‘ऑनलाइन’ नवम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के छठे दिवस पर आयोजित परिसंवाद में मान्यवरों के विचार !
सर्व संतों सहित प्रत्येक व्यक्ति को संस्कृति रक्षा के लिए योगदान देना चाहिए !
– प.पू. डॉ. गुणप्रकाश चैतन्यजी महाराज, अध्यक्ष, अखिल भारतीय धर्मसंघ
अवतार और संतों के रूप में अवतीर्ण होकर भगवान धर्म की स्थापना करते हैं । प्रभु श्रीराम ने भी वही कार्य किया है । इस प्रकार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हमें ही करनी है । हमारी सनातन संस्कृति किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, अपितु वेदों से निर्मित है; परंतु वर्तमान में पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण चल रहा है । पश्चिमी संस्कृति स्वीकारने से कभी विकास नहीं हो सकता, इसका केवल उपभोग कर सकते हैं; परंतु ईश्वरप्राप्ति नहीं हो सकती । भारत में जन्म लेनेवाले प्रत्येक जीव के लिए परमेश्वर को प्राप्त कर पाना संभव है । इस भूमि में जन्म लेनेवाले प्राणियों के भाग्य में जो है, वह पश्चिमी देशों के अधिनायकों के भाग्य में भी नहीं है । इसलिए सबको एकत्रित आकर सभ्यता, संस्कृति, गोमाता व वर्णाश्रम व्यवस्था की रक्षा पर ध्यान देना चाहिए । इस पावन संस्कृति की रक्षा के लिए सर्व संतों और प्रत्येक हिन्दू को योगदान देना चाहिए । जिस राज्य में धर्म का आचरण होता है, उस राज्य में संकट नहीं आता । धर्म के आधार के बिना राजा अच्छा शासन नहीं कर सकता । प्रभु श्रीराम ने जिस प्रकार आदर्श राज्य की निर्मिति की थी, हमें ऐसे ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी है ।
बच्चों को ईसाई विद्यालयों में भेजना, उनके धर्मांतरण की पहली सीढी है !
– पू. स्वामी चित्तरंजन महाराज, शांति काली आश्रम, त्रिपुरा
अंग्रेजी शिक्षा के मोहवश कुछ हिन्दू अभिभावक अपने छोटे बच्चों को ईसाई विद्यालय में भरती करते हैं । यहीं से धर्मांतरण प्रारंभ होता है । हमने शांति काली आश्रम की ओर सेे २६ आश्रमों की स्थापना कर उनमें से ४ आश्रमों में आदिवासी विद्यार्थियों के लिए निःशुल्क शिक्षा, भोजन एवं निवास की व्यवस्था है ।
धर्मांतरण की समस्या रोकने के लिए स्वयंसेवी संस्थाआें को विदेश से
मिलनेवाला धन रोकना चाहिए ! – डॉ. नील माधव दास, संस्थापक अध्यक्ष, तरुण हिन्दू , झारखंड
भूतपूर्व सरकार के काल में धर्मांतरण के विरुद्ध कठोर दंड दिया जाता था । इसलिए ऐसी घटनाएं घटकर सिमट गई थीं; परंतु विद्यमान सरकार के कुछ मंत्री निर्वाचन से पूर्व ही मिशनरी, पादरी तथा मौलवियों से मिलते हैं । धर्मांतरण के लिए केवल पैसा ही नहीं; अपितु मदिरा भी उपलब्ध करवाई जाती है । कुछ हिन्दू चर्च जाते हैं, वहां उनका भव्य सत्कार किया जाता है । इसलिए मोहित होकर वे धर्मांतरण की बलि चढ जाते हैं । धर्मांतरित हिन्दुआें के लिए तत्काल चर्च बनाए जाते हैं । हिन्दुआें के विरोध करने पर धर्मनिरपेक्ष राज्यकर्ता तथा पुलिसवाले हिन्दुआें का ही दमन करते हैं । ईसाई धर्म के प्रसार के लिए २३ सहस्र १३७ स्वयंसेवी संस्थाएं कार्यरत हैं तथा उन्हें १५ सहस्र २०९ करोड रुपए की आर्थिक सहायता की जाती है । यह पैसा विदेशों से उपलब्ध होता है । ये स्वयंसेवी संस्थाएं इनमें से १० प्रतिशत राशि का उपयोग स्वयं के लिए तथा ९० प्रतिशत राशि का उपयोग चर्च के लिए करती हैं । धर्मांतरण की समस्या रोकनी हो, तो केंद्र सरकार ऐसी संस्थाआें को विदेशों से मिलनेवाली आर्थिक सहायता पर तत्काल रोक लगाए ।
धर्मांतरण के कारण संस्कृति पर भी संकट आता है ! – कुरु थाई, अरुणाचल प्रदेश
लोकसभा निर्वाचन के समय यहां चर्च की ओर से इस आशय का पत्र प्रकाशित किया गया था कि ‘केवल ईसाई प्रत्याशियों को मतदान किया जाए ।’ यहां भी पर्यटन के नाम पर ‘धर्मांतरण’ करना एक गंभीर समस्या है । कुछ धर्मांतरित हिन्दू अपनी पूर्व जाति में मिलनेवाले लाभ उठाते ही हैं । इसके साथ धर्मांतरित होने के पश्चात अल्पसंख्यक होने का भी लाभ उठाते हैं । धर्मांतरण के साथ ही संस्कृति पर भी संकट आता है ।
बंगाल में धर्मांतरण प्रतिबंधक काननू लागू कर उस पर प्रभावी
कार्यवाही करना आवश्यक ! – डॉ. कौशिकचंद्र मल्लिक, शास्त्र धर्म प्रचार सभा, बंगाल
बंगाल के हिन्दुआें की स्थिति कसाई के द्वार पर खडे बकरे के समान हो गई है । ममता सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से स्थिति दयनीय हो गई है । दुर्गापूजा के समय एक स्थान पर सर्वधर्मसमभाव निम्नस्तरीय सूचना के नाम पर एक राजकीय नेता ने ‘अजान’ का आयोजन किया था । यह रोकने के लिए राज्य में धर्म-परिवर्तन कानून बनाकर उस पर प्रभावी कार्यवाही करना तथा घुसपैठ पर रोक लगना भी आवश्यक है ।
मेघालय में ईसाई और मुसलमान पद्धति से विवाह करना प्रचलित है; परंतु हिन्दू
पद्धति से विवाह करना नहीं चलता ! – श्रीमती इस्टर खरबामोन, सामाजिक कार्यकर्त्री, मेघालय
मेघालय में बडी संख्या में पर्यटक आते हैं तथा वहां धर्मांतरण एक बडी समस्या है । यहां हिन्दुआें को ‘दखार’ (अर्थात जो ईसाई नहीं है) संबोधित कर चिढाया जाता है । ईसाईयों को बिना शर्त छात्रवृत्ति, शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं, उच्च स्तर की नौकरी आदि मिलती है; परंतु हिन्दुआें को उससे दूर रखा जाता है । ईसाई और मुसलमान पद्धतियों से किए गए विवाह को मान्यता है; परंतु हिन्दू पद्धति से किए गए विवाह मान्य नहीं हैं । केंद्र सरकार से हमारी मांग है कि ‘दखार’ शब्द हटाया जाए तथा अन्य धर्मियों के समान ही हिन्दुआें के विवाह को मान्यता मिले एवं ईसाई और मुसलमानों को धार्मिक संस्थाआें द्वारा शिक्षा न देकर सरकार की ओर से शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए ।
मणिपुर मेें भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर है । यहां बडी मात्रा में धर्म-परिवर्तन हो रहा है तथा केवल ४० प्रतिशत हिन्दू ही शेष रह गए हैं । पूर्वोत्तर राज्यों को भारत से अलग करने का षड्यंत्र है ।’ – श्री. दिमबेश्वर शर्मा, इम्फाल, मणिपुर.
लव जिहाद के ७० से ८० प्रतिशत प्रकरण समझाकर हल कर रहे हैं !
– अधिवक्ता राजीव कुमार नाथ, विधिप्रमुख, हिन्दू जागरण मंच, असम
असम में धर्मांतरण और ‘लव जिहाद’ की समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ रही हैं । अधिवक्ता राजीव कुमार नाथ लव जिहाद के ७० से ८० प्रतिशत प्रकरण समझाकर हल कर रहे हैं । देश में हिन्दू युवतियों को मुसलमान युवक भगाकर ले जाते हैं । बलपूर्वक उनके साथ निकाह किया जाता है । हिन्दुआें को जागृत और सतर्क होने की आवश्यकता है ।
भारत सरकार कश्मीरी हिन्दुआें को कश्मीर लाकर उनके पुनर्वसन का दृढ निश्चय
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