(निवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन लिखित महत्त्वपूर्ण
मराठी पुस्तक : आव्हान – जम्मू आणि काश्मीरमधील छुप्या युद्धाचे
भारत को हानि पहुंचा सकनेवाले कौन-कौनसे धोके इस काल के उदर में छिपे हैं, यह जानकारी प्रत्येक समझदार नागरिक को होनी चाहिए; परंतु यह सहजता से उपलब्ध होनेवाली नहीं है । इस विषय में (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने एक मराठी पुस्तक ‘आव्हान -जम्मू आणि काश्मीरमधील छुप्या युद्धाचे (अर्थात चुनौती -जम्मू और कश्मीर के छुपे युद्ध की’ लिखी है । इसके माध्यम से उन्होंने इन धोखों से देश को अवगत कराया है । यह पुस्तक, कश्मीर की समस्या समझने का सरल मार्ग है ।
कश्मीर की समस्या समझने के लिए उसके संपूर्ण इतिहास का विवेचन पढना आवश्यक है, जो इस पुस्तक में है । जम्मू और कश्मीर राज्य के इतिहास को अनोखे ढंग से प्रस्तुत करनेवाले लेख, राज्य की वर्तमान परिस्थिति का लेखा-जोखा बतानेवाला प्रतिवेदन और राज्य की भौगोलिक सीमा का यथार्थ दर्शन करानेवाले रमणिक मुखपृष्ठों से यह पुस्तक सुशोभित है । जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन और शत्रु का सामना करने के विषय में विवेचन इस पुस्तक में किया गया है ।
१. पाकअधिकृत कश्मीर के दुर्भाग्यपूर्ण इतिहास को क्रमश: लेखनीबद्ध करनेवाला ग्रंथ !
भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के समय जम्मू-कश्मीर एक स्वतंत्र राष्ट्र था । अंग्रेजों ने उसे स्वयं निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी । मुसलमान बहुल होने के कारण पाकिस्तान विलीनीकरण के लिए बाध्य कर रहा था, पर भारत तटस्थ था । जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे । इसी समय पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण किया और राज्य के बडे भूभाग पर सत्ता स्थापित कर ली । महाराजा हरि सिंह को भारत से सहायता लेनी पडी । नेहरू ने ‘जम्मू-कश्मीर भारत में विलीन करने के लिए कहा’, महाराजा हरि सिंह ने निर्णय लेने में अत्यधिक विलंब किया, जिसका परिणाम है ‘पाकअधिकृत कश्मीर’ ! इस पुस्तक में यह संपूर्ण इतिहास क्रमश:लिखा गया है ।
२. ‘भारत के अन्य राज्यों को जम्मू-कश्मीर की अनेक समस्याओं का सामना करना
पडता है और पैसे भी खर्च करने पडते हैं ।’ पुस्तक में यह सत्य प्रकाशित किया गया है ।
अनेक समस्याओं के साथ भारत में जम्मू-कश्मीर राज्य का विलीनीकरण हुआ । संविधान की धारा ३७०, पाकव्याप्त कश्मीर, पाकिस्तान द्वारा चीन को दिया भारतीय भूभाग, चीन के आधिपत्य का अक्साई चीन, मुसलमान बहुल प्रांत के हिन्दू अल्पसंख्यकों के प्रश्न, घुसपैठिए, निर्वासित और विस्थापितों की समस्याएं, ऐसी अनेक समस्याओं के निराकरण के लिए भारतीय संघराज्य सदैव खर्च करता है ।
जम्मू-कश्मीर की समस्याओं पर भारतीय संघराज्य का खर्च अत्यधिक होने लगा । उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे पिछडे राज्यों को कभी न मिलनेवाली मदद उन्हें मिलने लगी । ‘जहां कभी रह नहीं सकते, जहां की भूमि खरीद नहीं सकते, अन्य राज्य कब तक ऐसे राज्य की सहायता करेंगे ?’ आर्थिक असमानता का यह प्रश्न उपस्थित हुआ । ब्रिगेडियर महाजन ने अपनी पुस्तक में इन आर्थिक प्रश्नों का वर्णन किया है, इसलिए यह पुस्तक पठनीय है ।
३. कश्मीर एक प्रकार से आतंकवाद का लघु उद्योग हो गया है तथा
तत्कालीन शासकों की अयोग्य नीति के कारण भारत को दुर्बल समझा जाता है ।
कश्मीर आतंकवाद का लघु उद्योग बन गया है जिसमें युवा पीढी को भारी मात्रा में आकर्षित किया जाता है । उन्हें इस चक्रव्यूह से बाहर निकालना अत्यावश्यक है । प्रारंभ से ही कश्मीर संबंधी अनेक चूकें हुई हैं, इतिहास इसका साक्षी है । शासकों की अयोग्य नीति के कारण भारत को दुर्बल माना जाता है ।
कोई भी शक्ति कश्मीर को भारत से विभाजित नहीं कर सकती, किंतु प्रश्न यह है कि उसे भारत में रखने के लिए और कितने बलिदान देने होंगे ? भारत से अलग होने के उनके विचार नहीं हैं इस कारण कश्मीर भारत का अविभाज्य भाग है ।
४. ‘कश्मीर प्रश्न’ तत्कालीन शासकों की चूक का परिणाम है
और ‘कश्मीर स्वतंत्र देश होना चाहिए’, यह अमेरिका की कूटनीति है !
कश्मीर भारत का सिरमौर है जिसे एक ओर से चीन खींच रहा है और दूसरी ओर से पाकिस्तान ! आक्रमण होने पर ही हम एकत्र होते हैं । बांग्लादेश स्वतंत्र हुआ, उसी समय कश्मीर का प्रश्न हल हो सकता था । ये चूकें सेना की न होकर शासकों की हैं । भारत सेना के बल पर ही आज एकसंध है । भारत की नदियां पाकिस्तान को ‘सुजलाम्-सुफलाम्’ बना रही हैं । ‘कश्मीर स्वतंत्र देश होना चाहिए’, यह अमेरिका की कूटनीति है ।
५. कश्मीर में (पाक समर्थक)आतंकवाद के छिपे युद्ध का स्पष्टीकरण देनेवाला ग्रंथ !
सीमापार घुसखोरी रोकने और आतंकवाद नष्ट करने के लिए शक्तिशाली शासन के साथ सक्षम नेतृत्व चाहिए । जम्मू-कश्मीर के युवक केंद्रीय सुरक्षा बल के (‘सीआरपीएफ’) सैनिकों पर पत्थर फेंकते हैं तथा अफवाह फैलाकर बंद का आवाहन करते हैं । जिहादी कारखाने युवकों को पैसे देते हैं । पाकिस्तान में आतंकवाद की पाठशालाएं हैं और शासक इसका विरोध न कर समर्थन करते हैं । इस पर नियंत्रण की अत्यधिक आवश्यकता है ।
१९८० से कश्मीर में छिपा युद्ध आरंभ है जो आज तक जारी है । जम्मू-कश्मीर समस्या की जड जिस घाटी में है, उस घाटी के लोग पाक समर्थक हैं । वहां के लोगों को भारत से जोडने की आवश्यकता है । जिहाद तंत्र तैयार होने के कारण पत्थर फेंकने की घटनाएं होती हैं । अफवाहें फैलाने में आइएसआइ पाक की सहायता करती है । वहां के ८० प्रतिशत नागरिकों को भारत छोडने की इच्छा नहीं है । कश्मीर में कुशासन और अत्यधिक भ्रष्टाचार है । इस पुस्तक में उपरोक्त संपूर्ण विवेचन है ।
‘इस प्रकार के समाज प्रबोधक और ज्ञानदीप ग्रंथों की रचना सदैव होनी चाहिए’, मैं यह सदिच्छा व्यक्त करता हूं ।
– श्री. नरेंद्र गोळे (अंग्रेजी में प्रकाशित ब्रिगेडियर हेमंत महाजन लिखित पुस्तक का मराठी अनुवाद)