देहली में शिक्षक दिन के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रम

विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करानेवाले प्राचीन
भारतीय शिक्षा व्‍यवस्‍था की ओर मुडेे भारत ! – सद़्‍गुरु डॉ. पिंगळेजी

सद़्‍गुरु डॉ. पिंगळेजी

     देहली – जिन देशों में शिक्षक शिक्षार्थी संबंधों की उपेक्षा की गई है, वहां शिक्षक केवल नाम के लिए रह गए हैं । वहां शिक्षक अपने लिए पांच डालर की आशा रखनेवाले और छात्र शिक्षक के व्‍याख्‍यान को अपने मस्‍तिष्‍क में भरनेवाले रह जाते हैं । भारतभूमि को प्राचीन शिक्षा व्‍यवस्‍था की एक अनमोल देन है । भारत के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य हेतु हमें फिर से प्राचीन शिक्षाव्‍यवस्‍था की ओर लौटना होगा’’, ऐसा प्रतिपादन हिन्‍दू जनजागृति समिति के राष्‍ट्रीय मार्गदर्शक सद़्‍गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया । वे शिक्षक दिवस की पूर्वसंध्‍या पर आयोजित विशेष ‘ऑनलाइन प्रवचन’ को संबोधित कर रहे थे ।
इस समय सद़्‍गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने मैकॉले शिक्षा व्‍यवस्‍था के दुष्‍परिणाम, प्राचीन भारतीय शिक्षा की विशेषताएं इन सभी विषयों पर उन्‍होंने मार्गदर्शन किया।
सद़्‍गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी नेे आगे बताया कि भारत को विश्‍वगुरु बनाने के लिए हमें स्‍वामी विवेकानंद, योगी अरविंद आदि अनेक मनीषियों के शिक्षा संबंधी विचारों की ओर ध्‍यान देना होगा । शिक्षा के माध्‍यम से व्‍यक्‍तित्‍व का विकास होकर चरित्र की उन्‍नति होनी चाहिए । जो चरित्रवान स्‍त्री-पुरुष को तैयार कर सके, ऐसी शिक्षा को ही उच्‍च शिक्षा कह सकते हैं । किसी भी राष्‍ट्र का विकास और उसकी सुरक्षा उसके चरित्रवान नागरिकों पर निर्भर है ।
युवाओं को ऐसी तकनीकी शिक्षा मिले, जिससे वे नौकरी की जगह स्‍वयं जीविकोपार्जन कर सकें े। राष्‍ट्रीयता की भावना का विकास हो, ऐसे शिक्षा की आज आवश्‍यकता है । इस कार्यक्रम में अनेक अध्‍यापकों ने अपने शिक्षा से जुडे विभिन्‍न प्रश्‍नों पर समाधान प्राप्‍त किया ।

यह कार्यक्रम आगे दी हुई लिंक पर उपलब्‍ध है ।
bit.ly/32vzHsU