केरल में भी पुजारी के रूप में अनुसूचित जाति के व्यक्ति की नियुक्ति

अंशकालिक पुजारी पद के लिए त्रावणकोर देवस्थान मंडल द्वारा नियुक्त

हिन्दू मंदिरों में जाति के अनुसार पुजारी नियुक्त करने वाले शासक लोकतंत्र के नाम पर धर्मशास्त्र का अपमान कर रहे हैं । कोई भी सरकार अन्य धर्मों जैसे मौलाना और पादरी की नियुक्ति में हस्तक्षेप नहीं करती, क्योंकि कभी भी चर्च और मस्जिद का सरकारीकरण नहीं किया जाता है । हिन्दू मंदिरों का सरकारीकरण किए जाने के कारण ही ऐसी कार्रवाई की जा रही है । धर्मशास्त्र को बाजू में रखकर इस तरह की बात की जा रही है और चूंकि हिन्दुओं को धर्म शिक्षाका अभाव है, इसलिए वे भी अपने आप को पुरो(अधो)गामी समझ चुपचाप ऐसा होता देख रहे हैं । इस स्थिति को बदलने एवं हिन्दू धर्मशास्त्र का अध्ययन करने के लिए हिन्दू राष्ट्र का विकल्प नहीं है !

तिरुवनंतपुरम (केरल) – पहली बार, केरल में त्रावणकोर देवस्थान मंडल ने अपने अधिकार क्षेत्र के अधीन १,२०० से अधिक मंदिरों में से एक में किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को मंदिर के पुजारी के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है ।

तदनुसार, एक व्यक्ति को अंशकालिक पुजारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा । यही मंडल शबरीमाला के प्रसिद्ध अय्यप्पा मंदिर का भी प्रबंधन करता है । पिछले साढे चार वर्षों के कार्यकाल में, केरल की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्ससवादी) सरकार ने विभिन्न मंदिरों में कुल १३३ गैर-ब्राह्मण पुजारियों की नियुक्ति की है । इनमें से १९ पुजारी अंशकालिक हैं । अनुसूचित जाति के १८ पुजारी हैं और अनुसूचित जनजाति का एक !

केरल के देवस्थान मंत्री के. सुरेंद्रन

केरल के देवस्थान मंत्री के. सुरेंद्रन ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए कहा कि २०१७ में प्रकाशित श्रेणी सूची के उपरांत त्रावणकोर देवस्थान मंडल के मंदिरों में अंशकालिक पुजारियों के रूप में ३१० लोगों की नियुक्ति की गई है ।