परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘पहले के समय में प्रजा सात्त्विक थी । अतः ऋषियों को समष्टि प्रसारकार्य नहीं करना पडता था । वर्तमान में कलियुग के अधिकतर लोग साधना नहीं करते, इसलिए संतों को समष्टि प्रसारकार्य करना पडता है !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले