आपातकाल में जीवनरक्षा हेतु आवश्‍यक पूर्वतैयारी

आपातकाल में अखिल मानवजाति की प्राणरक्षा हेतु आवश्‍यक तैयारी करने के विषय में मार्गदर्शन करनेवाले एकमात्र परात्‍पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी !

आपातकाल संबंधी इस लेखमाला में अभी तक हमने ‘भोजन के अभाव में भूखे न रहना पडे, इसके लिए क्‍या करें’, साथ ही अनाज का रोपण, गोपालन इत्‍यादि विषय देखे । मनुष्‍य पानी के बिना नहीं जी सकता और बिजली के बिना जीवन जीने की कल्‍पना भी नहीं कर सकता । इसलिए पानी की व्‍यवस्‍था करना, उसे संग्रहित करने और उसके शुद्धीकरण की पद्धति, साथ ही बिजली के वैकल्‍पिक साधन, इन विषयों की जानकारी इस लेख में दी है ।                          लेखांक ६

१. आपातकाल की दृष्‍टि से शारीरिक स्‍तर पर आवश्‍यक विभिन्‍न तैयारियां !

१ ई. पेट्रोल आदि ईंधन अथवा बिजली के अभाव में यात्रा की व्‍यवस्‍था

१ ई १. यात्रा अथवा परिवहन हेतु उपयुक्‍त साधन खरीदना : आपातकाल में पेट्रोल, डीजल आदि ईंधन का संकट अनुभव होगा । आगे तो ये ईंधन मिलेंगे भी नहीं । तब ईंधन पर चलनेवाले दुपहिया और चारपहिया वाहन अनुपयोगी हो जाएंगे । ऐसी स्‍थिति में समय पर यात्रा करना, रोगी को वैद्य के पास ले जाना, अनाज अथवा भारी वस्‍तुएं लाना-ले जाना आदि हेतु उपयोगी साधनों के विषय में आगे बताया है ।

१ ई १ अ. साइकिल : आगे साइकिल के अनेक प्रकार बताए गए हैं । अपनी आवश्‍यकता और आर्थिक क्षमता के अनुसार तथा साइकिल से होनेवाले लाभ ध्‍यान में रखकर आप अपने लिए उपयुक्‍त विकल्‍प चुनें ।

१ ई १ अ १. साधारण साइकिल : इसमें, ‘टायर-ट्यूब’ वाली साइकिल और ‘ट्यूबलेस (बिना ट्यूब की) टायर’ वाली साइकिल, ये दो प्रकार होते हैं ।

१ ई १ अ २. विद्युद़्‍धारित्र (बैटरी) से चलनेवाली साइकिल
१ ई १ अ ३. साइकिल-रिक्‍शा : आपातकाल में रोगी को डॉक्‍टर के पास ले जाना, वस्‍तुआें के परिवहन आदि हेतु साइकिल-रिक्‍शा उपयोगी है ।

१ ई १ आ. विद्युद़्‍धारित्र (बैटरी) से चलनेवाले दुपहिया और चारपहिया वाहन : आपातकाल में पेट्रोल, डीजल आदि ईंधन संकट के समय इस प्रकार के वाहन उपयोगी होंगे; परंतु ऐसे वाहनों में पेट्रोल, डीजल आदि से चलनेवाले वाहनों की तुलना में कुछ न्‍यूनता भी होती है । इस विषय में पाठकगण संबंधित विक्रेता से अधिक जानकारी प्राप्‍त कर सकते हैं ।

१ ई १ इ. ठेलागाडी (हाथठेला) : मार्ग के किनारे सब्‍जी, वडा-पाव आदि बेचनेवाले जिस गाडी का उपयोग करते हैं, उस ठेलागाडी का उपयोग आपातकाल में वस्‍तुआें के परिवहन हेतु किया जा सकता है ।

बैलगाडी अथवा घोडागाडी : बैलगाडी के लिए बैल पालें । गाय और बैल दोनों पालने पर गाय का दूध मिलेगा तथा गाय-सांड की उत्‍पत्ति भी होती रहेगी । साधारणतः बैल की आयु ३ वर्ष होने के उपरांत उसे गाडी में जोता जा सकता है । बैलगाडी की भांति घोडागाडी भी खरीद सकते हैं । केवल घोडा खरीदने पर वह यात्रा के लिए उपयोगी होता है ।
गाय, बैल और घोडे के लिए चारा-पानी, उनके लिए गोठा-तबेला की व्‍यवस्‍था, उनकी देखभाल करना, उनके रोग और उपचार आदि के विषय में किसी जानकार व्‍यक्‍ति से समझ लें । घोडे पर बैठकर यात्रा करना और घोडागाडी अथवा बैलगाडी चलाना भी सीख लें ।

१ ई २. रात्रि में यात्रा करते समय बिजली के अभाव में पथदीप न होनेपर प्रकाश देनेवाले साधनों का उपयोग करना

१ ई २ अ. बिजली अथवा सौरऊर्जा से प्रभारित (चार्ज) होनेवाले विद्युद़्‍धारित्र (बैटरी) पर चलनेवाले दीप (टॉर्च) : आपातकाल की दृष्‍टि से एक अथवा अनेक विद्युद़्‍धारित्र पर चलनेवाले दीप (टॉर्च) खरीदकर रख लें ।

कंडील

१ ई २ आ. लालटेन : लालटेन जलाने के लिए ‘केरोसिन’ का उपयोग किया जाता है । केरोसिन उपलब्‍ध न होने पर इसमें अन्‍य तेल (उदा. सरसों का तेल, तिल का तेल इत्‍यादि) भी डाल सकते हैं । लालटेन के अतिरिक्‍त केरोसिन से जलनेवाले अनेक प्रकार के दीप भी हाट में मिलते हैं ।

१ ई २ इ. मशाल : ‘मशाल दुकान में नहीं मिलती; इसे बढई अथवा संरचनाकार (फेब्रिकेटर) से बनवाया जा सकता है । मशाल के ऊपरी छोर पर बडी कटोरी के आकार के धातु (उदा. स्‍टील, पीतल) का एक पात्र होता है । यह पात्र लगभग आधा मीटर लंबी लकडी के डंडे से जुडा होता है । जिस प्रकार निरांजन में कपास की बाती होती है, उसी प्रकार मशाल में कपडे की चिन्‍द़ियों के गोले का बाती के रूप में उपयोग किया जाता है ।

मशाल की कटोरी में स्‍थित कील के पास लिपटा कपडा और उसे जलाने हेतु बाहर निकला उसका सिरा

मशाल खडी पकडकर उसके ऊपरी पात्र में चिन्‍द़ियों का एक गोला कसकर बिठाएं और उसे जलाने के लिए उसका एक सिरा गोले के बाहर निकालें । गोला तेल में पूर्णतः भीगने तक उसपर तेल (उदा. करंज तेल, बिनौला तेल) डालें । गोले के बाहर निकले सिरे को जलाने पर, तेल समाप्‍त होने तक मशाल जलती रहती है । मशाल का तेल समाप्‍त होने पर गोला जलकर राख हो जाता है । इसलिए तेल पूरा समाप्‍त होने के पहले मशाल में आवश्‍यकतानुसार बीच-बीच में तेल डालें । किसी जानकार व्‍यक्‍ति से मशाल बनाना सीख लें ।’ – श्री. अविनाश जाधव, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.

चूड

१ ई २ ई. चूड : नारियल की सूखी टहनी के पत्तों से चूड बनाई जाती है । चूड बनाने के लिए नारियल की टहनी के मुट्‍ठी भर पत्ते लेकर उन्‍हें अन्‍य पत्तों से अथवा सुतली से बीच-बीच में कसकर बांधें । (छायाचित्र देखें) चूड धीरे-धीरे जले इसके लिए उसे जलाने के पहले उसपर थोडा पानी छिडकें । नारियल के पत्तों में प्राकृतिक रूप से तेल होने के कारण चूड को जलाए रखने के लिए अलग से तेल की आवश्‍यकता नहीं होती ।

हम जिस प्रकार जलती हुई दियासलाई को तिरछा पकडते हैं, जिससे वह अधिक समय तक जले; (छायाचित्र देखें), उसी प्रकार ‘चूड ठीक से जले’, इसके लिए जलाते समय उसे तिरछा पकडें । लगभग ३ फुट लंबी चूड २० मिनट तक प्रकाश देती है ।’
– श्री. विवेक प्रभाकर नाफडे, सनातन आश्रम, देवद, पनवेल.

अपरिचित प्रदेश में यात्रा के समय दिशा ज्ञात करने हेतु दिशासूचक यंत्र (कम्‍पास) का उपयोग करना : आपातकाल में एक प्रदेश से दूसरे अपरिचित प्रदेश में जाना पड सकता है । उस समय मार्ग में मार्गदर्शक फलक होगा, यह निश्‍चित रूप से नहीं कहा जा सकता अथवा वहां मार्ग बताने के लिए लोग मिलेंगे, यह भी नहीं कहा जा सकता । यदि मार्गदर्शक फलक है, तो भी रात के अंधेरे में वह दिखाई नहीं देगा । ऐसे समय में हम मार्ग न भटकें, इसके लिए दिशासूचक यंत्र उपयोगी होता है । इसलिए चल-दूरभाष में दिशासूचक यंत्र की ‘एप’ डाउनलोड कर लें । इससे दिशा का ज्ञान होगा ।

होकायंत्र : ‘चल-दूरभाष में दिशासूचक यंत्र एप डाउनलोड होने पर भी चल-दूरभाष अप्रभारित (डिस्‍चार्ज) हो सकता है, यह ध्‍यान में रखकर अलग से भी एक दिशासूचक यंत्र अपने पास रखें । यह यंत्र बिना ‘सेल’ अथवा बिजली के कार्य करता है । इसकी सुईयां सदैव ‘उत्तर-दक्षिण’ दिशा दर्शाती हैं । इससे दिशा का ज्ञान होता है ।’ (क्रमशः)
– श्री. विजय पाटील, जलगांव

(संदर्भ : सनातन की आगामी ग्रंथमाला ‘आपातकाल में जीवनरक्षा हेतु आवश्‍यक पूर्वतैयारी’)
(प्रस्‍तुत लेखमाला के सर्वाधिकार
(कॉपीराइट) ‘सनातन भारतीय संस्‍कृति संस्‍था’ के पास सुरक्षित हैं ।)
(यह लेख www.sanatan.org
जालस्‍थल (वेबसाइट) पर पढिए ।)