हम विद्यालय में बचपन से ही पढते आए हैं कि केरल राज्य देश में सर्वाधिक संख्या में साक्षर है; किंतु अब ‘केरल राज्य सर्वाधिक लव जिहादियों का राज्य है’, ऐसा भी सिखाने का और उसे जनजागृति हेतु समाजमन पर अंकित करने का समय आ गया है । केरल के साईरो-मलबार कैथोलिक चर्च के प्रमुख कार्डिनल जॉर्ज ऐलनचैरी ने लव जिहाद को दक्षिण भारत की ईसाई लडकियां बडी संख्या में बलि चढने की बात कर चिंता व्यक्त की है । उन्होंने इस संदर्भ में एक विज्ञप्ति प्रकाशित की है । उसमें वे कहते हैं, ‘‘लव जिहाद’ केवल कोई कल्पना नहीं है, अपितु उसका वास्तव में अस्तित्व है । दक्षिण भारत की ईसाई युवतियों को ‘इस्लामिक स्टेट’
द्वारा प्रेमजाल में फंसाया जा रहा है और उनका उपयोग आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है ।’’ इससे दक्षिण भारत में, विशेष रूप से केरल में लव जिहाद के संकट की गंभीरता ध्यान में आती है । वास्तव में कुछ वर्ष पहले लव जिहाद के विरुद्ध आवाज उठाई हिन्दू जनजागृति समिति ने ! तब जब किसी को भी लव जिहाद के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं थी और जिन्हें जानकारी थी, वे इस संदर्भ में खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं थे; तब हिन्दू जनजागृति समिति ने इसके विरुद्ध आवाज उठाने का साहस दिखाया । इस संदर्भ में समिति ने ‘लव जिहाद’ नामक एक ग्रंथ भी प्रकाशित किया है । इस ग्रंथ में लव जिहाद की बलि चढी युवतियों की हृदय को दहलानेवाली व्यथाआें को उदाहरणों सहित प्रकाशित किया है । उस समय अनेक लोगों ने इस वास्तविकता की एक प्रकार से अवहेलना की ।कुछ वर्ष पहले इसी केरल राज्य में हादिया प्रकरण बहुत चर्चा में था । हादिया के पिता ने उसे लव जिहाद के जाल में फंसाए जाने का आरोप लगाया था । उस पर केरल का वातावरण हिल उठा था । केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री अच्युतानंदन् ने भी लव जिहाद का अस्तित्व स्वीकार किया था । केवल इतना ही नहीं, अपितु राष्ट्रीय अन्वेषण विभाग ने भी इस संदर्भ में कुछ गंभीर सूत्र रखे थे ।
सामान्य जांच भी क्यों नहीं ?
केरल में फैल रहे लव जिहाद के लिए वहां की अभी तक के हिन्दूद्वेषी राज्यतंत्र ही कारणभूत हैं । केरल सदैव ही हिन्दूद्वेषी कांग्रेसी और वामपंथियों का गढ रहा है । उन्होंने कभी भी हिन्दुआें के साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध आवाज नहीं उठाई । केवल केरल में ही नहीं, अपितु भारत के लगभग सभी राज्य लव जिहाद के चपेट में आ गए हैं । उसका सर्वाधिक दंश हिन्दुआें को ही झेलना पड रहा है । अब चर्च को भी इसका अनुभव हो रहा है । लव जिहाद के कारण संपूर्ण देश के हिल जाने पर भी उसकी सामान्य जांच तक नहीं होती, इसे ध्यान में लेना होगा । इसकी जांच तो दूर; परंतु उसका अस्तित्व ही न होने का दिखावा करने की मानो प्रतियोगिता ही चल रही है । अब भाजपा शासन इसे जड से उखाडकर दोषियों के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई करे । सरकार ने जिस प्रकार नागरिकता संशोधन कानून के संदर्भ में दृढतापूर्वक प्रशंसनीय भूमिका अपनाई, सी प्रकार से इस संदर्भ में भी हो; यही हिन्दुआें की अपेक्षा है ।
वंशविच्छेद ‘वह’ और ‘यह’ !
लव जिहाद एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है । १९ जनवरी को कश्मीरी हिन्दुआें का विस्थापन दिवस था । ३० वर्ष पहले इसी दिन कश्मीर के जिहादी आतंकियों ने कश्मीर में असंख्य हिन्दू महिलाआें के साथ बलात्कार किया, अनेक लोगों की हत्या की और केवल १ – २ नहीं, अपितु ४.५ लाख कश्मीरी हिन्दुआें को कश्मीर से भगा दिया गया । यह सब क्यों ? क्योंकि उन्हें कश्मीर में इस्लामी राज्य लाना था । इस प्राणघाती वंशविच्छेद की घटना ने १९ जनवरी २०२० को ३० वें वर्ष में पदार्पण किया; किंतु इतनी बडी घटना के विरुद्ध एक सामान्य प्राथमिकी भी पंजीकृत नहीं की गई अथवा उसकी जांच कर दोषियों को दंड भी नहीं दिया गया ! संक्षेप में कहा जाए, तो इस जिहादी आतंकवाद को दबाया गया । ‘लव जिहाद कश्मीर में किए गए जिहाद का ही अगला संस्करण है’, ऐसा कहें तो अनुचित नहीं होगा; क्योंकि इस जिहाद द्वारा कश्मीर में हिन्दुआें का वंशविच्छेद किया गया और लव जिहाद के रूप में भी वही कार्य चल रहा है । हिन्दुआें को इसके प्रति जागरूक रहना आवश्यक है ।
भाईयों, लव जिहाद के संदर्भ में भले ही सुस्त सरकारी तंत्र अपने कान, मुंह और आंखें बंद कर रखे हैं; परंतु हिन्दुआें को और अब तो ईसाईयों को भी मौन रहकर नहीं चलेगा; क्योंकि इस संकट की अनदेखी करने का अर्थ स्वयं का ही वंशविच्छेद करा लेना है । यदि ऐसा नहीं होने देना है; तो संगठित होकर वैधानिक रूप से आवाज उठाकर लव जिहाद को रोकना होगा । ॐ