प्रेम से दीर्घकाल बना रहनेवाला सुख मिलता है; जबकि शारीरिक संबंधों से तात्कालिक सुख मिलता है !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘पूर्वकाल में पहले मानसिक स्तर पर प्रेम होता था और फिर शारीरिक संबंध बनते थे; परंतु आजकल अनेक पश्चिमी देशों में पहले शारीरिक संबंध बनते हैं और आगे दोनों की बने, तो फिर मानसिक प्रेम निर्माण होता है । इस कारण अभी की पीढी को तात्कालिक सुख और दीर्घकालिक दुख भोगना पड रहा है ।’

✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक