हिन्‍दू धर्म पर होनेवाले वैचारिक आक्रमणों का सामना करने के लिए वैचारिक क्षत्रियों की नितांत आवश्‍यकता है !

‘ऑनलाइन’ नवम ‘अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ के अंतिम दिवस का समापन सत्र !

श्री रामजन्‍मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्‍ट के कोषाध्‍यक्ष प.पू. स्‍वामी गोविंददेव गिरि महाराजजी का प्रतिपादन

फोंडा (गोवा) – ‘हमारे देश की परंपरा हिन्‍दुत्‍व की है । छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी हिन्‍दू साम्राज्‍य की स्‍थापना की थी; परंतु स्‍वतंत्रता के पश्‍चात सत्ता पर आनेवालों ने हिन्‍दूविरोधी विचारधारा अपनाई । ‘धर्मनिरपेक्षता अर्थात हिन्‍दुत्‍व का विरोध’, इस भूमिका में उन्‍होंने काम किया । हिन्‍दुआें ने कभी किसी पर भी आक्रमण नहीं किया है । किसी की पूजाविधि का विरोध नहीं किया; परंतु आक्रमणकारियों ने हिन्‍दू धर्म का विध्‍वंस करने के लिए ही भारत पर आक्रमण किया । इसलिए इससे आगे हिन्‍दू राष्‍ट्र को निरंतर बनाए रखना प्रत्‍येक हिन्‍दू का दायित्‍व है । उसके लिए वीर सावरकरजी के बताए अनुसार राजनीति का हिन्‍दूकरण होना आवश्‍यक है ।’ ऐसा प्रतिपादन श्रीराम जन्‍मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्‍ट के कोषाध्‍यक्ष प.पू. स्‍वामी गोविंददेव गिरि महाराज ने किया । वे ‘ऑनलाइन’ नवम ‘अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन में हिन्‍दुआें को मार्गदर्शन करते समय बोल रहे थे । ३० जुलाई से २ अगस्‍त एवं ६ से ९ अगस्‍त इस कालावधि में प्रतिदिन सायं. ६.३० से ८.३० की अवधि में ‘ऑनलाइन अखिल भारतीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ संपन्‍न हुआ ।

प.पू. स्‍वामी गोविंददेव गिरि महाराज ने आगे बताया, ‘हिन्‍दुआें के हितों की रक्षा करनेवाले ही सत्ता में होने चाहिए । देश का कार्यभार संभालते समय हिन्‍दूहित का दृष्‍टिकोण होना चाहिए; क्‍योंकि हिन्‍दू किसी पर आक्रमण नहीं करते । उनका मूल स्‍वभाव ही न्‍यायप्रिय और समानता का पालन करनेवाला है ।

हिन्‍दुत्‍व की रक्षा करनेवालों को राजनीति में स्‍थिर रखना चाहिए । ऐसे लोगों को बल देना चाहिए । इसलिए राजनीति का हिन्‍दूकरण और हिन्‍दुआें का सैनिकीकरण होना आवश्‍यक है । जिस पद्धति से आक्रमण होगा, उस अनुसार उत्तर देने हेतु हमें समर्थ बनना चाहिए । कलम से आक्रमण होने पर कलम से ही उत्तर देने की क्षमता हममें विकसित करनी आवश्‍यक है । आज हिन्‍दुआें पर वैचारिक आक्रमण हो रहे हैं । इस हेतु आज वैचारिक क्षत्रियों की आवश्‍यकता है । उनके आक्रमण का उत्तर देने के लिए हमें सावधान और संगठित रहना चाहिए ।