पढाई अच्छी होने हेतु यह करें !

पढाई अच्छी होने हेतु यह करें !

  • मन एवं वातावरण प्रसन्न बनाने हेतु पढाई के स्थान पर उपास्यदेवता का चित्र रखकर उदबत्ती (अगरबत्ती) जलाएं
  • पढाई आरंभ करने से पहले श्री गणेश एवं श्री सरस्वती मां से प्रार्थना करें, पढाई अच्छी होने हेतु मुझे बुद्धि प्रदान करें ।
  • पढाई से पहले १० मिनट उपास्यदेवता का नामजप करें ।
  • पढाई करते हुए समय-समय पर प्रार्थना एवं नामजप करें ।
  • स्मरणशक्ति बढानेवाले योगासन नियमित करें ।

बच्चो, मोबाइल का सदुपयोग कैसे करें ?

मोबाइल द्वारा राष्ट्र एवं धर्म संबंधी लघुसंदेश (एस.एम.एस.) भेजें !

     वर्तमान में मोबाइल द्वारा लघुसंदेश सुविधा द्वारा एक-दूसरे को विनोद, पहेलियां, काव्य, शेरो-शायरी तथा अन्य मनोरंजक संदेश भेजे जाते हैं  बच्चो, इस प्रकार समय व्यर्थ करने की अपेक्षा आपके संपर्क में आनेवाले अधिकाधिक लोगों को राष्ट्रहित एवं धर्मशिक्षा के विषय में संदेश भेजें । इस संदेश के कुछ उदाहरण आगे दे रहे हैं –

  • आपका आदर्श कौन  लचित्र- नहीं, अपितु राष्ट्रपुरुष !
  • राष्ट्राभिमान बढाने के लिए देशभक्ति गीत सुनें !
  • स्त्रियां प्रतिदिन गोल कुमकुम एवं लडके / एवं पुरुष खडा तिलक लगाएं !
  • बडों को हाथ जोडकर एवं मस्तक थोडा नीचे झुकाकर नमस्कार करें !
  • विवाहसमारोह, शिलान्यास, दीपप्रज्वलन आदि प्रसंगों में जूते-चप्पल न पहनें !

बच्चो, प्रतिदिन भगवान से प्रार्थना करें !

स्नान से पूर्व प्रार्थना
     हे जलदेवता, आपके पवित्र जल से मेरा शरीर शुद्ध होने के साथ-साथ मन निर्मल होने दें ।

भोजन ग्रहण करने से पूर्व प्रार्थना
     हे अन्नपूर्णामाता, आपकी कृपा से मिले हुए इस प्रसाद से मुझे दिनभर शक्ति एवं चैतन्य मिलने दें ।

सोने से पूर्व-प्रार्थना
     हे देवता, आपका सुरक्षा-कवच मेरे सर्व ओर बना रहे और सोते समय भी मेरा जप होने दें ।

अन्य प्रार्थना
     हे ईश्‍वर, मुझे देश एवं धर्म के प्रति प्रेम लगे ।

[पढें : सनातन का लघुग्रंथ प्रार्थना (महत्त्व एवं उदाहरण)]

इंटरनेट एडिक्शन के (व्यसन के) प्रकार

१. ऑनलाइन गेम्स खेलने का व्यसन

     विविध प्रकार के ऑनलाइन गेम्स खेलते समय बच्चों को समय का भान नहीं रहता है । आगे-आगे इन गेम्स की धुन में वे स्नान, पढाई, खाना आदि बातें भी भूल जाते हैं । वास्तव में बच्चों को मैदान में जाकर समूह खेल खेलने चाहिए । किंतु वे इंटरनेट पर ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं । काल्पनिक जगत में रमने की अपेक्षा वास्तविक जगत में कैसे रहना चाहिए, बच्चों को यह सीखना महत्त्वपूर्ण है ।

२. साइबर रिलेशनशिप एडिक्शन

     इसमें सोशल नेटवर्किंग साइट, चैटिंग, मेसेजिंग इत्यादि का उपयोग बहुत बढ जाता है । वह इतना बढ जाता है कि परिवार के सदस्य तथा मित्र परिवार की अपेक्षा जो कभी भी नहीं मिले हैं, ऐसे ऑनलाइन मित्र महत्त्वपूर्ण लगने लगते हैं ।

हिन्दू राष्ट्र में आदर्श गुरुकुल शिक्षाप्रणाली होगी !

     बालक सुसंस्कारी बनें तथा वे शिक्षा प्राप्त कर देश के आदर्श नागरिक बनें, इसलिए हम अपने बालकों को विद्यालय भेजते हैं; परंतु वर्तमान धर्मनिरपेक्ष शिक्षा व्यवस्था के वातावरण में बालकों में शीघ्रता से बढनेवाली कुप्रवृत्तियां धर्मनिरपेक्ष शिक्षा व्यवस्था की असफलता को दर्शाती हैं । प्रभु श्रीरामचंद्र, भगवान श्रीकृष्ण, आर्य चाणक्य, पांडव आदि महापुरुष गुरुकुल शिक्षाप्रणाली की देन हैं । जब गुरुकुल शिक्षाप्रणाली चल रही थी, तब भारत विश्‍वगुरु पद पर विराजमान था और भारत सोने की चिडिया कहलाता था । इसके लिए गुरुकुल प्रणाली का पुन: आरंभ होना आवश्यक है । केवल आदर्श ही नहीं, अपितु भावी हिन्दू राष्ट्र में दैवी गुणों से समृद्ध समाज देनेवाली गुरुकुल शिक्षाप्रणाली होगी ।