सेल्फी लेने के व्यसन वृद्धि में किशोरावस्था की लडकियों की संख्या सर्वाधिक

महाविद्यालयों में धर्मशिक्षा नहीं दिए जाने के कारण भौतिकवाद की ओर नई पीढी का आकर्षण बढा है ।

सेल्फी लेने के व्यसन वृद्धि में किशोरावस्था की लडकियों की संख्या सर्वाधिक

     नई देहली – सेल्फी के कारण किशोरावस्था के बालक तथा बालिकाओं में ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर नामक रोग बढ रहा है । हाल ही में एम्स चिकित्सालय में इस बीमारी से ग्रस्त तीन लडकियों के उपचार किए गए  हैं ।

     अपने दैनिक कामों में यदि किसी आदत के कारण बाधा आने लगे, तो उसे ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर का लक्षण माना जाता है । एम्स चिकित्सालय के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. नंदकुमार बोले, यदि सेल्फी नहीं ली या सामाजिक जालस्थल पर छायाचित्र नहीं डाला, तो मन अस्थिर हो जाता है । यदि सेल्फी नहीं लेने का निश्‍चय करें, तो यही लोग अपनेआप पर नियंत्रण नहीं रख पाते । सेल्फी लेने की प्रथा बढने के उपरांत कॉस्मेटिक सर्जरी करनेवालों की संख्या में भी वृद्धि हुई है । गंगाराम चिकित्सालय के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. रोमा कुमार बोलेे, गंगाराम चिकित्सालय में भी प्रतिमाह इस रोग के ४ – ५ किशोरावस्था के रोगी आ रहे हैं । सेल्फी लेना सामान्य बात है; परंतु सदा सेल्फी लेना व्यसन है ।
(दि. १८.१.२०१७)   

स्वदेशी-प्रयोग राष्ट्रीय कर्तव्य ही है !

  • कोई भी वस्तु क्रय करने (खरीदने) से पहले देख लें कि वह स्वदेशी ही हो !
  • वस्तुएं सस्ती होने पर भी कदापि क्रय न करें !
  • जालस्थल, लेख आदि द्वारा स्वदेशी का प्रचार करें !
  • खेल, आयुर्वेद आदि में भी स्वदेशाभिमान संजोएं !

हिन्दुस्थान में स्वदेशी आंदोलन द्वारा सुराज्य-क्रांति की ज्वाला पुन: प्रज्वलित कर भारत को वैभवशाली बनाएं !

विदेशी वस्तुएं त्यागें; राष्ट्रहानि रोकें !

     वर्ष १९४७ में हमारे देश में १२५ विदेशी प्रतिष्ठान थे । अब यह संख्या अनुमानतः ६ सहस्र हो गई है । केवल चीनी वस्तुओं से ५० लाख भारतीय उद्योगहीन हुए हैं !

विदेशी वस्तुओं का प्रयोग, राष्ट्राभिमान का पतन ही है !

छोडिए रिमोट, पकडिए पुस्तक !

     १. वाचन में रुचि उत्पन्न होने के लिए आरंभ में जिस विषय में रुचि है, वह पुस्तक पढें । धीरे-धीरे विविध विषयों की पुस्तकों का वाचन करें, इससे वाचन करने में ऊब नहीं होगी

अपने तेजस्वी राष्ट्रपुरुषों का इतिहास, हिन्दुस्थान का स्वतंत्रता संग्राम, क्रांतिकारियों के चरित्र, युद्धकथा, हिन्दुस्थान के महान वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध, मैथिलीशरण गुप्त समान कविश्रेष्ठों का काव्यसंग्रह, देवता एवं संतों के चरित्र, विशेष रूप से समर्थ रामदासस्वामी, संत जनाबाई समान संतों द्वारा छोटी आयु में की साधना (संत गोस्वामी तुलसीदास, मीराबाई, सूरदास), महान हिन्दू संस्कृति इत्यादि विविध विषयों की पुस्तकें पढें ।

छोडिए रिमोट, पकडिए पुस्तक ! यह मूलमंत्र निरंतर दूरदर्शन देखने की आदत छोडने के लिए उपयुक्त होता है ।

     २. गायन, वादन, मूर्तिकला, शिल्पकला आदि में से स्वयं को प्रिय कला अथवा अन्य अच्छी अभिरुचि का विकास करें ।
३. दूरदर्शन देखने की आदत धीरे-धीरे न्यून करें : दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखने का अपने समय में प्रत्येक सप्ताह आधे घंटे की कटौती करें । छुट्टी के दिन तो दूरदर्शन पर कार्यक्रम देखना अत्यल्प करें । परीक्षा निकट आने पर दूरदर्शन देखना बंद ही करें ।

(संदर्भ : टीवी, मोबाइल एवं इंटरनेट की हानिसे बचें और लाभ उठाएं)