पाकिस्‍तान के हिन्‍दुआें को भारतीय नागरिकता दिलाने के कार्य में प्रत्‍येक हिन्‍दू को अपना योगदान दें ! – श्री. जय आहुजा, अध्‍यक्ष, निमित्तेकम्, जयपुर, राजस्‍थान

नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन के द्वितीय दिवस का पहला सत्र

श्री. जय आहुजा

फोंडा (गोवा) – ‘निमित्तेकम्’ संस्‍था शरणार्थी पाकिस्‍तानी हिन्‍दुआें को भारतीय नागरिकता दिलाने में सहायता करती है । अभी तक संस्‍था की ओर से पाकिस्‍तान के २ सहस्र से भी अधिक हिन्‍दुआें को भारतीय नागरिकता दिलाई गई है । पाकिस्‍तान के हिन्‍दुआें को भारतीय नागरिकता दिलाने के कार्य में प्रत्‍येक हिन्‍दू को अपना योगदान देने की आवश्‍यकता है । राजस्‍थान की ‘निमित्तेकम्’ संस्‍था के अध्‍यक्ष श्री. जय आहुजा ने ऐसा प्रतिपादित किया ।
वर्ष २०१६ में केंद्र सरकार ने पाकिस्‍तान से विस्‍थापित हुए हिन्‍दुआें को भारतीय नागरिकता देने की अनुमति दी । भारत की ऐतिहासिक चूक के कारण आज भी ७० लाख हिन्‍दू पाकिस्‍तान में फंसे हुए हैं । वहां के हिन्‍दुआें को प्रतिदिन अमानुषिक अत्‍याचार सहन करने पड रहे हैं । कोरोना महामारी के समय वहां के हिन्‍दुआें को कोई काम नहीं था । उन्‍हें भोजन नहीं मिल रहा था । ऐसी स्‍थिति में भोजन के पैकेट्‍स के बदले वहां के १५ लाख हिन्‍दुआें का धर्मांतरण किया गया । वहां की हिन्‍दू युवतियां जिहादियों की बलि चढ रही हैं । उनके अभिभावक राजनेता और न्‍यायालय के दरवाजे खटखटा रहे हैं; परंतु कोई उनकी सुन नहीं रहा है । उनका यही दोष है कि उनका जन्‍म पाकिस्‍तान में हुआ है । तब भी वहां के हिन्‍दुआें में यह विश्‍वास है कि एक न एक दिन उन्‍हें भारत की नागरिकता मिलेगी ।

पाकिस्‍तानी हिन्‍दुआें को उनके झुकाव और कौशल के
आधार पर काम मिले ! – मीनाक्षी शरण, सामाजिक कार्यकर्त्री, मुंबई

पाकिस्‍तान के हिन्‍दुआें की स्‍थिति दयनीय है । पाकिस्‍तान में राजनीतिक, शैक्षिक, सामाजिक आदि क्षेत्रों में हिन्‍दुआें के साथ अन्‍यायपूर्ण व्‍यवहार किया जाता है । वहां हिन्‍दू लडकियों का अपहरण अथवा उनके साथ बलात्‍कार की घटनाएं भी होती है, तथा न्‍यायालयों से अपराधियों के पक्ष में ही निर्णय मिलता है । उसके कारण वहां के पीडित हिन्‍दू भारत में शरण लेते हैं; परंतु वे यहां के प्रवाह में अभी तक नहीं घुल-मिल पाए हैं, यह वास्‍तविकता है । पाकिस्‍तानी हिन्‍दुआें को थोडा-बहुत कौशल सिखाकर उनके लिए छोटे-बडे व्‍यवसाय खोलकर दिए जाते हैं; परंतु उनका झुकाव कृषि की ओर है । वे खेती और बागवानी के काम में कुशल हैं । पाकिस्‍तानी हिन्‍दू महिलाएं हस्‍तकला में कुशल हैं । लगभग समाप्‍त होने की कगार पर आई कुछ प्राचीन कलाआें में वे निपुण हैं । पाकिस्‍तानी हिन्‍दुआें को उनका झुकाव और कुशलता के आधार पर काम उपलब्‍ध कराया गया, तो वे यहां के वातावरण में शीघ्र घुल-मिल जाएंगे । मैं उस दिशा में प्रयास कर रही हूं । पाकिस्‍तानी हिन्‍दू ‘हमारे अपने’ हैं । वे श्रमजीवी हैं, उन्‍हें भारतीय हिन्‍दुआें के आश्रय की आवश्‍यकता है ।

‘ऑनलाइन’ ‘नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ के द्वितीय दिवस के पहले सत्र में मान्‍यवरों के विचार !

समाजजागृति कर काशी विश्‍वनाथ मंदिर में बंद की गई आरती को पुनः आरंभ करने
के लिए सरकार को बाध्‍य किया ! – श्री. आशीष धर, सहसंस्‍थापक, प्रज्ञता, नई देहली

‘‘काशी विश्‍वनाथ मंदिर में पिछले १ सहस्र वर्ष से प्रतिदिन ‘सप्‍तर्षि’ आरती करने की परंपरा है । कोरोना महामारी के काल में नियुक्‍त सरकारी कर्मचारियों ने इस प्रथा को रद्द करने का निर्णय लिया । जो प्रथा औरंगजेब के काल में भी खंडित नहीं हुई थी, वह सरकारी नियंत्रण के कारण रद्द हुई । इस संदर्भ में हमने वीडियो प्रसारित किया । उससे समाजजागृति होने की बात ध्‍यान में आते ही सरकार ने यह प्रतिबंध हटाया और मंदिर में पुन: आरती आरंभ हुई । नई देहली स्‍थित ‘प्रज्ञता’ संस्‍था के सहसंस्‍थापक श्री. आशीष धर ने यह प्रश्‍न उठाया कि सरकार की ओर से केवल मंदिरों का ही सरकारीकरण किया गया । मस्‍जिदों और चर्चों का क्‍यों नहीं ?’’ ‘ऑनलाइन’ नवम अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन के द्वितीय दिवस के पहले उद़्‍बोधन सत्र में वे ऐसा बोल रहे थे ।

उन्‍होंने आगे कहा, ‘‘हमारी संस्‍था की ओर से समाज के सर्वसामान्‍य व्‍यक्‍ति तक राष्‍ट्र एवं धर्म पर हो रहे आघातों की जानकारी पहुंचाने के उद्देश्‍य से वीडियो प्रसारित किए जाते हैं । अभी तक हमने ‘विस्‍थापित कश्‍मीरी पंडित’, ‘राममंदिर का निर्माण’, ‘बांग्‍लादेशी हिन्‍दुआें का दुख’, ‘जोगेंद्रनाथ मंडल (पाकिस्‍तान के पहले विधिमंत्री) की जीवनयात्रा’, ‘काशी विश्‍वनाथ मंदिर में आरती पर लगाया गया प्रतिबंध’ आदि विषयों पर वीडियो बनाकर सामाजिक माध्‍यमों से उनका प्रसारण किया गया है और उसका उत्‍स्‍फूर्त प्रत्‍युत्तर भी प्राप्‍त हो रहा है ।’’ द्वितीय दिवस के पहले सत्र में सामाजिक कार्यकर्त्री मीनाक्षी शरण, साथ ही राजस्‍थान की ‘निमित्तेकम्’ संस्‍था के अध्‍यक्ष जय आहुजा ने मार्गदर्शन किया । दूसरे सत्र में ‘तमिलनाडु में जिहादी एवं ईसाई शक्‍तियों का बढता हुआ वर्चस्‍व’ विषय पर हिन्‍दू मक्‍कल कत्‍छी के अध्‍यक्ष श्री. अर्जुन संपथ ने मार्गदर्शन किया ।

तमिलनाडु सरकार की ओर से मुसलमानों का तुष्‍टीकरण और हिन्‍दुआें के
साथ भेदभाव ! – श्री. अर्जुन संपथ, संस्‍थापक-अध्‍यक्ष, हिन्‍दू मक्‍कल कत्‍छी, तमिलनाडु

‘कोरोना वाहक’ की भूमिका निभानेवाले तबलीगी जमात के देहली के कार्यक्रम में तमिलनाडु से सौ लोग सहभागी थे । उनके राज्‍य लौटने पर उन्‍हें अनेक चिकित्‍सकीय सुविधाएं दी गईं । कोरोना से स्‍वस्‍थ होने पर प्रशासनिक अधिकारियों ने चिकित्‍सालय में उनका स्‍वागत कर उन्‍हें कुरआन वितरण किया । यह कृत्‍य आंकलन से बाहर है । इसके विपरीत हिन्‍दुआें को चिकित्‍सकीय सुविधाएं देने में भेदभाव किया जा रहा है । मंदिरों की भूमि तथा तमिलनाडु के सभी मंदिर वहां की सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिए हैं । दूसरी ओर तमिलनाडु सरकार ने मुसलमानों का तुष्‍टीकरण करते हुए उन्‍हें रमजान के समय में ४ सहस्र ५०० मैट्रिक टन चावल का वितरण किया । इसका वितरण सरकारी विभागों से नहीं, अपितु मस्‍जिदों में किया गया ।

१. राज्‍य में हिन्‍दू बहुसंख्‍यक होते हुए भी वहां की राजनीति में ईसाई और मुसलमानों का वर्चस्‍व है । वहां हिन्‍दू देवताआें की मूर्तियों का खुलेआम विरोध किया जाता है ।

२. हिन्‍दू नेताआें की हत्‍याएं की जाती हैं । जिहादी, धर्मांध ईसाई, वामपंथी और नक्‍सलियों की कार्यपद्धतियां भले ही अलग-अलग हों; परंतु ‘हिन्‍दूद्वेष और भारतविरोध’ का धागा उनमें समान है ।

३. तमिलनाडु में कश्‍मीर की भांति जिहादी आतंकवाद बढ रहा है । राज्‍य में शिक्षा एवं चिकित्‍सकीय सहायता के माध्‍यम से भी धर्मांतरण की घटनाएं हो रही हैं ।

हिन्‍दुआें को संगठित होकर इन आतंकी गतिविधियों का वैधानिक पद्धति से विरोध करना चाहिए ।