नई देहली – उत्तरप्रदेश के बहराईच जिले में ११ दिसंबर १९८१ को १६ वर्षीय सत्यदेव नाम के नाबालिग लडके ने एक व्यक्ति की हत्या की थी । इस संबंध में बहराईच न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास का दंड सुनाया था । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी इसी दंड को मान्य रखा । वर्ष १९८६ के ‘ज्युवेनाईल जस्टिस ऐक्ट’ के अनुसार १६ वर्ष से अधिक आयुवाले को नाबालिग नहीं माना जाता’ , उस समय उच्च न्यायालय ने ऐसा वक्तव्य दिया था । कुछ समय उपरांत उस दंड को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी । उस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने ‘५५ वर्ष के सत्यदेव का दंड ‘ज्युवेनाईल बोर्ड ‘तय करेगा’ , ऐसा कहकर यह प्रसंग ‘ज्वेनाईल बोर्ड’ को सौंप दिया गया । इस व्यक्ति ने वर्ष १९८१ में हत्या की थी । सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, ‘घटना के समय दोषी व्यक्ति नाबालिग था, इसलिए उसके दंड का निर्णय ज्युवेनाईल बोर्ड लेगा !’
प्रसंग की सुनवाई वर्ष २०१८ से प्रारंभ हुई थी । उस समय ‘ज्युवेनाईल जस्टिस ऐक्ट २०००’ स्थापित हुआ था । संशोधित कानून में नाबालिग व्यक्ति की आयु १८ वर्ष निश्चित की गई थी । इस कानून के अनुसार अपराध के समय अपराधी की उम्र १८ से कम होगी, तो उसके विरुद्ध ज्युवेनाईल जस्टिस न्यायालय में दावे की सुनवाई की जाएगी !