहीं होती । इससे वे इस प्रकार अन्‍य धर्मियों द्वारा किए जानेवाले धर्मपरिवर्तन की बलि चढते हैं ! रेहमान इसका उदाहरण हैं ! हिन्‍दुआें को धर्मशिक्षा देना ही इसका एकमात्र विकल्‍प है ! – संपादक)